कवि कैलाश गौतम की कालजयी कविता 'अमौसा का मेला' आम जन के ह्दय में है, बेबाक लेखन के धनी थे
कवि कैलाश गौतम, जिन्होंने मानवीय संवेदना और जनभावना को कविताओं में उकेरा, 8 जनवरी 1944 को चंदौली में जन्मे थे। अमौसा का मेला जैसी कालजयी कविताएँ उनकी ...और पढ़ें

जन-जन के हृदय में आज भी अपनी कविता के माध्यम से अमर रहने वाले कवि कैलाश गौतम की फाइल फोटो।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। मानवीय संवेदना, जनभावना को कविताओं में उकेरने वाले, बेबाक लेखन और विचारों के धनी थे कवि कैलाश गौतम। लोक आस्था-लोक सरोकारों-लोक चेतना की कालजयी कविता 'अमौसा का मेला' आम जनमानस के ह्रदय में है। उनके द्वारा 1989 के कुंभ के समय लिखी गई यह कविता बीते महाकुंभ 2025 में अक्षरशः सजीव हो उठी थी। 'ई भक्ति के रंग में रंगल गांव देखा अगल में बगल में सगल गांव देखा धरम में करम में सनल गांव देखा अमवसा नहाए चलल गांव देखा' कविता महाकुंभ में ही कई अवसरों पर पढ़ी गई।
ये कविताएं लोगों की जुबां पर हैं
चंदौली जिले में आठ जनवरी 1944 को जन्में कैलाश गौतम ने प्रयागराज को अपनी कर्मभूमि बनाया। ऐसी-ऐसी कविताएं लिखीं जो साहित्य के फलक पर चमक उठीं। पप्पू की दुल्हन, बियाहे क घर,हो अन्हारे से लड़ाई, गॉंधी जी, झुनिया, रमचरना, कुर्सी, कचहरी, गंगा, गांव आदि कविताएं लोगों की जुबां पर रटी हैं। नौ दिसंबर 2006 को कैलाश गौतम का निधन हो गया। हालांकि लेकिन उन्होंने रचनाओं से स्वयं को अमर कर दिया।
नामवर सिंह ने क्या कहा था?
प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह ने कैलाश गौतम के काव्य संग्रह 'सिर पर आग' के लोकार्पण के समय कहा था कि कैलाश गौतम जैसी भाषा तो भवानी प्रसाद मिश्र के यहां भी नहीं दिखाई देती है और जिस तरह से कैलाश गौतम अपनी कविताओं में भाषा और जन सरोकारों को जीते हैं वह अद्भुत है अप्रतिम है।
आलोचक दूधनाथ सिंह ने कहा था- वह अलबेले हैं
आलोचक दूधनाथ सिंह ने कैलाश गौतम को जमात से बाहर का कवि बताते हुए कहा था कि कैलाश गौतम किसी सांचे ढांचे में फिट ही नहीं हो सकते, वह अलबेले हैं। प्रसिद्ध कवि एवं संपादक पद्मश्री डा. धर्मवीर भारती ने कैलाश गौतम को गीतों की चेतना का कवि कहा था। कवि नरेश मेहता ने कैलाश गौतम को लोक सरोकारों और मुहावरों तथा भाषा का जादूगर कहा था।
चेतना की अभिव्यक्ति कहा था व्यंगकार श्रीलाल शुक्ल ने
सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्रीलाल शुक्ल ने कैलाश गौतम को समय की चेतना की अभिव्यक्ति कहा था- एक तरफ जहां उनकी कविताएं आम आदमी के संघर्षों को उसके सपनों को उसकी चुनौतियां को रेखांकित करती हैं तो वहीं समग्रता से देशकाल और समाज की चिंता भी हमें कैलाश जी की रचनाओं में नजर आती है।
रचनाओं पर होंगे संवाद
कैलाश गौतम सृजन संस्थान के अध्यक्ष, कवि एवं कैलाश गौतम के बेटे डा. श्लेष गौतम ने बताया कि वर्ष 2026 से देश-विदेश की साहित्यिक संस्थाओं एवं व्यक्तियों के सहयोग से कैलाश गौतम की रचनाओं पर संवाद, कार्यक्रम एवं शोधपरक संदर्भों को आयोजित और प्रोत्साहित किया जाएगा। निजी एवं शासकीय विश्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थानों में उनकी रचनाओं एवं भाषा-बोलियो को लेकर साहित्यिक संवाद किया जाएगा एवं युवा रचनाकार का एक काव्य संकलन निकाला जाएगा जिसमें कैलाश गौतम को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए लोक चेतना एवं सरोकार की कविताएं होंगी।

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