Magh Mela 2026 : पहली बार जारी हुआ माघ मेले का लोगो, सूर्य-चंद्रमा और अक्षयवट की अनूठी झलक दर्शा रही ज्योतिषीय गणना
Magh Mela 2026 पहली बार प्रयागराज माघ मेला का लोगो जारी किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस लोगो का अनावरण किया, जो तीर्थराज प्रयाग, संगम की ...और पढ़ें

Magh Mela 2026 : प्रयागराज माघ मेला का पहली बार लोगो जारी किया गया है, सूर्य-चंद्रमा की 14 कलाओं की उपस्थिति ज्योतिषीय गणना दर्शाती है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Magh Mela 2026 प्रयागराज माघ मेले के इतिहास में पहली बार लोगो जारी हुआ है। मेला के दर्शन तत्त्व को परिलक्षित करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर से माघ मेले का लोगो जारी किया गया है। इस लोगो के अन्तर्गत तीर्थराज प्रयाग, संगम की तपोभूमि तथा ज्योतिषीय गणना के अनुसार माघ मास में संगम की रेती पर अनुष्ठान करने की महत्वता को समग्र रूप से दर्शाया गया है।
लोगो में सूर्य एवं चंद्रमा की 14 कलाओं की उपस्थिति
Magh Mela 2026 सर्वप्रथम लोगो में सूर्य एवं चंद्रमा की 14 कलाओं की उपस्थिति ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य, चंद्रमा एवं नक्षत्रों की स्थितियों को प्रतिबिंबित करता है, जो प्रयागराज में माघ मेले का कारक बनता। भारतीय ज्योतिषीय गणना के अनुसार चंद्रमा 27 नक्षत्रों की परिक्रमा लगभग 27.3 दिनों में पूर्ण करता है। माघ मेला इन्हीं नक्षत्रीय गतियों के अत्यंत सूक्ष्म गणित पर आधारित है। जब सूर्य मकर राशि में होता है और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा माघी या अश्लेषा-पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्रों के समीप होता है, तब माघ मास बनता है और उसी काल में माघ मेला आयोजित होता है।
माघ मेला चंद्र-ऊर्जा की कलाओं के सक्रिय होने का विशेष काल भी
Magh Mela 2026 चंद्रमा की 14 कलाओं का संबंध मानव जीवन, मनोवैज्ञानिक ऊर्जा और आध्यात्मिक साधना से माना गया है। माघ मेला चंद्र-ऊर्जा की इन कलाओं के सक्रिय होने का विशेष काल भी है। अमावस्या से पूर्णिमा की ओर चंद्रमा की वृद्धि (शुक्ल पक्ष) साधना की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई है।
इस माह में किए गए कार्य व्यक्ति को निरोगी बनाते हैं
Magh Mela 2026 माघ स्नान की तिथियाँ चंद्र कलाओं के अत्यंत सूक्ष्म संतुलन पर चुनी जाती हैं। माघ महीने की ऊर्जा (शक्ति) अनुशासन, भक्ति और गहन आध्यात्मिक कार्यों से जुड़ी होती है क्योंकि यह महीना पवित्र नदियों में स्नान, दान, तपस्या और कल्पवास जैसे कार्यों के लिए विशेष माना जाता है। इस माह में किए गए कार्य व्यक्ति को निरोगी बनाते हैं और उसे दिव्य ऊर्जा से भर देते हैं।
महात्मा का चित्र इस देव भूमि में सनातनी परम्परा को दर्शाता है
Magh Mela 2026 प्रयागराज का अविनाशी अक्षयवट, जिसकी जड़ों में भगवन ब्रह्मा जी का, तने में भगवन विष्णु जी का एवं शाखाओं और जटाओं में भगवन शिव जी का वास है, उसके दर्शन मात्र से मोक्ष मार्ग सरल हो जाता हैं। इसी कारण कल्पवासियों में उसका स्थान अद्वितीय है। सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति हैं अतः महात्मा का चित्र इस देव भूमि में सनातनी परम्परा को दर्शाता है जहां चिर काल से ऋषि-मुनि आध्यात्मिक ऊर्जा हेतु आते रहे हैं।
संगम पर साइबेरियन पक्षी पर्यावरण की विशेषता को दर्शाते हैं
माघ मास में किए गए पूजन एवं कल्पवास का पूर्ण फल संगम स्नान के उपरांत श्री लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन से प्राप्त होता है। अतः लोगों पर उनके मंदिर एवं पताका की उपस्थिति माघ मेले में किए गए तप की पूर्णता: की व्याख्या करता है। संगम पर साइबेरियन पक्षियों की उपस्थिति यहां के पर्यावरण की विशेषता को दर्शाता है।
किसने किया लोगो का डिजाइन?
लोगो पर श्लोक "माघे निमज्जनं यत्र पापं परिहरेत् तत:" का अर्थ है माघ के महीने में स्नान करने से सभी पाप मुक्ति हो जाती है। यह लोगो मेला प्राधिकरण द्वारा आबद्ध किए गए डिजाइन कंसल्टेंट श्री अजय सक्सेना एवं प्रागल्भ अजय द्वारा डिजाइन किया गया।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।