Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    UP News: केपी ट्रस्ट चुनाव पुनर्मतगणना चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह बने विजयी, 14 महीने में हल हुआ एशिया के सबसे बड़े ट्रस्ट का विवाद

    Updated: Sat, 29 Mar 2025 03:53 PM (IST)

    केपी ट्रस्ट के इतिहास में पहली बार चुनाव की पुनर्मतगणना हुई जिसमें चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह को विजयी घोषित किया गया। 25 दिसंबर 2023 को हुए चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए मतदान हुआ था लेकिन मतगणना के दौरान 148 वोटों को अवैध घोषित कर दिया गया था। चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह ने इन वोटों की पुनर्मतगणना की मांग की थी।

    Hero Image
    चौधरी राघवेन्द्र नाथ सिंह साथ में सहायक निबंधक चिट फर्म्स एंड सोसाइटीज कौशलेंद्र सिंह व समर्थक।-जागरण

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। केपी ट्रस्ट के इतिहास में चुनाव की पुनर्मतगणना कराने की स्थिति पहली बार आई, वह भी अध्यक्ष डा. सुशील कुमार सिन्हा का कार्यकाल लगभग 14 महीने तक होने के बाद। इसी के साथ एशिया के सबसे बड़े ट्रस्ट का विवाद 14 महीने में हल हो पाया। इस बीच लंबे अरसे की अध्यक्षी छिनने के बाद चौधरी परिवार चुप नहीं बैठा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वजह बन गए अध्यक्ष पद के वह 148 वोट जिन्हें मतदाताओं ने कार्यकारिणी सदस्यों की मतपेटिका में डाल दिया था। 25 दिसंबर 2023 को हुए चुनाव में अध्यक्ष के अलावा 20 कार्यकारिणी सदस्यों के लिए भी वोट पड़े थे। 26 दिसंबर को मतगणना हुई थी। कार्यकारिणी सदस्य की मतपेटिका में पड़े इन 148 वोट की गिनती भी करने के लिए चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह ने मांग की थी। तत्कालीन निर्वाचन अधिकारी प्रमोद कुमार सक्सेना ने इन वोटों को अवैध मानते हुए डा. सुशील कुमार सिन्हा को विजयी घोषित कर दिया था।

    ट्रस्ट से जुड़े कायस्थ समाज के लोग पूरे भारत में अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं। इनकी मतदाता संख्या 33 हजार से अधिक है। हालांकि 25 दिसंबर 2023 को हुए चुनाव में वोट 9543 ही पड़े थे। डा. सुशील कुमार सिन्हा ने एक जनवरी 2024 को शपथ ग्रहण करते हुए अध्यक्ष का पदभार संभाला था।

    इसे भी पढ़ें- UP News: प्रयागराज में एयरफोर्स के चीफ वर्क इंजीनियर की गोली मारकर हत्या, मचा हड़कंप; जांच में जुटी पुलिस

    उधर राघवेंद्र नाथ सिंह इस कोशिश में रहे कि अवैध घोषित वोटों की गिनती भी कराई जाए। उनके द्वारा मामला ट्रिब्युनल में ले जाया गया। इस बीच अपनी-अपनी गोटें बिछाते हुए अध्यक्ष और चौ. राघवेंद्र नाथ सिंह के बीच शह-मात का खेल चलता रहा। स्थिति तब और बिगड़ी जब वरिष्ठ उपाध्यक्ष कुमार नारायण को उनके पद से हटाते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसके बाद खेमेबाजी में ट्रस्ट में विवाद बढ़ता गया।

    विकास भवन के बाहर कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट चुनाव के पुर्नमतगणना में विजयी चौधरी राघवेन्द्र नाथ सिंह समर्थकों के साथ। जागरण


    कुमार नारायण ने दूसरे पक्ष यानी चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह से हाथ मिलाकर एक दूसरे की स्थिति को मजबूत कर लिया। एक समय वह भी आया जब कुमार नारायण के खेमे ने बड़ी संख्या में कायस्थों को जुटाते हुए डा. सुशील कुमार सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की घोषणा कर दी। केपी इंटर कालेज के मैदान में सभी एकजुट हुए और एक स्वर में अविश्वास प्रस्ताव पास करते हुए डा. सुशील कुमार सिन्हा की अध्यक्षी ही अवैध घोषित कर दी।

    हालांकि मामला वहां भी शांत नहीं हुआ। आखिरकार एसडीएम सदर अभिषेक कुमार सिंह के न्यायालय में मामला पहुंच गया और उन्होंने सभी वोट को अपनी सुपुर्दगी में ले लिया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अभिषेक सिंह की न्यायालय ने 22 मार्च को जारी आदेश में कहा कि केपी ट्रस्ट के चुनाव में सभी 9543 वोटों की गिनती फिर से होगी। एक सप्ताह में उन्होंने पुनर्मतगणना कराकर परिणाम घोषित करने का आदेश सहायक निबंधक चिट फर्म्स एंड सोसाइटीज को दिया था।

