Prayagraj Weather Update : पिछले 24 घंटे में 40 मिलीमीटर बरसा पानी, कल भी वर्षा की संभावना, 2 नवंबर से बढ़ेगी ठंड
Prayagraj Weather Update प्रयागराज और आसपास के इलाकों में चक्रवाती तूफान मोथा का असर लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा। पिछले 24 घंटे में 40 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जिससे तापमान में गिरावट आई है और ठंड का अहसास हो रहा है। मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटे में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। लगातार बारिश से किसान चिंतित हैं क्योंकि खेतों में धान की फसल को नुकसान पहुंचा है।

Prayagraj Weather Update प्रयागराज में च्रकवात मोथा का असर शुक्रवार को भी बारिश होने से सड़क पर जलभराव। जागरण
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ का असर प्रयागराज व आसपास के क्षेत्रों के मौसम पर लगातार दूसरे दिन भी बना रहा। बुधवार रात से शुरू हुई बारिश का सिलसिला शुक्रवार को भी जारी है। कभी तेज तो कभी रिमझिम फुहारें पड़ती रहीं, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई और ठंड का अहसास होने लगा।
न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा
मौसम विभाग के अनुसार बुधवार रात से गुरुवार रात तक करीब 40 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है।लगातार दो दिन से बादलों की घनी परत के कारण सूर्य के दर्शन नहीं हुए, जिससे दिनभर धुंध छाई रही। न्यूनतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
जगह-जगह जलभराव ने बढ़ाई लोगों की समस्या
ठंडी हवाओं और लगातार होती बारिश के चलते लोगों जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा। कई स्थानों पर जलभराव से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा, वहीं स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति भी सामान्य से कम रही।
अगले 24 घंटे में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में सक्रिय चक्रवाती तूफान ‘मोंथा’ का प्रभाव अब भी बना हुआ है। इसकी वजह से प्रयागराज व आसपास के इलाकों में अगले 24 घंटे तक हल्की से मध्यम बारिश की संभावना बनी रहेगी।
दो नवंबर से तापमान तेजी से गिरेगा
मौसम विभाग ने यह भी अनुमान जताया है कि दो नवंबर से हल्की धुंध का प्रभाव बढ़ेगा और इसी के साथ ही तापमान में तेजी से गिरावट शुरू हो जाएगी। यानी ठंड बढ़ जाएगी। वहीं चिकित्सकों की सलाह है कि ऐसे मौसम में लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग होने की जरूरत है, लापरवाही कतई न करें।
लगातार हो रही बारिश से किसान चिंतित
लगातार हो रही बारिश से किसानों की चिंता बढ़ गई है। खेतों में धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। कई इलाकों में खेतों में पानी भर गया है, जिससे फसल गिरने और सड़ने का खतरा बढ़ गया है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर विपरीत असर पड़ेगा।

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