प्रयागराज के किसानों के लिए अच्छी खबर, दिसंबर में खेतों को मिलेगा नहरों का पानी, माघ मेला प्रशासन की भी दूर होगी परेशानी
प्रयागराज के किसानों के लिए खुशखबरी है कि दिसंबर में नहरों से खेतों को पानी मिलेगा, जिससे सिंचाई की समस्या दूर होगी। माघ मेला प्रशासन की परेशानी भी कम होगी, क्योंकि गंगा-यमुना में पानी का स्तर घटने से स्नान घाटों और पांटून पुलों का निर्माण सुगम होगा। गंगा से निकली नहरें 25 से अधिक जिलों को पानी पहुंचाती हैं, जिससे कृषि समृद्धि में मदद मिलती है। नहरों के चलने से गंगा-यमुना में लगभग नौ हजार क्यूसेक पानी कम हो जाएगा।

प्रयागराज में अगले माह में नहरों में पानी मिलने से किसानों को राहत मिलेगी, माघ मेला के बसावट में भी आसानी होगी।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। सिंचाई के लिए दिसंबर के शुरुआत में खेतों को नहरों का पानी मिलने लगेगा। वहीं नहरों के संचालन से माघ मेला प्रशासन की परेशानी दूर हो जाएगी। दरअसल, गंगा में अभी लगभग 18 हजार क्यूसेक पानी है, जिसके कारण स्नान घाटों के निर्माण कार्य समेत पांटून पुलों के निर्माण में दिक्कत आ रही है।
गंगा का पानी 28 नवंबर से नहरों में जाने लगेगा तो सात हजार क्यूसेक पानी नदी कम हो जाएगा, जिससे माघ मेला के कार्यों में और तेजी आएगी, वहीं खेतों में नहरों का पानी आने से किसानों की भी सिंचाई की समस्या दूर हो जाएगी।
गंगा से निकली नहरों से 25 से ज्यादा जिलों के खेतों को पानी मिलता है। इसमें प्रमुख रूप से ऊपरी गंगा नहर, निचली गंगा नहर व मध्य गंगा नहर है। तीनों नहरें कई जिलों की कृषि समृद्धि का एक प्रमुख स्रोत हैं। इस नहरों की शाखाओं और उप नहरों का एक व्यापक नेटवर्क है, जो लगभग नौ हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि की सिंचाई करता है।
ऊपरी गंगा नहर सबसे पुरानी और मूल नहर है जो हरिद्वार के पास भीमगोड़ा बैराज से शुरू होती है और उत्तर प्रदेश में मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़ से होते हुए कानपुर और इटावा शाखाओं में विभाजित हो जाती है। निचली गंगा नहर का निर्माण नरौरा बैराज से किया गया है और यह प्रदेश के बुलंदशहर, एटा, मैनपुरी, कन्नौज, कानपुर देहात जैसे जिलों की सिंचाई करती है।
मध्य गंगा नहर बिजनौर में गंगा नदी पर बने मध्य गंगा बैराज से निकलती है। वहीं यमुना में बारा तहसील क्षेत्र में बाघला नहर भी नवंबर के अंतिम सप्ताह से चलने लगेगी जिससे यमुना का पानी भी लगभग एक हजार क्यूसेक कम हो जाएगा।
फतेहपुर स्थित किशुनपुर नहर में भी यमुना का ही पानी जाता है, जिसके चलने से भी एक हजार क्यूसेक पानी नदी में कम हो जाएगा। उप मेलाधिकारी विवेक शुक्ला ने बताया कि नवंबर के अंत में नहरों के संचालन से दो-तीन दिन बाद पानी खेतों में पहुंचने लगेगा तो संगम पर गंगा व यमुना का पानी भी इसी अवधि में कम हो जाएगा।

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