Akbar Allahabadi Birth Anniversary : 'आनंद भवन' का नामकरण नेहरू के आग्रह पर किया, जो बेटे के घर 'इशरत मंजिल' का हिंदी रूपांतरण है
Akbar Allahabadi Birth Anniversary प्रसिद्ध शायर अकबर इलाहाबादी, जिन्होंने अंग्रेजी शासनकाल में पश्चिमी संस्कृति का विरोध किया, अपनी कविताओं और गजलों के माध्यम से भारतीयों को जागरूक किया। उन्होंने आनंद भवन का नामकरण भी किया। उनका जन्म 16 नवंबर 1846 को प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) के बारा खास गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी रचनाओं में हिंदू-मुस्लिम एकता का समर्थन किया और शिक्षा को देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया।

Akbar Allahabadi Birth Anniversary अकबर इलाहाबादी प्रयागराज में जन्मे और हमेशा पश्चिमी संस्कृति के विरोधी रहे। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Akbar Allahabadi Birth Anniversary मौसम बदल गया है तो क्या अपनी जड़ों को छोड़ दें ? इस तरह की शायरी लिख कर अंग्रेजी शासन के दौरान पाश्चात्य संस्कृति के विरोध में भारतीयों को जागरूक करने वाले अकबर इलाहाबादी ने कई मौकों पर जिंदादिली दिखाई। कविताएं, गजलें, रुबाइयाँ और नज्म, अकबर ने क्या क्या नहीं लिखा।
अपनी रचनाओं से विदेशी संस्कृति का सदैव विरोध किया
Akbar Allahabadi Birth Anniversary मुंसिफ मजिस्ट्रेट रहते हुए हास्य और व्यंग्य से भरी अपनी रचनाओं से हमेशा विदेशी संस्कृति का विरोध किया। हिंदू - मुस्लिम सभी को समान भाव से जागरुक करते रहे कि अंग्रेजी पढ़ना और सीखना तो अपनी जगह सही है लेकिन भारतीय संस्कृति को कभी नहीं छोड़ना है। अकबर इलाहाबादी के बारे में एक तथ्य और प्रचलित है कि शहर में जिसे हम सभी 'आनंद भवन' के नाम से जानते हैं, इसका नामकरण पंडित मोतीलाल के आग्रह पर इन्होंने ही अपने बेटे के नाम से चौक में बनाये गए घर इशरत मंजिल का हिंदी रूपांतरण करके किया था।
जन्म 16 नवंबर 1846
मृत्यु 9 सितंबर 1921
प्रयागराज के बारा खास गांव में जन्मे थे
Akbar Allahabadi Birth Anniversary आप सभी को खूब याद होगी गजल 'हंगामा है क्यों बरपा थोड़ी सी जो पी ली है'। बारा खास गांव में तफज्जुल हुसैन की संतान रूप में 16 नवंबर 1846 को जन्मे सैयद अकबर हुसैन रिजवी ने इसे लिखा था। यही लेखक कालांतर में अकबर इलाहाबादी के नाम से जाने गए। उनका साहित्यिक लेखन ऐसा था जिसमें पाश्चात्य संस्कृति का विरोध झलका। 'हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती', अकबर इलाहाबादी की इस कालजयी रचना में पूंजीवादी संस्कृति पर करारी चोट दिखती है।
चौक मुहल्ले में बेटे इशरत के नाम पर बनवाया था घर
Akbar Allahabadi Birth Anniversary अकबर इलाहाबादी ने प्रयागराज के चौक में अपने बेटे इशरत के नाम से जो घर इशरत मंजिल बनवाया था वहीं अब यादगार हुसैनी इंटर कॉलेज है। इसमें अकबर हॉल अब भी है। स्कूल के प्रबंधक गौहर काजमी कहते हैं कि अकबर इलाहाबादी कुछ समय तक इसी घर में रहे। न्यायिक सेवा में रहने के दौरान यहीं पर साहित्यिक लेखन करते रहे। कहा कि अकबर इलाहाबादी ने ही आनंद भवन का नामकरण किया था। मोतीलाल नेहरू से उनकी गहरी मित्रता थी।
पहले कविताएं फिर लिखने लगे गजल
चर्चित उर्दू शायर प्रोफेसर अली अहमद फातमी कहते हैं कि अकबर इलाहाबादी पहले कविताएं लिखते थे फिर गजल लिखने लगे। जब उन्होंने नज्म लिखी तो पाश्चात्य संस्कृति के विरोध में उनके तेवर और भी मुखर हुए। कहते थे कि शिक्षा प्राप्त करना सभी के लिए जरूरी है। शिक्षा से ही देश विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा। कहते थे अंग्रेजी भी सीखना, लिखना और पढ़ना अपराध नहीं है लेकिन अंग्रेजी संस्कृति को भारतीयता में शामिल करना भारतवासियों के लिए गलत है। उन्होंने अपनी कौम के लोगों को भी अपनी रचनाओं में लिखकर भारतीय संस्कृति की ओर उन्मुख किया। कहा कि उन्होंने हिन्दू मुस्लिम साझा संस्कृति की पैरोकारी की।

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