Interview: 'सनातन धर्म-धर्मग्रंथों का उपहास उड़ाने वालों को मिल रही सजा' बोले- जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य
तुलसी पीठाधीश्वर पद्मविभूषण जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य राजनेताओं द्वारा मनुस्मृति पर प्रश्नचिह्न उठाने की निंदा करते हैं। साथ ही कब्जा किए गए मंदिरों को वापस लेने की बात दोहराते हैं। अखंड भारत की भविष्यवाणी करते हैं। वह कहते हैं तिरस्कार अपमान और हिंसा का सनातन धर्म में स्थान नहीं है। इसके मूल में परोपकार अपनत्व और अहिंसा है। इसके मूल में परोपकार अपनत्व और अहिंसा है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। तिरस्कार, अपमान और हिंसा का सनातन धर्म में स्थान नहीं है। इसके मूल में परोपकार, अपनत्व और अहिंसा है। वसुधैव कुटुंबकम् के मर्म को आत्मसात करके सनातनी विश्व को अपना परिवार मानते हैं। यह सीख हमें मनुस्मृति, श्रीरामचरितमानस, श्रीमद्भागवत गीता से मिलती है। उसके मूल में उपेक्षितों को अपनाना है। जो हमारे धर्मग्रंथों पर प्रश्नचिह्न उठाते हैं, वह अज्ञानी हैं।
उन्हें सजा मिल रही है आगे भी मिलेगी। यह कहना है तुलसी पीठाधीश्वर पद्मविभूषण जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य का। वह राजनेताओं द्वारा मनुस्मृति पर प्रश्नचिह्न उठाने की निंदा करते हैं। साथ ही कब्जा किए गए मंदिरों को वापस लेने की बात दोहराते हैं। अखंड भारत की भविष्यवाणी करते हैं।
वह कहते हैं कि बहुत जल्द गुलाम कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन जाएगा। इसके लिए तीर्थराज प्रयाग में यज्ञ करवा रहे हैं। जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता शरद द्विवेदी से विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश -
प्रश्न: सनातन धर्म और उसके संस्कार क्या हैं?
उत्तर: सनातन धर्म का स्वरूप विराट है, उसमें सृष्टि का कल्याण समाहित है। हर व्यक्ति का सम्मान करना, सबकी चिंता धर्म का मर्म है।
महाकुंभ मेला में जप-तप की कैसी अनुभूति हो रही है?
महाकुंभ में अमृत योग बना है। यहां बहुत अच्छा लग रहा है। सरकार ने संतों और श्रद्धालुओं के लिए अच्छी तैयारी कराई है। इससे मुझे आत्मसंतुष्टि है। तीर्थराज की धरा पर जप-तप करके मन प्रसन्न है। मैं एक महीने तक प्रवास करके धार्मिक अनुष्ठान में लीन रहूंगा।
महाकुंभ से आपकी तरफ से देश को क्या संदेश दिया जाएगा?
मेरा संदेश यही है कि हिंदू जाग्रत होकर जाति-वर्ग के ऊपर उठें। भले अनेक पंथ बने हैं, लेकिन अंत में हम हिंदू हैं। हर परिस्थिति में हमें एकजुट रहना चाहिए। हमारी एकता ही सुरक्षा और विकास का आधार है।
हिंदू कैसे एक होंगे, कुछ नेताओं का कहना है कि मनुस्मृति हिंदुओं को बांट रही है?
ऐसा कहने वाले अज्ञानी लोग हैं। वह राजनीति चमकाने के लिए धर्मग्रंथों का सहारा ले रहे हैं। उन्हें राजनीति में धर्मग्रंथों को शामिल नहीं करना चाहिए। हमारे धर्मग्रंथ अपनाने की सीख देते हैं, तिरस्कार का नहीं। प्रभु श्रीराम ने कोल, भील सहित समस्त उपेक्षितों को आत्मीयता से गले लगाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया था।
हम उनके अनुयायी हैं, तो कैसे किसी की उपेक्षा कर सकते हैं?
