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    Maha Kumbh 2025: मुगल शासक जहांगीर का वश चलता तो न होता संगमनगरी का अक्षयवट, हिंदुओं की आस्था का है प्रमुख केंद्र

    Updated: Thu, 26 Dec 2024 03:49 PM (IST)

    Maha Kumbh 2025 अक्षयवट की महिमा का वर्णन पुराणों में मिलता है। मुगल शासक जहांगीर ने अत्याचारों के साथ ही अक्षयवट को जड़ से मिटाने का भी कुप्रयास किया था। हकीम शम्स उल्ला कादरी की पुस्तक तारीख-ए-हिंद में इसका उल्लेख है। जहांगीर ने अक्षयवट को कटवाकर लोहे की चादर से ढक दिया था लेकिन इसकी कोंपलें फिर भी पनप गईं। अक्षयवट हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है।

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    Maha Kumbh 2025: इतिहास समेटा है अक्षयवट। जागरण

    जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। Maha Kumbh 2025: सृष्टि के आदि से अनंत तक अक्षयवट की महिमा का पुराणों में बखान है। अग्निपुराण, पदमपुराण, वायुपुराण, ब्रह्मपुराण में अक्षयवट के बारे में जानकारी मिलती है। महाकुंभ 2025 में इस वृक्ष का दर्शन श्रद्धालुओं को कराने के लिए योगी सरकार बड़ी पहल कर रही है। मुगल शासक जहांगीर का वश चलता तो यह अक्षयवट होता ही न।

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    जहांगीर ने हिंदुओं पर अत्याचार तो किए ही, अक्षयवट को जड़ से मिटा देने का कुप्रयास किया था। हकीम शम्स उल्ला कादरी कादरी के द्वारा 1878 में उर्दू में लिखी गई पुस्तक तारीख-ए-हिंद में इसका उल्लेख प्रमुखता से किया गया है।

    शम्स उल्ला कादरी ने लिखा कि जहांगीर ने अक्षयवट (अखय वढ़ लिखा गया) को कटवा दिया था। उस स्थान को लोहे की मोटे चादर वाले तवा से ढंकवा दिया था ताकि वृक्ष दोबारा न निकले, लेकिन इसकी कोंपलें फिर भी पनप गईं। लिखा यह भी कि हिंदुओं में इसकी बड़े तीर्थ के रूप में मान्यता है।

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    शम्स उल्ला कादरी ने पुस्तक में यह भी लिखा है कि किले के पास दो नदियां आकर मिलती हैं। किले के भीतर से एक सोता (स्रोत) निकला था जहां से एक और धारा निकलती थी, संभवत: यह सरस्वती है।

    Maha Kumbh 2025 जहांगीर ने अक्षयवट को कटवा दिया था। जागरण


    मध्यकालीन इतिहासकार प्रो. योगेश्वर तिवारी कहते हैं कि जहांगीर ने अक्षयवट को कटवाया ही नहीं बल्कि जड़ समेत जला भी दिया था। उसने हिंदुओं का कत्ल-ए-आम कराया था। अपने शासन में जहांगीर ने अक्षयवट पर यह प्रहार तब किया था जबकि उसे मालूम था कि यह हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। उस समय तमाम लोग मोक्ष की प्राप्ति के लिए अक्षयवट के पास जाते थे।

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    सनातन धर्म में अक्षयवट का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि जब धरती पर प्रलय आई थी, सबकुछ जलमग्न हो गया था तब अक्षयवट ही ऐसा था जिसे जलजला डुबो नहीं पाया था।

    प्रभारी अधिकारी क्षेत्रीय अभिलेखागार गुलाम सरवर ने बताया कि तारीख-ए-हिंद की पांडुलिपि अभिलेखागार में दुर्लभ संग्रह है। इसके पन्नों पर अक्षयवट के बारे में बहुत गहराई से उल्लेख किया गया है। अक्षयवट हिंदुओं की आस्था का केंद्र है इसे मानते हुए ही शम्स उल्ला कादरी ने पुस्तक में प्रमुखता से जहांगीर और उसके द्वारा हुए प्रहार की घटना का उल्लेख किया था।