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    Maha Kumbh 2025: तिलक में छिपा है संत परंपरा का रहस्य, इसके फायदे जानकर हो जाएंगे हैरान

    तिलक सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। माथे पर तिलक लगाने से एकाग्रता बढ़ती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसी प्रकार वैष्णव संप्रदाय के संत 64 प्रकार से तिलक लगाते हैं। विष्णु स्वामी तिलक और रामानंद तिलक प्रमुख रूप से लगाया जाता है।जानिए तिलक लगाने के पीछे छिपे रहस्यों और परंपराओं के बारे में।

    By Sharad Dwivedi Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 01 Jan 2025 11:55 AM (IST)
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    तिलक में परंपरा व पंथ का रहस्य छिपा है। जागरण

    जागरण संवाददाता, महाकुंभ। वस्त्र (भगवा, सफेद व पीला), कंठी-माला के साथ माथे के मध्य (बीच) में लगा तिलक संतों की पहचान है। इसमें सबसे खास है तिलक, जिसमें उनकी परंपरा व पंथ का रहस्य छिपा है। तिलक का अर्थ पूजा के समय माथे पर लगाए जाने वाला शुभ चिह्न है। हर तिलक का अलग-अलग महत्व है। संत कुमकुम, चंदन, हल्दी व भस्म का तिलक लगाते हैं। मान्यता है कि माथे के मध्य भाग में तिलक लगाने से एकाग्रता, संयम, आत्म शक्ति में वृद्धि होती है।

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    सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव सहित अन्य प्रमुख संप्रदाय के संत हैं। सभी माथे पर तिलक लगाते हैं। शैव संप्रदाय के संत ललाट पर चंदन की आड़ी रेखा या त्रिपुंड लगाते हैं। वहीं, शाक्त सिंदूर का तिलक लगाते हैं। इसे उग्रता का प्रतीक माना जाता है, जिससे साधक की शक्ति व तेज में वृद्धि होती है। इसी प्रकार वैष्णव संप्रदाय के संत 64 प्रकार से तिलक लगाते हैं।

    इनमें से प्रमुख श्री तिलक है। जो चंदन के तिलक के बीच कुमकुम या हल्दी की खड़ी रेखा बनती है। वहीं, श्यामश्री तिलक को भगवान श्रीकृष्ण के उपासक धारण करते हैं। इसमें चंदन के बीच काले रंग की मोटी रेखा होती है। विष्णु स्वामी तिलक और रामानंद तिलक प्रमुख रूप से लगाया जाता है।

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    विष्णु स्वामी तिलक दो चौड़ी खड़ी रेखाओं से बनती है यह तिलक दोनों भौहों के बीच तक लगाया जाता है। रामानंद तिलक धारण करते समय विष्णु स्वामी तिलक के बीच में कुमकुम की खड़ी रेखा खींची जाती है। इसके साथ साथ गणपत्य, तांत्रिक, कापालिक सहित तिलक के अनेक प्रकार हैं।

    सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है तिलक

    श्रीमनकामेश्वर महादेव मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी के अनुसार तिलक न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। तिलक का प्रयोग करने से हमारे मस्तिष्क की तंत्रिकाएं शांत मुद्रा में रहती हैं। इससे सिरदर्द जैसी गंभीर समस्या दूर रहती है। अनिद्रा या तनाव हाेने पर माथे के बीच में मालिश करके चंदन का तिलक लगाना चाहिए।

    बताया कि तिलक लगाने से व्यक्ति की एकाग्रता शक्ति बढ़ती है और शरीर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। इससे आज्ञा चक्र की शुद्धि होती है। ज्ञान की प्राप्ति होती है। केसर का तिलक लगाने से मस्तिष्क को शीतलता प्राप्त होती है। वहीं, चंदन का तिलक दिमाग को शीतलता प्रदान करता है। इससे मानसिक शांति बनी रहती है। भस्म का तिलक लगाने से मस्तिष्क विषाणुओं से मुक्त रहता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह निरंतर बना रहता है।

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    तिलक में उंगलियों का महत्व

    शास्त्रों के अनुसार तिलक लगाने में उंगली का विशेष महत्व होता है। जो व्यक्ति मोक्ष की इच्छा रखते हैं उन्हें अंगूठे से तिलक लगाना चाहिए। धनवान बनने की इच्छा रखने वाले लोग मध्यमा उंगली से तिलक लगाएं। सुख-शांति की प्राप्ति के लिए अनामिका उंगली का प्रयोग करना चाहिए।

    देवताओं को मध्यमा उंगली से तिलक लगाना चाहिए। इसके साथ शत्रु के नाश के लिए या उन पर विजय प्राप्त करने के लिए तर्जनी उंगली से ललाट पर तिलक लगाना चाहिए। हमेशा तिलक को अनामिका यानि छोटी उंगली के बगल वाली उंगली से लगानी चाहिए। दूसरे के माथे पर तिलक लगाते समय व्यक्ति को अंगूठे का प्रयोग करना चाहिए। यही सही विधि है।