मनुस्मृति, श्रीरामचरितमानस का उपहास उड़ाने वालों को सजा मिल रही है। प्रतीक्षा करिए, आगे भी उन्हें दंड मिलेगा।
संभल में खुदाई के दौरान मंदिर निकलने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने राष्ट्र में सौहार्द्र बनाए रखने के लिए मंदिर-मस्जिद की बात करने से बचने का सुझाव दिया था, आपने उस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, आपकी क्या अपेक्षा है?
मेरी व्यक्तिगत कोई अपेक्षा और लालसा नहीं है। मैं सनातन धर्म का धर्मगुरु हूं। उसके नाते जो प्रतिक्रिया देनी थी, उसे दे चुका हूं। अब कुछ नहीं कहना चाहता।
आप किन-किन मंदिरों को चाहते हैं?
जो प्रमाणित मंदिर हैं, वह सभी सनातन धर्मावलंबियों को मिलने चाहिए। हम दूसरे के धर्म स्थल को न गिराने की मांग कर रहे हैं, न कब्जा करना चाहते हैं, लेकिन जो हमारी प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें दूसरे धर्मस्थल के रूप में परिवर्तित किया गया है वह हमें मिलने चाहिए। उसके लिए कानूनी आधार पर लड़ाई लड़ी जा रही है।
प्रमाणित मंदिर का आशय क्या है?
जिनका हमारे आराध्यों से सीधा संबंध है, वह प्रमाणित मंदिर हैं। जो सदियों पुराने मंदिर हैं वह प्रमाणित हैं। श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या की तरह मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ के मंदिर प्रमाणित हैं। देश भर में ऐसे सैकड़ों आराधना स्थल हैं, जिन्हें नष्ट करके नया ढांचा दिया गया है। इन्हें कानूनी लड़ाई लड़कर प्राप्त किया जाएगा।
मठ-मंदिरों की सुरक्षा के लिए कुछ संत सनातन बोर्ड गठन करने की मांग कर रहे हैं, आप उसके समर्थन में हैं अथवा विरोध में?
मैं अभी इस विषय में कुछ नहीं बोलूंगा। पहले धर्म संसद हो जाए फिर अपना वक्तव्य दूंगा।
वर्ष 2019 के कुंभ में आपने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्णय जल्द और हिंदुओं के पक्ष में आने की भविष्यवाणी की थी। वह सत्य हुई। अब क्या भविष्यवाणी करेंगे?
भारत अखंड बनेगा। गुलाम कश्मीर जल्द भारत का अभिन्न अंग बनेगा। भारत का वैभव पूरी दुनिया में बढ़ता जाएगा। यही मेरी भविष्यवाणी है।
यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होगी, बांग्लादेश में हिंदू मारकर भगाए जा रहे हैं, हर पड़ोसी देश से भारत का संबंध खराब है, फिर आपके अखंड भारत की भविष्यवाणी कैसे पूरी होगी?
(हल्की मुस्कुराहट के साथ) मेरी अभी तक सारी भविष्यवाणी पूरी हुई है। उसी तरह यह भी पूर्ण होगी, आप धैर्य रखिए। उसका समय जल्द आएगा। बांग्लादेश में जो हो रहा है वह गलत है। मैंने उसके खिलाफ आवाज उठाई है। वहां की स्थिति जल्द सुधरेगी।
बांग्लादेश के मामले में सरकार की कार्रवाई से आप संतुष्ट हैं?
सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं के ऊपर हो रहे अत्याचार पर प्रतिरोध किया है, लेकिन मेरी अपेक्षा है कि उसके लिए कठोर हस्तक्षेप किया जाए। इससे हिंदुओं का मनोबल बढ़ेगा, क्योंकि हम हिंदुओं के ऊपर अत्याचार सहन नहीं कर सकते।
सनातन धर्म के सामने आप क्या चुनौती मानते हैं?
मतांतरण, आपसी भेदभाव बड़ी समस्या है, उसके खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। हिंदुओं को एकजुट करने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चला रहा हूं।
भारत में लाखों-करोड़ों धर्मगुरु हैं, फिर मतांतरण क्यों हो रहा है, क्या धर्मगुरुओं की सक्रियता कम है?
