सरकारी गोशालाओं में पशु पोषण पर ध्यान नहीं, मात्र 60 किग्रा साइलेज से माह भर में 98 मवेशियों का भर रहे पेट
प्रयागराज की सरकारी गोशालाओं में मवेशियों को साइलेज की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही है। कई गोशालाओं में हरे चारे और साइलेज की कमी है जिससे पशुओं को उचित पोषण नहीं मिल पा रहा है। इस संबंध में पशु चिकित्साधिकारी ने साइलेज की खरीद सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। सरकारी गोशालाओं में पल रहे मवेशी स्वस्थ रहें, इसके लिए नित नए प्रयास हो रहे हैं। इसी क्रम में साइलेज की आपूर्ति की व्यवस्था की गई है। गोशालाओं तक उसे पहुंचाने का इंतजाम है। फिर भी ग्राम प्रधान इसे खिलाने से कतरा रहे हैं।
मऊआइमा ब्लाक के पिलखुआ स्थित गोशाला में 98 मवेशी हैं। एक मवेशी को प्रतिदिन दो किलो भूसे के साथ कम से कम तीन किलो साइलेज चाहिए, लेकिन यहां महीने में 60 किलो साइलेज मंगाकर काम चलाया जा रहा है। प्रधान पति ने हरा चारा उपलब्ध होने का दावा किया। जबकि, मवेशी सिर्फ भूसा चबाते मिले।
मऊआइमा की गोशाला में हरा चारा व साइलेज का अभाव
गंगापार और यमुनापार में 123 गोशालाएं हैं। इनमें से कहीं साइलेज मंगाया नहीं जा रहा है तो कहीं खानापूरी हो रही है। मऊआइमा के अकबरपुर सरायदीना की गोशाला में 100 मवेशी हैं। यहां न हरा चारा है न साइलेज। ग्राम प्रधान फूलचंद्र ने बताया कि सचिव को एक महीने पहले ही साइलेज मंगाने के लिए बोला था।
इन गोशालाओं का भी हाल ठीक नहीं
साइलेज आया या नहीं, इसे देखने की जरूरत न जिम्मेदारों ने नहीं समझी। बरामऊ की गोशाला में 93 मवेशी संरक्षित हैं। एक महीने से हरा चारा नहीं है। 15 दिन पहले सचिव नरेंद्र कुमार को साइलेज की याद आई और आर्डर किया। कौंधियारा के पवरी में 200 मवेशी हैं। यहां पर इस वक्त न हरा चारा है और न ही साइलेज मंगाया गया। कुछ यही हाल अन्य गोशालाओं का भी है। कहीं पर हरे चारे की उपलब्धता दिखाकर साइलेज से किनारा किया जा रहा है तो कहीं पर डिमांड के दावे हो रहे हैं। मवेशियों को भरपूर खुराक नहीं मिल रही है।
यह भी पढ़ें- महारानी विक्टोरिया के नाम पर बसा था 'रानी मंडी', प्रयागराज के 150 वर्ष पुराने मुहल्ले का दिलचस्प है इतिहास
सरकारी बजट का है पूरा खेल
विभागीय सूत्र बताते हैं कि पूरा खेल सरकारी बजट का है। अभी गोशालााओं में सिर्फ भूसा खिलाकर काम चला लिया जाता है। दिखावे के लिए दो-चार बोरी चोकर व दाना मंगा कर रख लेते हैं। शेष बजट की हेराफेरी हो जाती है। साइलेज मंगाने पर यह मनमानी आसान नहीं होगी। इस नाते जिम्मेदार डिमांड नहीं कर रहे हैं।
क्या होता है साइलेज
असल में साइलेज हरे चारे का ही एक रूप है। इसमें मक्का आदि हरे चारे को संरक्षित किया जाता है। फिर यह जल्दी से खराब नहीं होता। पंजाब में बड़े-बड़े पशुपालक इसका उपयोग करते हैं। जिले में 11 रुपये प्रतिकिलो की दर से आपूर्ति का ठेका फर्म को मिला है। फर्म पंजाब से ही मंगाकर सप्लाई दे रही है।
क्या कहते हैं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. शिवनाथ यादव का कहना है कि सभी खंड विकास अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि गोशालाओं में साइलेज की खरीद कराएं। मानकों के अनुरूप मवेशियों को खिलाया जाए। जहां कमी मिलेगी, वहां कार्रवाई होगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।