Indira Gandhi Death Anniversary : प्रयागराज का ऐतिहासिक आनंद भवन, जहां इंदिरा गांधी ने बिताया बचपन, ढेरों स्मृतियां संरक्षित
Indira Gandhi Death Anniversary इंदिरा गांधी, भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री, का जन्म प्रयागराज के आनंद भवन में हुआ था। यह भवन उनके बचपन की यादों को संजोए हुए है। यहां महात्मा गांधी और पंडित नेहरू के पत्रों सहित कई ऐतिहासिक धरोहरें संरक्षित हैं। कमला नेहरू मेमोरियल अस्पताल की नींव गांधीजी ने रखी, जो आज भी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है। आनंद भवन राष्ट्रीय आंदोलन का केंद्र था, जहाँ इंदिरा गांधी ने कई महान नेताओं का सानिध्य प्राप्त किया।

Indira Gandhi Death Anniversary प्रयागराज स्थित ऐतिहासिक आनंद भवन के संग्रहालय में रखी महात्मा गांधी व इंदिरा गांधी की तस्वीर। जागरण
अमलेन्दु त्रिपाठी, प्रयागराज। देश की एक मात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी रहीं। उन्होंने वर्ष 1966 से वर्ष 1977 तक लगातार तीन बार प्रधानमंत्री पद का दायित्व संभाला। चौथी बार वर्ष 1980 से वर्ष 1984 तक प्रधानमंत्री बनीं। उसी वर्ष 31 अक्टूबर को उनकी हत्या कर दी गई थी। आज उनकी पुण्यतिथि है। इसी परिप्रेक्ष्य में हम इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी को याद कर रहे हैं।
स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों के साथ चित्र संरक्षित
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। नेहरू परिवार का पैतृक घर, आनंद भवन, आज भी संगम नगरी में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। यहीं पर इंदिरा ने अपना बचपन बिताया। उसकी स्मृतियां यहां संरक्षित है। ढेरों चित्र, कभी महात्म गांधी के साथ तो कभी पंडित नेहरू या फिर अन्य बड़े स्वतंत्रता आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं के साथ संरक्षित है।
चिट्ठियां बनीं समझ विकसित करने वाली पोथी
आनंदभवन के संग्रहालय में पं. नेहरू और महात्मा गांधी की अपनी प्रिय इंदू (इंदिरा गांधी) के लिए लिखी चिट्ठियां भी देखी जा सकती हैं। सामान्य सी दिखने वाली ये चिट्ठियां हालचाल लेने से अधिक राजनीति व सामाजिकता की समझ विकसित करने वाली किसी पोथी से कम नहीं हैं। पत्र के इबारत और भाव सीधे तौर पर बताते हैं कि अब उन्हें क्या और कैसे करना है।
जन्म- 19 नवंबर 1917
मृत्यु - 31 अक्टूबर 1984
महात्मा गांधी का लिखा पत्र आज भी देख सकते हैं
उदाहरण के तौर पर लखनऊ से 30 मार्च 1936 को महात्मा गांधी का लिखा पत्र आज भी देखा जा सकता है। इसमें वह लिखते हैं प्रिय इंदू, कहने का विश्वास हो गया है, तभी उत्तर भेजा, बाबू का आशीर्वाद। कमला के जाने से तुम्हारी जिम्मेदारियां कुछ बढ़ जाती हैं लेकिन तुम्हारे लिए मुझको कोई चिंता नहीं है। ऐसी शास्ति हो गई है कि अपना धर्म अच्छी तरह समझती है, कमला में ऐसे गुर थे जो सामान्यतया अन्य स्त्रियों में नहीं पाए जाते हैं। ऐसे आशा बांध बैठा हूं कि यह सब गुण तुम्हारे में उतनी ही मात्रा में प्रदर्शित होंगे, जैसे कमला में थे। ईश्वर तुम्हें दीर्घायु करें और कमला के गुणों का अनुकरण करने की शक्ति दें। जवाहर लाल से इस वक्त खूब बातें कर सका हूं। तीन अप्रैल को यहां से इलाहाबाद आऊंगा...।
