बैंकॉक के आसमान में लहराया महाकुंभ का झंडा, 13,000 फीट की ऊंचाई पर प्रयागराज की अनामिका बोलीं- जय श्रीराम
Mahakumbh 2025 बैंकाक के आसमान में 13000 फीट की ऊंचाई से दिव्य भव्य और डिजिटल महाकुंभ का आधिकारिक ध्वज लहराया गया। प्रयागराज की अनामिका शर्मा ने ध्वज के साथ विमान से छलांग लगाई। जमीन की ओर बढ़ते हुए जय श्रीराम जय प्रयागराज का उद्घोष किया। आसमान से ही उन्होंने पूरे विश्व को महाकुंभ में प्रयागराज आने का निमंत्रण भी दिया।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों के बीच एक अद्वितीय घटना ने पूरे देश को गौरवान्वित कर दिया है। प्रयागराज की युवा सनातनी अनामिका शर्मा ने बैंकॉक में स्काई डाइविंग किया। बैंकॉक के आसमान में 13 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई।
इस दौरान उन्होंने आठ जनवरी को महाकुंभ का आधिकारिक झंडा लहराते हुए दुनिया को इस महाकुंभ में आने का निमंत्रण भी दिया। आसमान से नीचे आते हुए उन्होंने जय श्रीराम और जय प्रयागराज का उद्घोष किया। अनामिका की इस छलांग ने विश्व के कोने-कोने में बसे भारतीयों का माथा गर्व से ऊंचा कर दिया।

13 हजार फीट की ऊंचाई से लगाई थी छलांग
इससे पहले अनामिका ने 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर "जय श्रीराम" के नारों के साथ बैंकॉक में ही 13 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई थी। दैनिक जागरण से फोन पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं भारतीय हूं।
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खुद पर गर्व करती हैं अनामिका
अनामिका ने कहा कि महाकुंभ तो विश्व का सबसे बड़ा मानव कल्याण का आयोजन है। हमारी परंपरा रही है कि जब भी विश्व कल्याण के लिए कोई आयोजन होता है तब भारत के सभी प्राणी सर्वश्रेष्ठ योगदान करते हैं। मैं तो फिर भी गर्व से कहती हूं कि मैं भारत की बेटी हूं।

प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर भी फहराया था झंडा।
अनामिका ने बताया कि महाकुंभ की समाप्ति के बाद महिला सशक्तिकरण के लिए वह गंगा- जमुना- सरस्वती के संगम में पानी पर आठ मार्च से पहले लैंड करेंगी। पिता पूर्व वायु सैनिक अजय कुमार शर्मा ने बेटी की उपलब्धि पर खुशी व्यक्त की है।
संन्यासपथ पर ले आई मां की निशानी, इटली से आईं प्रयागराज
यह कहानी है स्वभाव से विद्रोही और हर रविवार चर्च जाने वाली इटली के सोंद्रियो शहर के ईसाई परिवार में जन्मीं एंजेला की। 17 वर्ष की उम्र में मां का निधन हुआ। एक दिन अचानक उन्हें मां के कपड़ों के बीच लिपटा मिला हिंदू धर्म का संस्कृत ग्रंथ अवधूत गीता। अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों पर आधारित दत्तात्रेय द्वारा रचित 289 श्लोकों का इस ग्रंथ को मां की निशानी समझकर एंजेला ने इसका अध्ययन शुरू कर दिया।
फर्राटेदार फ्रेंच लिखने-बोलने व समझने वाली एंजेला संस्कृत में थोड़ा भी दक्ष नहीं थीं। दूसरों की मदद से दो वर्ष में जब इन्होंने पूरी किताब पढ़ डाली तो वह संन्यासपथ की तरफ चल पड़ीं। 1994 में पहली बार टूरिस्ट वीजा पर भारत आईं एंजेला की पहचान अब अंजना गिरी है और पता है श्री पंच दशनाम शंभू अटल अखाड़ा। इस वक्त वह महाकुंभ में आई हैं।
अंजना गिरी बताती हैं अवधूत गीता के अध्ययन के दौरान उनके मन में ईश्वर को जानने और सनातन धर्म को समझने की आग भड़क चुकी थी। साथियों की मदद से उन्होंने परमहंस योगानंद और जी कृष्णमूर्ति को भी पढ़ना शुरू किया। यह सब करीब तीन साल तक चलता रहा। अब वह दक्ष हो चुकी हैं।

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