    सत्यमेव जयते

    ''सत्यमेव जयते'', यही शब्द थे जीत से उत्साहित चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह के। कायस्थ पाठशाला में सत्ता मिलने पर राघवेंद्र नाथ सिंह अंगुलियों से जीत का इशारा करते हुए मतगणना स्थल से बाहर नलिकले। चलते-चलते हुए बातचीत में उन्होंने कहा कि सत्यमेव जयते। कहा कि मेरी जीत असत्य पर सत्य की जीत है और न्यायालय पर पूरी आस्था थी। पुनर्मतगणना होने पर चौ. राघवेंद्र नाथ सिंह को 4698 मत प्राप्त हुए, डाक्टर सुशील सिन्हा को 4625, अन्य प्रत्याशियों में प्रवीण श्रीवास्तव को 31, रतन श्रीवास्तव को 11 वोट मिले। 195 वोट निरस्त हुए।

    चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह को टी.पी सिंह, सुनील दत्त कौटिल्य, अनिल कुमार श्रीवास्तव, कौशलेंद्र नाथ सिंह, विनायक नाथ सिंह, कुमार नारायण, कुलदीप श्रीवास्तव, सत्य प्रकाश श्रीवास्तव, अखिलेश कुमार श्रीवास्तव, सुमित श्रीवास्तव, अजय सोनू, अतुल गोपाल, अरुण श्रीवास्तव, अभिषेक आदि ने बधाई दी है।

    भविष्य के लिए विचार करेंगे

    न्यायालय के आदेश पर मतणगना हुई थी। जो परिणाम आया है उसे स्वीकार कर रहे हैं, भविष्य में विचार करेंगे के क्या करना चाहिए। -डा. सुशील कुमार सिन्हा

    अनिल शास्त्री ने दी बधाई

    पूर्व केंद्रीय मंत्री और के पी ट्रस्ट के वरिष्ठ ट्रस्टी अनिल शास्त्री ने राघवेंद्र नाथ सिंह को बधाई दी है । कहा कि एशिया के सबसे बड़े शिक्षण संस्थान के उत्थान में अरसे से चौधरी परिवार का बड़ा योगदान रहा है। उप्र कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रवक्ता किशोर वार्ष्णेय ने भी राघवेंद्र नाथ सिंह के जीतने को सत्य की जीत बताया है।

    विकास भवन के बाहर कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट चुनाव के पुर्नमतगणना में विजयी चौधरी राघवेन्द्र नाथ सिंह। जागरण


    पूरा हुआ संकल्प, कटाई दाढ़ी

    केपी ट्रस्ट के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष कुमार नारायण शुक्रवार को बदले-बदले से दिखे। बड़ी-बड़ी दाढ़ी नहीं थी और चेहरा भी पहले से अधिक संवारा हुआ। दरअसल कुमार नारायण ने वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद से हटाए जाने पर संकल्प ले लिया था कि जब तक डा. सुशील कुमार सिन्हा को अध्यक्ष पद से उतार नहीं देंगे तब तक दाढ़ी नहीं बनवाएंगे।

    अपने इसी संकल्प के चलते उनकी दाढ़ी बढ़ गई थी। इसी बीच लगातार आंदोलन करते रहे। शुक्रवार को चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह की जीत होने पर कुमार नारायण ने कहाकि संकल्प पूरा हुआ। लंबे समय बाद शुक्रवार को दाढ़ी बनवाई है।

    इसे भी पढ़ें- संकट: शुआट्स ने बंद किए 10 विभाग, 53 शिक्षकों को नौकरी से निकाला; इस बात का दिया हवाला

    डेढ़ सौ साल से अधिक का स्वर्णिम इतिहास

    कायस्थ पाठशाला ''केपी ट्रस्ट'' शिक्षा और छात्र-छात्राओं के उन्नयन के लिए कायस्थ समाज की संस्था है। 1872 में मुंशी काली प्रसाद कुलभाष्कर ने इसकी स्थापना की थी। शुरुआत सात छात्रों से हुई थी। इस ट्रस्ट की शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़कर ट्रस्ट का मान बढ़ाने वालों में पूर्व राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, महर्षि महेश योगी, गणेश शंकर विद्यार्थी, जनार्दन प्रसाद द्विवेदी आदि रहे।

    रघुपति सहाय ''फिराक गोरखपुरी'', पं. बालकृष्ण भट्ट, डा. हरिवंश राय बच्चन आदि इस ट्रस्ट से जुड़े रहे। डेढ़ सौ साल से अधिक के इतिहास में ट्रस्ट ने नित नई प्रगति की। प्रयागराज के अलावा देश के कई अन्य जिलों में भी इसकी शैक्षणिक संस्थाएं और अरबों रुपये की संपत्ति है।