पत्र में चर्खा से सूत कातने का भी जिक्र
इसी पत्र में चर्खा से सूत कातने का भी जिक्र है। आनंद भवन के संग्रहालय में रखे चित्रों को देखें तो पता चलता है कि इंदिरा गांधी जिन महान विभूतियों के बीच रहीं, उनसे बहुत कुछ सीखा। यही वजह है कि वह आगे चलकर आयर लेडी के रूप में पहचान बनाने में सफल हुईं।
रामायण से प्रभावित होकर बनाई थी वानर सेना
सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान नमक कानून तोड़ने के कारण 19930 में पंडित नेहरू और मोतीलाल नेहरू गिरफ्तार कर जेल भेज दिए गए थे। मोतीलाल नेहरू काफी वृद्ध और कमजोर हो गए थे। छह फरवरी 1931 को उनकी मृत्यु हो गई। इंदिरा ने 1930 के आंदोलन के दौरान रामायण से प्रभावित होकर वानर सेना बनाई थी, जिसमें बच्चे राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुए। बाद में इसी सेना ने कांग्रेस के युवक वर्ग की अगुवाई की।
बापू ने कमला नेहरू मेमोरियल अस्पताल की नींव रखी
यह बात संग्रहालय के चित्र वहां रखी पुस्तकों में अंकित है। यहां के साहित्य बताते हैं कि कमला नेहरू को भी इस दौरान गिरफ्तार किया गया था। कुछ समय के लिए वह जेल भी गईं, जो उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस दौरान उन्होंने घर के अंदर ही एक अस्पताल बनाया। इसमें वह राष्ट्रवादियों की देख रेख करवाया करती थीं। यह अस्पताल तब भी काम करता रहा जब आंदोलन के दौरान इसके उपकण, एंबुलेंस और दवाइयों आदि को ब्रिटिश अधिकारियों ने जब्त कर लिया। महात्म गांधी ने वर्ष 1939 में कमला नेहरू मेमोरियल अस्पताल की नींव रखी और यह अस्पताल आज भी लोगों को स्वास्थ्य लाभ दे रहा है।
राष्ट्रीय आंदोलन की गतिविधियों की साक्षी रहीं इंदिरा
आनंद भवन ढेरों राष्ट्रीय गतिविधियों का केंद्र रहा। अपने जन्म के बाद से ही इंदिरा गांधी उसकी साक्षी बनीं। मोतीलाल नेहरू आनंदभवन संयुक्त परिवार के साथ आए थे। उन्हें अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का एहसास था। उनके निवास पर पूरब और पश्चिम का सुंदर मिश्रण दिखता था। पश्चिमी खाने के लिए उनके घर में अलग रसोई थी। उनकी पत्नी कश्मीरी पंडितों के रीति रिवाज और तीज त्यौहार पारंपरिक रूप से मनाती थीं।
मोतीलाल का रुझान पश्चिमी संस्कृति की तरफ था
मोतीलाल का रुझान पश्चिमी संस्कृति और रहन सहन की तरफ था पर वे हिंदुस्तानी शेरो शायरी में दिलचस्पी रखते थे। उनके घर में कई मुशायरों का आयोजन होता था। आनंद भवन इसी नई जागृति का केंद्र बना। 1907 से 1947 तक कई राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी यहां आए। इनमें प्रमुख रूप से महात्मा गांधी, गोपाल कृष्या गोखले, एनी बेसेंट, सी राजगोपालाचारी, एमए अंसारी, मदन मोहन मालवीय, वल्लभ भाई पटेल, गोविंद वल्लभ पंत जैसे नाम शामिल हैं। इंदिरा को इन सब का सानिध्य मिला।
मोतीलाल ने नेहरू रिपोर्ट तैयार किया
इसी भवन से द इंडिपेंडेंट मोतीलाल ने निकाला था। ब्रिटिश विरोधी पर्चे भी यहां छपते रहे। वर्ष 1928 में मोतीलाल नेहरू ने एक दस्तावेज तैयार किया जो नेहरू रिपोर्ट के नाम से जानी गई। उसके कुछ अंश भारतीय संविधान में शामिल हैं। इंदिरा गांधी इन तकनीकी और गहन विमर्श के विषय की भी साक्षी रही हैं।

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