प्रयागराज में जैविक खेती का श्रीगणेश, किसानों को मिलेगा प्रति एकड़ अनुदान, ये किसान रासायनिक उर्वरक का नहीं करेंगे प्रयोग
प्रयागराज में 3 हजार बीघा भूमि पर जैविक खेती की शुरुआत हुई है। किसानों को जैविक बीज और खाद तैयार करने के लिए प्रति एकड़ 4 हजार रुपये का अनुदान मिल रहा है। मुंडेरा मंडी में जैविक बाजार भी खोला गया है। यहां किसान सीधे अपनी उपज बेच सकते हैं। इस पहल से 1800 किसान जुड़े हैं।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। अनाज में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग रोकने को सरकार जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। प्रयागराज मंडल में 2,200 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य है। क्लस्टर में खेती करने के लिए किसानों को प्रशिक्षण देकर जैविक बीज, जैविक खाद तैयार करने के लिए चार हजार प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दिया जा रहा है।
जैविक खेती से किसानों उपज के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके लिए प्रयागराज शहर के मुंडेरा मंडी जैविक बाजार भी खोल दिया गया है। इस बाजार में किसान सीधे अपना जैविक उपज बेच सकेंगे।
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नेशनल मिशन आन नेचुरल फार्मिंग योजना में नदियों के तटीय क्षेत्रों में ग्राम पंचायत स्तर पर 50 से 60 हेक्टेयर का एक क्लस्टर बनाकर जैविक खेती शुरू कराई गई है।मंडल के चारों जिलों के लिए लक्ष्य आवंटित कर दिया गया है। प्रयागराज में लगभग 665 हेक्टेयर में जैविक खेती शुरू करा दी गई है।
जसरा में सात और भगवतपुर ब्लाक में पांच क्लस्टर बनाए गए हैं। प्रत्येक क्लस्टर में 150 किसानों को जोड़ा गया है। इसके लिए चयनित किसानों को कृषि विज्ञानियों से प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। इसमें उन्हें गाय के गोबर, गोमूत्र एवं नीम की पत्तियों से तैयार किए जाने वाले विभिन्न जैविक घोलों एवं उत्पादों-जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, निमास्र, ब्रह्मास्त्र, अनिस्र, दशपर्णी अर्क तैयार करने की विधि और प्रयोग का तरीका सिखाया जा रहा है।
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ये जैविक घोल फसलों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ मिट्टी की उर्वरता बनाए रखते हैं। फसलों को प्राकृतिक पोषण प्रदान करते हैं। इसके साथ ही रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से होने वाले मिट्टी, जल एवं स्वास्थ्य पर दुष्प्रभावों को कम करने में सहायक सिद्ध होते हैं।
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