मैं आपकी बात से सहमत हूं। धर्मगुरुओं की अपेक्षा के अनुरूप सक्रियता नहीं है, जिसकी वजह से मतांतरण हो रहा है। इधर, उसके खिलाफ जाग्रति बढ़ी है। आमजन पहले की अपेक्षा सचेत हुए हैं।
गो हत्या और संस्कृत भाषा की उपेक्षा को संत आज बड़ा मुद्दा बता रहे हैं, आप उससे सहमत हैं?
जी हां, गो हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए। उसके लिए सरकार कड़ा कदम उठाए। रही बात संस्कृत भाषा की तो उसकी उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। मैंने चित्रकूट में संस्कृत गुरुकुलम खोली है। मैंने संस्कृत को लेकर त्रिभाषा का फार्मूला दिया है। इसमें हर छात्र के लिए संस्कृत पढ़ना अनिवार्य है। सरकार को उसे लागू करना चाहिए।
राष्ट्रीय एकता के लिए देश में कॉमन सिविल कोड लागू करने की मांग उठ रही है। आपका क्या मत है?
मैं भी चाहता हूं कि देश में कॉमन सिविल कोड लागू हो। भारत लोकतांत्रिक देश है। कानून सबके लिए बराबर है फिर जाति-धर्म के नाम पर किसी को अतिरिक्त सुविधा नहीं मिलनी चाहिए।
गुरु बनाते हैं भाग्य
संसार में भाग्य बनाने का काम सिर्फ गुरु करते हैं। गुरुदेव की कृपा माटी को सोना बना सकती है। गुरु का कोई स्वार्थ नहीं होता। गुरु के प्रति आदर का भाव रखना चाहिए। उनके प्रति समर्पण कम नहीं होना चाहिए। गुरु के प्रति जितना समर्पण होगा, उतना अधिक भाग्योदय होगा। समर्पण ही हमारी सफलता आ आधार है।
भगवान के प्रति यदि आपमें ममता है तो यही प्रेम का वास्तविक रूप है। पूरे विश्व की सारी ममता राघव और माधव में समाहित होनी चाहिए। प्रभु से इतना प्रेम करें, जितना कोई गृहस्थ अपने बेटे से करता है। प्रभु पर इतना विश्वास करो, जितना अपने मित्रों से करते हो, परिजनों से करते हो और डर भी आवश्यक है। डर इस प्रकार का होना चाहिए जैसा स्वामी से होता है। बच्चों से प्रेम होना चाहिए। बच्चों को देख भगवान का स्मरण हो जाता है। भगवान के बालरूप की उपासना हो।
राष्ट्र के प्रति रहें समर्पित
भारत सदियों पहले विश्व को राह दिखाता था। गुलामी के कालखंड में उसका स्वरूप बिगाड़ा गया। हमारे संसाधनों की लूट हुई। सनातन धर्म का अस्तित्व खत्म करने के लिए लोभ और क्रूरता का सहारा लिया गया। इसके चलते राष्ट्र के कई टुकड़े हुए। अब स्थिति बदल गई है। हर सनातनी को अपने धर्म और संस्कृति पर गर्व करते हुए राष्ट्र सर्वोपरि की भावना से काम करना चाहिए।
पवित्र नदियों का स्वयं करें संरक्षण
भारत में नदियां पूज्यनीय हैं। इसके बावजूद उनकी दशा खराब है। गंगा और यमुना को प्रदूषित किया जा रहा है। सरकार नदियों को निर्मल बनाने का प्रयास कर रही है, लेकिन उसमें जनभागीदारी चाहिए। हमें संकल्प लेना होगा कि नदियों में कोई गंदगी नहीं डालेंगे। अगर कोई डालता है तो उसे रोकेंगे। गंगा-यमुना में नाला का पानी न मिले उसके लिए एकजुट होकर आवाज उठाना होगा। तभी स्थिति में सुधार आएगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।