प्रयागराज में 15.82 लाख के गबन की खुल रही परत, जांच रिपोर्ट में क्लू आने के बाद मामला और भी पेंचीदा हुआ
प्रयागराज में पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार अशोक कुमार वर्मा के खाते से 15.82 लाख रुपये के गबन का मामला पेचीदा होता जा रहा है। जांच में पता चला कि रिवाइवल फार्म में केवाईसी अपडेट करके मोबाइल नंबर बदला गया और नॉमिनी में पुत्र का नाम दर्ज किया गया, जबकि पत्नी ने इस पर आपत्ति जताई थी। जांच टीम को कई संदेहजनक तथ्य मिले हैं, जिससे यह गबन सोची-समझी साजिश का हिस्सा लग रहा है।

प्रयागराज में डाकघर की एक शाखा में हाई कोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार के खाते से 15.82 लाख गबन के मामले में जांच जारी है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार अशोक कुमार वर्मा के खाते से 15.82 लाख रुपये के गबन के मामले में हर स्तर पर खेल किया गया। उनके खाते को अपग्रेड करने के लिए रिवाइवल फार्म में पहले केवाईसी अपडेट की गई। इसके बाद रिवाइवल फार्म में मोबाइल नंबर को बदला गया।
पत्नी ने कहा था कि अमित वर्मा का नाम नहीं
यही नहीं, रिवाइवल फार्म में नामिनेशन में अशोक कुमार वर्मा के पुत्र अमित वर्मा का नाम दर्ज किया गया। जबकि उनकी पत्नी मधुबाला द्वारा शिकायती प्रार्थना पत्र में स्पष्ट कहा गया था कि उत्तराधिकार प्रमाण पत्र में परिवार के सदस्यों में अमित वर्मा का नाम अंकित नहीं है। जांच रिपोर्ट में यह बातें सामने आने के बाद मामला और पेंचीदा हो गया है।
गबन सोची समझी साजिश का हिस्सा
पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार अशोक कुमार वर्मा के खाते से 15.82 लाख रुपये के गबन के मामले में जांच टीम ने अधिकारियों को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें कई ऐसे तथ्य हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि सब कुछ एक सोची समझी साजिश का हिस्सा रहा। जैसे रिवाइवल फार्म में केवाईसी अपडेट करना।
देखकर जांच टीम का माथा चकराया
यही नहीं इस फार्म में एक ऐसा खेल किया गया, जिसे देखकर जांच टीम का माथा चकरा गया। इसमें अशोक कुमार वर्मा के पहले दर्ज मोबाइल नंबर को बदला गया था। आश्चर्य की बात यह रही कि इसमें सिर्फ अंतिम के एक डिजीट को बदला गया। यह डिजीट पहले छह था, उसे बदलकर नौ कर दिया गया। जबकि आगे के पूरे नौ नंबर पुराने वाले ही रहे। निश्चित तौर पर यह जांच टीम के लिए यह चकित करने वाली बात थी।
पूर्व रजिस्ट्रार ने किसी को नहीं बनाया था नामित
साथ ही रिवाइवल फार्म में नामिनेशन में अशोक कुमार वर्मा के पुत्र अमित वर्मा का नाम दर्ज किया था। जबकि शुरू से ही मामला यही चल रहा था कि अशोक कुमार वर्मा ने किसी को नामिनी नहीं बनाया था। मधुबाला ने अधिकारियों को जो प्रार्थना पत्र दिया, उसमें भी बकायदा इसका जिक्र है।
यह है पूरा मामला
धूमनगंज के न्याय नगर कंहईपुर निवासी इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज्वाइंट रजिस्ट्रार रहे अशोक कुमार वर्मा का निधन 25 जून 2018 को हो गया था। नौकरी के दौरान उन्होंने हाई कोर्ट स्थित डाकघर शाखा में बचत खाता खुलवाया था। उसमें 15,82,500 रुपये जमा थे। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी मधुबाला रकम निकालने के लिए उप डाकघर पहुंचीं तो पता चला कि खाते में किसी का नाम नामिनी के तौर पर नहीं था। इसके बाद उसने दस्तावेज लाने को कहा गया।
तीन बार में नकद व चेक के माध्यम से रुपये निकाले गए थे
दस्तावेजों को एकत्र करने में उन्हें लंबा समय लग गया। 26 सितंबर 2025 को जब उनके नाम से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी हुआ तो 24 अक्टूबर को वह सभी दस्तावेजों को लेकर उप डाकघर पहुंचीं। यहां पासबुक अपडेट कराने पर मालूम हुआ कि खाते में एक भी रुपये नहीं हैं। चार जुलाई 2024 से 13 सितंबर 2025 के बीच तीन बार में नकद व चेक के माध्यम से रुपये निकाले गए थे।
प्रवर अधीक्षक डाकघर ने जांच टीम गठित कर दी
मधुबाला ने डाक विभाग के उच्चाधिकारियों से शिकायत की तो प्रवर अधीक्षक डाकघर सुशील तिवारी ने जांच टीम गठित कर दी। जांच टीम ने रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद प्रवर अधीक्षक डाकघर सुशील तिवारी ने उप डाकपाल संतोष कुमार राम, मनोज यादव, डाक सहायक विधान चंद्र ठाकुर व मनीष कुमार को निलंबित कर दिया था।

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