Maha Kumbh: निरंजनी अखाड़े में स्वामी सादिपेन्द्र, स्वामी जय गिरि बनाए गए महामंडलेश्वर, पंचपरमेश्वरों ने किया पट्टाभिषेक
महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े में दो नए महामंडलेश्वर बनाए गए। स्वामी सादिपेन्द्र गिरि नलखेड़ा बंगलामुखी पीठ मध्य प्रदेश और स्वामी जय गिरि को यह पदवी देते हुए अखाड़े के पंच परमेश्वरों ने पट्टाभिषेक किया। महामंडलेश्वर का पद सम्मानजनक और महत्वपूर्ण होता है। यह सम्मान उन संतों को दिया जाता है जो अपने धार्मिक जीवन सेवा और साधना में उच्चतम मानक स्थापित कर लेते हैं।

जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। निरंजनी अखाड़े में सोमवार को दो नए महामंडलेश्वर बनाए गए। स्वामी सादिपेन्द्र गिरि नलखेड़ा बंगलामुखी पीठ मध्य प्रदेश और स्वामी जय गिरि को यह पदवी देते हुए अखाड़े के पंच परमेश्वरों ने पट्टाभिषेक किया। इन दोनों संतों को महामंडलेश्वर बनाए जाने का निर्णय एक विशेष धार्मिक कार्यक्रम के दौरान लिया गया था।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने बताया कि निरंजनी अखाड़े की छावनी में संत सादिपेन्द्र गिरि और स्वामी जय गिरि को महामंडलेश्वर बनाया गया है।
कहा अखाड़ों के संत धर्म के प्रमुख प्रचारक होते हैं। अखाड़े हिंदू धर्म में धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के केंद्र होते हैं, जहां साधु-संत एकत्र होते हैं। वहां मुख्य उद्देश्य धार्मिक ज्ञान, ध्यान, साधना और समाज में धर्म का प्रचार करना होता है। लोगों को संत धार्मिक शिक्षा देते हैं। त्याग और तपस्या का पालन करने के लिए प्रेरित करते हैं, समाज में नैतिकता और धर्म का महत्व भी बताते हैं।
अखाड़ों में महामंडलेश्वर बनाने की प्राचीन परंपरा
आनंद अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि ने कहा कि अखाड़ों में महामंडलेश्वर बनाने की प्राचीन परंपरा है। जो विशेष रूप से हिंदू साधु-संतों के बीच प्रचलित है। अखाड़े के पंचपरमेश्वरों (जो कि प्रमुख संत होते हैं) द्वारा किसी संत को महामंडलेश्वर का पद सबकी सहमति से दिया जा सकता है।
कहा कि महामंडलेश्वर का पद सम्मानजनक और महत्वपूर्ण होता है, जो साधु-संतों के बीच विशेष आध्यात्मिक और धार्मिक प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। यह सम्मान उन संतों को दिया जाता है जो अपने धार्मिक जीवन, सेवा और साधना में उच्चतम मानक स्थापित कर लेते हैं।
कई संत समाज सुधारक
निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरि ने कहा कि अखाड़े न केवल धार्मिक गतिविधियों का संचालन करते हैं, बल्कि समाज में अच्छे आचरण और सामाजिक न्याय की दिशा में भी काम करते हैं। इनमें से कई संत समाज सुधारक होते हैं और जातिवाद, अंधविश्वास, अन्य सामाजिक बुराइयों के विरोध में बोलते हैं।
इस अवसर पर निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी चित्तप्रकाशनंद गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानन्द गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी महेशानन्द गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी सुरेन्द्र गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी राजेंद्र गिरि, महामंडलेश्वर माता सती गिरि, महामंडलेश्वर निरंजन ज्योति गिरि आदि संत उपस्थित रहे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।