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    UP News: अंतरराष्ट्रीय एथलीट सविता की सड़क हादसे में मौत, प्रयागराज में शोक की लहर

    Updated: Sat, 10 May 2025 09:26 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश के झूंसी निवासी अंतरराष्ट्रीय एथलीट सविता पाल की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। वह रोहतक में एक तेज रफ्तार कार की चपेट में आ गई थीं और रेलवे अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। सविता ने 5 किमी और 10 किमी दौड़ में पहचान बनाई थी और कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक जीते थे। उनकी मृत्यु से पूरे गांव में शोक की लहर है।

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    रोहतक में दुर्घटना के दौरान मृत अंतरराष्ट्रीय एथलीट सविता पाल के घर शोकाकुल रिश्तेदार व परिवार। जागरण

     संवाद सूत्र, झूंसी/प्रयागराज। झूंसी के नीबी कला गांव निवासी अंतरराष्ट्रीय एथलीट 26 वर्षीय सविता पाल की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। मंगलवार को रोहतक (हरियाणा) में एक सड़क हादसे में वह घायल हो गई थीं। उनका इलाज रेलवे अस्पताल में चल रहा था। तीन दिनों से वेंटीलेटर पर थीं, गुरुवार की रात उनकी मृत्यु हो गई।

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    शुक्रवार को पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो माहौल गमगीन हो गया। मां फोटो देवी और पिता फूलचंद पाल के आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे थे। नीबी घाट पर गंगा के किनारे सविता को नम आंखों के साथ अंतिम विदाई दी गई।

    सविता के भाई सुरेंद्र और छोटे भाई धीरेंद्र (उत्तर पूर्वी पुलिस अकादमी में कार्यरत), बहन को खोने के गम में डूबे थे। सविता की बड़ी बहन कविता भी सदमे में हैं। फूलचंद पाल खेती-किसानी और भेड़ पालन से परिवार का गुजारा करते हैं। चार बच्चों में सविता दूसरे नंबर पर थीं।

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    अपने छोटे भाई धीरेंद्र के साथ सविता पाल। सौ स्वजन


    पढ़ाई में होशियार और खेल में जुनूनी सविता ने ग्रेजुएशन के बाद खेल कोटे से कोलकाता में रेलवे में टीटी की नौकरी हासिल की थी। उनकी प्रतिभा ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया। मंगलवार सुबह सविता रोहतक के एक स्टेडियम में अभ्यास के लिए गई थीं। इसी दौरान तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी।

    सविता पाल फाइल फोटो। जागरण


    10 किमी की दौड़ में जमाई थी धमक

    अंतरराष्ट्रीय एथलीट सविता पाल ने पांच किलोमीटर और 10 किलोमीटर दौड़ में अपनी धाक जमाई थी। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई।

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    2018 के साउथ एशियन गेम्स में स्वर्ण, 2022 में नेशनल सीनियर में स्वर्ण और 2024 में रजत पदक उनकी उपलब्धियों का छोटा-सा हिस्सा हैं। महज 12 साल की उम्र में वह पहली बार प्रयागराज के मदन मोहन मालवीय स्टेडियम पहुंची थीं। कोच रूस्तम खान की देखरेख में उन्होंने अपने कदम बढ़ाए।

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