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    मतांतरण व नशा रोकने में सरकार का सहयोग करेंगे संत, बोले- श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के सचिव महंत देवेंद्र

    By SHARAD DWIVEDIEdited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Sun, 07 Dec 2025 08:14 PM (IST)

    प्रयागराज के श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में संत समागम का आयोजन हुआ, जिसमें 13 अखाड़ों के संत शामिल हुए। महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री ने कहा कि मतांतरण ...और पढ़ें

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    प्रयागराज में श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में आयोजित संत समागम में शामिल महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री, श्री महंत यमुना पुरी, महंत जगतार मुनि, महंत बलवीर गिरि व अन्य। जागरण

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। मतांतरण व नशा राष्ट्र के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती हैं। नशा से युवाओं का भविष्य अंधकारमय है। वहीं, मतांतरण से सामाजिक स्वरूप बिगड़ रहा है। लोभ, मोह और भय से धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इसे रोकने को सरकार प्रयत्नशील हैं। सरकार को संत पूरा सहयोग करेंगे।

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    संत समागम में शामिल हुए महंत देवेंद्र शास्त्री 

    यह बातें श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के सचिव महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री ने उक्त बातें कही। वह रविवार को अखाड़े के संस्थापक श्रीमहंत मेहताब सिंह की स्मृति में आयोजित संत समागम को संबोधित कर रहे थे। अखाड़ा के कीडगंज स्थित मुख्यालय पीली कोठी पर आयोजित समागम में 13 अखाड़ों के संत शामिल हुए।

    धर्म विरोधी शक्तियों को परास्त करने राष्ट्रव्यापी मुहिम

    उन्होंने कहा कि हरिद्वार का अर्द्धकुंभ, नासिक व उज्जैन के कुंभ मेला सनातन धर्म का वैभव बढ़ाएगा। इसमें संत धर्म व मानवता के समक्ष व्याप्त चुनौतियों पर मंथन करेंगे। धर्म व मानवता विरोधी शक्तियों को परास्त करने के लिए राष्ट्रव्यापी मुहिम चलाई जाएगी।

    वैदिक प्रणाली लागू होनी चाहिए : श्रीमहंत यमुना पुरी

    श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत यमुना पुरी ने कहा कि धर्म व मानवता के लिए अखाड़े सर्वस्व न्योछावर करने से पीछे नहीं रहते। अखाड़ों के संतों के पुरुषार्थ से धर्म व मानवता की रक्षा हुई है। कहा कि आज की शिक्षा बच्चों व युवाओं को संस्कारविहीन बना रही है। मैकाले की शिक्षा नीति को समाप्त करके वैदिक प्रणाली लागू होनी चाहिए। इसमें अखाड़े हर स्तर पर सहयोग करेंगे।

    पर्यावरण की सुरक्षा में जनभागीदारी बढ़ाने पर जोर

    गुरुद्वारा पक्की संगत के प्रबंधक महंत ज्ञान सिंह ने नदियों की निर्मलता, पर्यावरण की सुरक्षा में जनभागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया। इसके पहले गुरुग्रंथ साहिब के दर पर कथा व कीर्तन का भव्य आयोजन हुआ। फिर भंडारा में संतों और श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस दौरान महंत बलवीर गिरि, महंत जगतार मुनि, महंत लक्ष्मण सिंह, ओंकार सिंह, दुर्जन सिंह आदि ने विचार व्यक्त किए।