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    Jagadguru Rambhadracharya: जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने लिखीं 230 पुस्तकें, बाल्यकाल में कंठस्थ हुए वेद; कई संस्थानों की स्थापना की

    By Jeet KumarEdited By: Jeet Kumar
    Updated: Sun, 18 Feb 2024 07:08 AM (IST)

    बाल्यकाल में वेद कंठस्थ करने और अब तक 230 पुस्तकें लिखने वाले 22 भाषाओं के विद्वान तुलसी पीठाधीश्वर पद्मविभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को भारतीय साहित्य का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने पर धर्मनगरी में खुशी की लहर है। नेत्रहीन होते हुए भी उन्होंने कई भविष्यवाणी कीं जो सत्य हुई हैं। जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने विश्व का पहला दिव्यांग विश्वविद्यालय उन्होंने स्थापित किया

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    जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने पर धर्मनगरी में खुशी की लहर

    जागरण संवाददाता, चित्रकूट। बाल्यकाल में वेद कंठस्थ करने और अब तक 230 पुस्तकें लिखने वाले 22 भाषाओं के विद्वान तुलसी पीठाधीश्वर पद्मविभूषण जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को भारतीय साहित्य का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने पर धर्मनगरी में खुशी की लहर है। नेत्रहीन होते हुए भी उन्होंने कई भविष्यवाणी कीं, जो सत्य हुई हैं।

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    पीएम मोदी ने किया था जगद्गुरु की पुस्तकों का विमोचन

    जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने विश्व का पहला दिव्यांग विश्वविद्यालय उन्होंने स्थापित किया, जिसे राज्य सरकार ने अपने अधीन कर लिया लेकिन वह उसके आजीवन कुलाधिपति हैं। आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक, दार्शनिक, लेखक, संगीतकार, गायक व नाटककार के साथ 22 भाषाओं के विद्वान जगद्गुरु की तीन पुस्तकों का विमोचन पिछले साल चित्रकूट आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुलसीपीठ में किया था।

    विमोचित पुस्तकों में पाणिनी अष्टाध्यायी पद वृतित्यी, श्रीकृष्ण की राष्ट्रलीला और श्रीरामानंदाचार्य चरितम: महाकाव्य है। संस्कृत में नौ हजार पृष्ठ के महाकाव्य में 27 सर्ग है। जगद्गुरु ने नेत्र दिव्यांग होते हुए भी कई भविष्यवाणियां कीं, जो सत्य हुई हैं।

    विश्व का पहला दिव्यांग विश्वविद्यालय स्थापित किया

    विश्व का पहला दिव्यांग विश्वविद्यालय उन्होंने स्थापित किया है जिसे राज्य सरकार ने अपनी अधीन कर लिया है। विश्वविद्यालय के वह आजीवन कुलाधिपति हैं। जगद्गुरु जब दो माह के थे, तब आंखों में ट्रेकोमा संक्रमण होने से उनकी रोशनी चली गई थी।

    एम्स में हुई जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य की सर्जरी

    एम्स में जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य के हृदय की सर्जरी हुई। शुक्रवार को एम्स के सीटीवीएस (कार्डियोथेरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी) विभाग के डाक्टरों ने सर्जरी कर हृदय का वाल्व बदला। एम्स के एक वरिष्ठ डाक्टर ने बताया कि उनके स्वास्थ्य में सुधार है और वह ठीक हैं। अगले कुछ दिनों में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है। वह 13 फरवरी से कार्डियक न्यूरो सेंटर (सीएनसी) में भर्ती हैं।

    राम जन्मभूमि के मुकदमे में दी थी अहम गवाही

    रामभद्राचार्य की सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि मामले में गवाही सुर्खियां बनी थीं। उन्होंने वेद-पुराणों के उदाहरणों के साथ अयोध्या के विवादित स्थल में श्रीराम जन्मभूमि के साक्ष्य दिए थे। जगद्गुरु के बयान ने फैसले का रुख मोड़ दिया था। सुनवाई करने वाले जस्टिस ने इसे भारतीय प्रज्ञा का चमत्कार माना। एक व्यक्ति जो देख नहीं सकता, कैसे वह वेदों और शास्त्रों से विशाल संसार से उदाहरण दे सकते हैं, इसे ईश्वरीय शक्ति ही माना जाता है।

    उपाधि : जगदगुरु के धर्म चक्रवर्ती, महामहोपाध्याय, श्री चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर, जगद्गुरु रामानंदाचार्य, महाकवि, प्रस्थानत्रयी भाष्यकार आदि उपाधियां हैं।

    सम्मान : पद्म विभूषण (2015), देवभूमि पुरस्कार (2011), साहित्य अकादमी पुरस्कार (2005), बादरायण पुरस्कार (2004), राजशेखर सम्मान (2003)।

    इन संस्थानों की स्थापना की

    जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय, तुलसी पीठ, नेत्र दिव्यांगजन के लिए तुलसी प्रज्ञाचक्षु विद्यालय, जगदगुरु रामभद्राचार्य विकलांग सेवा संघ व कांच मंदिर।