Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Allahabad High Court : एनआइए डीएसपी की सपत्नीक हत्या के मामले में हाई कोर्ट का खंडित निर्णय, क्या सुनाया गया फैसला?

    By Jagran News Edited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Sun, 14 Dec 2025 01:16 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एनआइए डीएसपी और उनकी पत्नी की हत्या के मामले में एक खंडित फैसला सुनाया है। एक न्यायाधीश ने दोषी रैयान की फांसी की सजा को बरकरार ...और पढ़ें

    Hero Image

    एनआइए डीएसपी और उनकी पत्नी की हत्या मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ में अलग-अलग फैसला सुनाया गया है। 

    विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के डीएसपी रहे मोहम्मद तंजील और उनकी पत्नी फरजाना की हत्या के मामले में अभियुक्त की फांसी के खिलाफ अपील पर खंडित फैसला सुनाया है। एक न्यायमूर्ति ने मुख्य दोषी रैयान की दोषसिद्धि को बरकरार रखा लेकिन मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वहीं दूसरे न्यायमूर्ति ने संदेह से परे अपराध साबित न होने के आधार पर अभियुक्त को बरी कर दिया। खंडपीठ के दो न्यायमूर्तियों में फैसले की मतैक्यता न होने के कारण अपील मुख्य न्यायायाधीश को उचित बेंच नामित करने के लिए भेज दिया गया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति हरवीर सिंह की खंडपीठ ने रैयान की अपील पर दिया है।

    थाना स्योहारा , बिजनौर के मोहम्मद रागिब ने 3 अप्रैल 2016 को षड्यंत्र व भाई की हत्या के आरोप में एफआइआर दर्ज कराया था। आरोप था कि भांजी की शादी से देर रात लौटते समय तंजील व पत्नी फरजाना पर रास्ते में मोटरसाइकिल सवार दो बदमाशों ने अंधाधुंध फायरिंग की। इस हादसे में दोनों की मौत हो गई। ट्रायल कोर्ट ने हमलावर मुनीर और रैयान को हत्या का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई । इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई। अपील के लंबित रहने के दौरान मुनीर की मौत हो गई। रैयान की अपील की सुनवाई की गई।

    दलील दी कि अभियोजन पक्ष अभियुक्त के खिलाफ संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा है। पहचान और आपराधिक साजिश से संबंधित साक्ष्यों पर गंभीर संदेह उठाया। कहा कि यदि दोषसिद्धि कायम भी रहती है, तो यह मामला "दुर्लभ में दुर्लभतम" श्रेणी में नहीं आता है। इसलिए अपराध साबित होने पर उम्रकैद की सजा दी जाय।या संदेह का लाभ देकर बरी किया जाए।

    राज्य सरकार की दलील थी कि अभियुक्तों ने सुनियोजित साजिश के तहत एनआइए अधिकारी और उनकी पत्नी की अंधाधुंध गोली चलाकर निर्मम हत्या की है। हत्या का मकसद और परिस्थितिजन्य साक्ष्य की श्रृंखला दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त है। यह एक दुर्लभतम मामला है क्योंकि अपराध की प्रकृति बेहद जघन्य है और यह समाज पर गंभीर प्रभाव डालता है। ट्रायल कोर्ट के मृत्युदंड की पुष्टि करने की मांग की।

    पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति हरवीर सिंह ने ट्रायल कोर्ट की दोषसिद्धि को सही ठहराया, लेकिन मृत्युदंड को कम करके आजीवन कारावास में बदल दिया। वहीं, न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने अभियुक्त रैयान को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का मत व्यक्त किया। दोनों न्यायाधीशों की अलग-अलग राय होने के कारण मामले को अंतिम सुनवाई और निर्णय के लिए मुख्य न्यायाधीश को रेफर कर दिया गया।अब अन्य तीसरे न्यायमूर्ति को अंतिम फैसले के लिए अपील भेजी जाएगी।

    यह भी पढ़ें- प्रयागराज में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष के बेटे पर जानलेवा हमला, लोहे के राड और बंदूक की बट से पिटाई की गई

    यह भी पढ़ें- प्रयागराज में दर्दनाक हादसा, पुल से यमुना नदी में गिरने से मजदूर की मौत, DFC रेलवे ब्रिज पर कार्य करते समय पैर फिसला था