प्रयागराज के जिन अफसरों पर हरियाली बचाने की जिम्मेदारी, उनके ही 'आंगन' में सूख गए पौधे
प्रयागराज में पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केंद्र के अफसरों पर हरियाली बचाने की जिम्मेदारी है, लेकिन उनके ही आंगन में पौधे सूख गए। पड़िला स्थित नर्सरी में ...और पढ़ें

प्रयागराज में हरियाली की दुर्दशा, जिम्मेदार अफसरों के केंद्र में ही सूख गए पौधे।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। आबादी से दूर जंगलों, हाईवे और अन्य सड़कों के किनारे रोपे गए पौधे सूख जाए तो बात समझ में आती है। वहीं अगर उन अफसरों के 'आंगन' में ही हरियाली दम तोड़ दे, जिन्हें उसे बचाने की जिम्मेदारी है तो इसे आप क्या कहेंगे। शहर के बेली चौराहे के पास स्थित पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन केंद्र में कुछ ऐसा ही हुआ।
शहर के पारिस्थितिक पुनस्र्थापन केंद्र का हाल
दरअसल, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद का शहर में पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केंद्र है। इस केंद्र की वनों और पेड़ पौधों पर शोध के साथ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देता है। पंडीला में इस केंद्र की पौधशाला है, जहां पर वानिकी से जुड़े पौधे तैयार किए जाते हैं। मांग पर लोगों को यही पौधे उपलब्ध कराए जाते है।
देखभाल के अभाव में सूख गए पौधे
इसके अलावा विभाग भी जगह-जगह पौधारोपण कराता है। करीब डेढ़ महीने पहले लगभग चार हजार पौधे नर्सरी से इस केंद्र पर मंगाए गए थे। यह पौधे किसी के द्वारा खरीदे गए थे, लेकिन इनमें से लगभग आधे पौधे ही केंद्र से उठाए गए। शेष वहीं पर रखे गए। न तो इनकी देखभाल हुई और न ही कहीं पर रोपित कराया गया। वनावरण बढ़ाने के लिए तैयार किए गए इन पौधों में से ज्यादातर दम तोड़ चुके है। यह हाल तब है जब इसी कार्यालय परिसर में तमाम वैज्ञानिक व अफसर बैठते हैं।
ट्रांसपोर्टेशन में खराब ही हो जाते हैं कुछ न कुछ पौधे
केंद्र प्रमुख डा. संजय सिंह ने बताया कि यह पौधे किसी की मांग पर नर्सरी से मंगाए गए थे। ट्रांसपोर्टेशन में जड़े हिलने के कारण कुछ न कुछ पौधे खराब हो जाते हैं। जिन्होंने यह पौधे मंगाए थे वह चुन-चुनकर अच्छे-अच्छे पौधे ही ले गए। खराब यहीं पर छोड़ गए। पौधारोपण का सही समय 15 सितंबर तक होता है। यह बीत चुका था, इसलिए पौधे रोपे नहीं जा सके।

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