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    Prayagraj Leopard Attack : एक तेंदुआ ने उड़ा रखी है सबकी नींद-चैन, पिंजरा लगाया, ट्रेंकुलाइजर टीम आई पर हाथ न आया

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 01:00 PM (IST)

    प्रयागराज के सरायइनायत इलाके में तेंदुए के आतंक से ग्रामीण परेशान हैं। पिछले डेढ़ महीने से तेंदुआ कई गांवों में घूम रहा है जिससे लोगों में दहशत है। दो लोगों पर तेंदुए ने हमला भी किया है जिससे लोग डरे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग केवल कुछ स्थानों पर पिंजरे लगाकर खानापूर्ति कर रहा है। तेंदुआ को पकड़ने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

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    प्रयागराज के गांवों में तेंदुआ का आतंक है वहीं, वन विभाग ने पकड़ने के लिए रखा पिंजरा। जागरण

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। पिछले करीब डेढ़ महीने से सरायइनायत इलाके में एक तेंदुआ ने आतंक मचा रखा है। कभी इस गांव तो कभी उस गांव में वह नजर आया। दो लोगों पर हमला भी कर चुका है। इलाके के करीब आधा दर्जन गांवों में लोगों की नींद उड़ी है। इसे पकड़ने के लगभग सभी प्रयास नाकाम साबित हुए हैं। 

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    ग्रामीणों की मानें तो तेंदुआ ने लोगों का सुख-चैन और रातों की नींद उड़ा दी है लेकिन वन विभाग चंद जगहों पर पिंजरा लगाकर तमाशा देख रहा है। इसे पकड़ने के लिए कोई दूसरा तरीका अपनाया ही नहीं जा रहा है। इससे लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है और दहशत में जी रहे हैं। 

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    सरायइनायत इलाके के दलापुर, ककरा दुबावल, कोटवा, सुदनीपुरकला, मलखानपुर, तिवारीपुर सहित आसपास के दर्जनों गांवों में तेंदुआ ने दहशत फैला रखी है। जमुनीपुर समेत एक अन्य गांव में दो लोग तेंदुए के हमले में जख्मी हो चुके है। इन घटनाओं ने लोगों के होश उड़ा दिए हैं।

    खेत जाना हो या बाजार, हाथ में लाठी या अन्य औजार लेना लोग नहीं भूलते। दलापुर गांव निवासी ज्ञानेंद्र सिंह और ग्राम प्रधान रामचंद्र सोनकर का कहना है कि तेंदुआ कब कहां से निकल कर हमला कर दे, यही चिंता सताती रहती है। घरों से बाहर निकलने में लोग कतरा रहे हैं।

    सबसे ज्यादा खतरा उन बच्चों पर है जो पैदल ही गांव के आसपास के स्कूल में पढ़ने जाते हैं। कुछ लोग खुद उन्हें स्कूल छोड़ने जा रहे हैं तो कुछ लोगों ने तेंदुए के डर से कई दिन बच्चों को स्कूल ही नहीं भेजा। आशुतोष, अमन, रविशंकर और मनोज ने बताया कि तेंदुआ को पकड़ने के नाम पर वन विभाग महज खानापूर्ति कर रहा है। कुछ जगह पिंजरे लगाए गए हैं। तेंदुआ को फंसाने के लिए कभी मांस का टुकड़ा लगाया जाता है तो कभी नहीं।

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    लोगों का कहना है कि जंगली जानवर ज्यादातर जीवित मवेशियों पर हमला करते हैं। इसकी अनदेखी के कारण भी तेंदुआ वन विभाग के शिकंजे में नहीं आ रहा है। यही नहीं आसपास के जंगल वाले इलाके में कांबिंग के नाम पर कोरम पूरा किया जा रहा है। आखिर तेंदुए का पता चलेगा भी तो कैसे। विभागीय लापरवाही के कारण ही लोगों को डीएम की चौखट पर गुहार लगानी पड़ी थी।

    फूलपुर के वन रेंजर लक्ष्मीकांत दुबे का कहना है कि तेंदुआ को पकड़ने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है, लेकिन यह जानवर इतना चालाक है कि जल्दी से सामने आता ही नहीं। इंसानों से यह दूर ही रहता है। फिर भी प्रयास किया जा रहा है। जल्द से जल्द इसे पकड़ लिया जाएगा।