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    माघ मेला, कुंभ-महाकुंभ की अपार भीड़ में भी प्रयागराज जंक्शन पर यात्रियों की सांस नहीं फूलेगी, रेलवे की फुलप्रूफ तकनीक आएगी काम

    By Jagran News Edited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Mon, 08 Dec 2025 12:45 PM (IST)

    प्रयागराज जंक्शन को रेलवे ने बीएमएस तकनीक से लैस कर दिया है। कुंभ और महाकुंभ में भारी भीड़ के बावजूद यात्रियों को ताजी हवा मिलेगी और सांस लेने में कोई ...और पढ़ें

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    प्रयागराज जंक्शन पर बीएमएस तकनीक लगाई जाएगी, इससे कुंभ और माघ मेले के दौरान यात्रियों की भीड़ काे सांस लेने में दिक्कत नहीं होगी। 

    अमरीश मनीष शुक्ल, प्रयागराज। दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन कुंभ और महाकुंभ जब लगता है तो प्रयागराज जंक्शन पर ऐसा लगता है मानो सारी दुनिया एक साथ वहां पहुंच गई हो। लाखों-करोड़ों यात्री, ट्रेनें लगातार आती-जातीं, कांकोर्स में पैर रखने की जगह नहीं। गर्मी में उमस, ठंड में ठिठुरन और सबसे बड़ी समस्या सांस लेने में तकलीफ। हालांकि अब ऐसा नहीं होगा। रेलवे ने प्रयागराज जंक्शन को ऐसी तकनीक से लैस कर दिया है कि चाहे कितनी भी भीड़ हो, हवा हमेशा ताजा और ठंडी रहेगी, सांस कभी नहीं फूलेगी।

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    बीएमएस तकनीक से बनी इमारत

    यह तकनीक है बीएमएस यानी बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम। सिविल लाइंस साइड की नई इमारत पूरी तरह तैयार हो चुकी है और अब इसी तकनीक से पूरी तरह कनेक्ट हो रही है। इसी तरह कानपुर सेंट्रल और ग्वालियर के नए स्टेशन भी इसी सिस्टम से लैस होंगे।

    बीएमएस असल में करता क्या है?

    साधारण शब्दों में कहें तो बीएमएस स्टेशन की इमारत का ‘दिमाग’ है। यह पूरी बिल्डिंग को हर पल देखता है, समझता है और जरूरत के हिसाब से अपने आप फैसला लेता है। इसके साथ सबसे अहम हिस्सा है HVAC यानी हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग।

    ये सिस्टम चार चरणों में काम करता है

    1. पहचान (सेंसिंग)

    स्टेशन की छत, दीवारों और फर्श में सैकड़ों सेंसर लगे हैं। ये सेंसर हर सेकंड चेक करते हैं कि तापमान कितना है, नमी कितनी है, कार्बन डाइआक्साइड का स्तर कितना बढ़ गया, धूल-धुआं कितना है, हवा में बैक्टीरिया हैं या नहीं, यहां तक कि गंध भी सूंघ लेते हैं।

    2. डेटा भेजना (कम्युनिकेशन)

    सारे सेंसर अपना डेटा एक छोटे कंट्रोलर को भेजते हैं। वहां से सारा डेटा बीएमएस के मुख्य सर्वर तक पहुंच जाता है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है, जैसे दिल की धड़कन।

    3. फैसला लेना (प्रोसेसिंग)

    सर्वर पर एक खास साफ्टवेयर है जो सारे डेटा को देखकर तुरंत फैसला करता है कि अभी हवा ज्यादा गर्म है तो ठंडी हवा अंदर लाओ, CO₂ यानी कार्बन डाई आक्साइड बढ़ गया है तो ज्यादा ताजी हवा खींचो, नमी ज्यादा है तो डीह्यूमिडिफायर चालू करो।

    4. कार्रवाई (एक्टिवेशन)

    जैसे ही फैसला होता है, सिस्टम अपने आप काम शुरू कर देता है। बाहर से बड़ी-बड़ी डक्ट के जरिए ताजी हवा अंदर आती है, पुरानी और गंदी हवा बाहर फेंकी जाती है। एयर कंडीशनर, हीटर, फ्रेश एयर फैन, सब कुछ अपने आप तेज या धीमे हो जाते हैं।

    नतीजा? भीड़ चाहे दोगुनी हो जाए, हवा में आक्सीजन की कमी कभी नहीं होगी। उमस नहीं होगी, बदबू नहीं आएगी, सांस फूलने की शिकायत खत्म।

    कुंभ के लिए खास तैयारी

    माघ मेला, अर्धकुंभ और महाकुंभ में प्रयागराज जंक्शन पर एक साथ लाखों यात्री आते हैं। नई बिल्डिंग में दो विशाल कांकोर्स बन रहे हैं। यहां यात्री बैठकर ट्रेन का इंतजार करेंगे और ट्रेन आने पर एस्केलेटर से नीचे प्लेटफॉर्म पर उतरेंगे। इन कांकोर्स में बीएमएस का सबसे ज्यादा असर दिखेगा।

    वर्ष 2045 तक की संभावित भीड़ को देख बना स्टेशन

    उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशिकांत त्रिपाठी बताते हैं, हमने वर्ष 2045 तक की संभावित भीड़ का आकलन करके स्टेशन बनाया है। बीएमएस की वजह से स्टेशन हमेशा ताजी हवा और सही तापमान में रहेगा। यात्री थके-हारे आएंगे लेकिन स्टेशन के अंदर उन्हें ठंडक और सुकून मिलेगा।

    ऊर्जा भी बचेगी, सेहत भी सुरक्षित

    बीएमएस सिर्फ आराम ही नहीं देता, बिजली भी बचाता है। जब भीड़ कम होती है तो अपने आप एयर कंडीशनिंग कम हो जाती है। जरूरत से ज्यादा बिजली खर्च नहीं होती। साथ ही हवा में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस को फिल्टर करके बाहर फेंक देता है, यानी बीमारी फैलने का खतरा भी कम।

    अगले कुंभ या महाकुंभ में आल इज ओके रहेगा

    अब अगले कुंभ या महाकुंभ में जब आप प्रयागराज जंक्शन पर कदम रखेंगे तो भीड़ तो होगी, शोर भी होगा, लेकिन सांस की तकलीफ बिल्कुल नहीं होगी। रेलवे ने साबित कर दिया है, तकनीक अगर सही जगह लगे तो सबसे बड़ी भीड़ भी परेशान नहीं हो सकती है।

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