पहचान संदिग्ध बताए जाने पर पीड़िता और उसकी मां HC में तलब, मथुरा के वृंदावन थाने में 31 मई को दर्ज की गई है FIR
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीजेएम मथुरा को निर्देश दिया है कि 25 सितंबर को पीड़िता और उसकी मां को अदालत में पेश करें क्योंकि नाबालिग आरोपी की याचिका पर पहचान संदिग्ध बताई गई है। वृंदावन थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार पीड़िता की मां ने आरोपी के खिलाफ पाक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया था।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। पहचान संदिग्ध बताए जाने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) मथुरा को निर्देशित किया है कि वह 25 सितंबर को पीड़िता और उसकी मां की अदालत के समक्ष उपस्थिति सुनिश्चित कराएं। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने नाबालिग आरोपित की याचिका पर दिया है।
वृंदावन थाने में 31 मई 2022 को पीड़िता की मां ने आरोपित के खिलाफ पाक्सो व अन्य धाराओं में एफआइआर दर्ज कराई है। मामले की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड मथुरा में चल रही है। आरोपित की मां ने बोर्ड में प्रार्थना पत्र देकर कहा है कि पीड़िता और उसकी मां का नाम एफआइआर और आधार कार्ड में भिन्न है। पीड़िता के रूप में जिसका बयान लिया जा रहा है, वह असल में पीड़िता है ही नहीं। हालांकि किशोर न्याय बोर्ड ने इस प्रार्थना पत्र को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि प्रति परीक्षा के दौरान कार्रवाई को रोका नहीं जा सकता।
इस आदेश को आरोपित ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। आरोपित के वकील शरदेंदु मिश्र ने दलील दी कि पीड़िता की पहचान ही सवालों के घेरे में है तो ट्रायल की प्रक्रिया कैसे जारी रह सकती है? इस पर कोर्ट ने पीड़िता व उसकी मांग को अगली तारीख पर कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
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