Maha Kumbh 2025 के प्रबंधन पर हुआ शोध रखेगा सुधारों की नींव, शोधकर्ताओं को आमंत्रित करेगा IIT
Maha Kumbh 2025 में वैश्विक शोध और प्रबंधन अध्ययन का आयोजन किया गया। हार्वर्ड स्टैनफोर्ड क्योटो विश्वविद्यालय जैसे वैश्विक संस्थानों के साथ आइआइटी आइआइएम एम्स जैसे संस्थानों के विशेषज्ञों ने महाकुंभ के प्रबंधन अस्थायी नगरी की संरचना पर्यावरणीय प्रभाव स्वास्थ्य सेवाएं यातायात और सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तनों पर अध्ययन किया। इस शोध से प्राप्त निष्कर्ष भविष्य में बड़े आयोजनों की रणनीतियों को और अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेंगे।

मृत्युंजय मिश्र, महाकुंभ नगर। Maha Kumbh 2025: वैश्विक शोध और प्रबंधन अध्ययन की प्रयोगशाला बना महाकुंभ अब अपने अंतिम चरण में है। हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, क्योटो विश्वविद्यालय जैसे वैश्विक संस्थानों के साथ आइआइटी, आइआइएम, एम्स जैसे संस्थानों के विशेषज्ञों ने महाआयोजन के प्रबंधन, अस्थायी नगरी की संरचना, पर्यावरणीय प्रभाव, स्वास्थ्य सेवाएं, यातायात और सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तनों पर अध्ययन किया।
विशेषतौर पर प्रमुख स्नान पर्वों पर यातायात प्रबंधन, स्नान प्रबंधन, श्रद्धालुओं की सुरक्षा शोध का विषय हैं। महाकुंभ में डटे सैकड़ों शोधकर्ताओं ने अध्ययन का अधिकांश भाग पूरा कर लिया है और इसको अंतिम रूप दे रहे हैं। स्पष्ट है कि महाकुंभ के प्रबंधन पर किया गया वैश्विक शोध सुधारों की नींव बनेगा और भविष्य में बड़े आयोजनों की रणनीतियों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेेगा।
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में बसाई गई अस्थायी नगरी को एक आधुनिक शहरी नियोजन के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है। आइआइटी मद्रास, बीएचयू और एमएनएनआइटी यातायात प्रबंधन, अस्थायी पुलों, पार्किंग सुविधाओं और भीड़ नियंत्रण पर संयुक्त शोध कर रहे हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार यह अध्ययन महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में भी उपयोगी साबित हो सकते हैं।
Maha Kumbhमें गंगा स्नान के दौरान झुंड में दिखा साइब्रेरीन पक्षी । भैरव जायसवाल
इसे भी पढ़ें- Varanasi News: छह माह में करें कुंभ अध्ययन का सर्टिफिकेट कोर्स, रहस्य और परंपराओं की मिलेगी खास जानकारी
दूसरी ओर गंगा और यमुना के जल की शुद्धता को बनाए रखना महाकुंभ के दौरान सबसे बड़ी चुनौती होती है। लाखों श्रद्धालुओं के स्नान और अपशिष्ट प्रबंधन की जटिलताओं को समझने के लिए आइआइटी मद्रास और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने अध्ययन लगभग पूरा कर लिया है और अब निष्कर्षों पर काम कर रहे हैं।
वहीं इस वैश्विक शोध में शामिल संस्थानों के शोधकर्ताओं ने ड्रोन और सैटेलाइट इमेजिंग का उपयोग कर डेटा एकत्र किया है। आइआइटी कानपुर द्वारा इंटरनेट मीडिया की भूमिका, डेटा प्रबंधन और साइबर सुरक्षा पर किया गया शोध भविष्य में डिजिटल गवर्नेंस और बड़े आयोजनों की सुरक्षा नीतियों को विकसित करने में सहायक हो सकता है।
वहीं श्रद्धालुओं की पर्यावरणीय जागरूकता को लेकर शोध कर रहा संस्कृति फाउंडेशन हैदराबाद यह समझने का प्रयास कर रहा है कि क्या तीर्थयात्री प्लास्टिक उपयोग, कचरा प्रबंधन और नदी स्वच्छता के प्रति संवेदनशील हैं। इसके आधार पर जागरुकता अभियानों की रणनीति तैयार की जाएगी।
Maha Kumbh Mela 2025 में बैठे नागा संन्यासी। भैरव जायसवाल
आपदा प्रबंधन की आधारशिला तैयार करेगा एम्स
महाकुंभ के दौरान लाखों लोगों की भीड़ में आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं का प्रबंधन किसी चुनौती से कम नहीं होता। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ने शोध किया है कि किस प्रकार भीड़ में बीमारियों की रोकथाम की जाए और मेडिकल आपातकालीन स्थितियों को तुरंत नियंत्रित किया जाए। यह अध्ययन अन्य बड़े आयोजनों और आपदा प्रबंधन के लिए भी सहायक होगा।
इसे भी पढ़ें- काशी विद्यापीठ ने 15 फरवरी तक की समस्त परीक्षाएं की स्थगित, इस वजह से प्रशासन ने लिया फैसला
आइआइआइटी करेगा महाकुंभ पर सेमिनार
महाकुंभ आने वाले विदेशी पर्यटकों, कल्पवासियों की सुरक्षा, आधारभूत ढांचे पर शोध कर रहा आइआइआइटी अब अपने निष्कर्षों पर चर्चा के लिए फरवरी के तीसरे सप्ताह में एक राष्ट्रीय सेमिनार करने जा रहा है। इसमें महाकुंभ पर शोध करने वाले संस्थानों को आमंत्रित किया गया है, जहां सभी अपने शोध निष्कर्षाें को साझा करेंगे और इस आधार पर भविष्य का रोडमैप तैयार होगा।
आइआइआइटी के प्रबंधन विभाग के उत्कर्ष गोयल कहते हैं कि आस्था और विज्ञान के इस संगम से निकले निष्कर्ष भविष्य में बड़े आयोजनों और समाज के समग्र विकास की दिशा में नया मार्ग प्रशस्त करेंगे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।