भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष ने प्रयागराज में बोले- बोर्ड में आधुनिक व भारतीय शिक्षा का है समन्वय
भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डा. एनपी सिंह ने प्रयागराज में कहा कि बोर्ड आधुनिक और भारतीय शिक्षा का समन्वय है। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपर ...और पढ़ें

प्रयागराज में आयोजित संगोष्ठी में बोलते भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डा. एनपी सिंह। जागरण
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। वर्तमान में देश को ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जो विद्यार्थियों में आत्मगौरव, भारतीयता, नैतिकता, नेतृत्व क्षमता और वैश्विक दृष्टि का विकास कर सके। पाठ्यक्रम में वेद, उपनिषद, गीता, जैन और बौद्ध दर्शन, भारतीय शूरवीरों की कथाएं, संवैधानिक मूल्य, गुरुकुल परंपरा और आधुनिक विज्ञान प्रौद्योगिकी को संतुलित रूप से जोड़कर पढ़ाया जाना चाहिए। इस दिशा में कदम बढ़ चुका है। भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन हो चुका है। यह राष्ट्रीय और राज्य बोर्डों के समकक्ष मान्यता प्राप्त है। यह बातें भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डा. एनपी सिंह ने कही।
वह आधुनिक शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान 21वीं सदी में बच्चों को गढ़ने के लिए मानस में क्या हो। संस्कार, सरोकार, संस्कृति से वे किस तरह जुड़ें इस पर गहन विमर्श हुआ।
बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डा. सिंह ने यूरोप, जर्मनी, चीन सहित विभिन्न जगहों की शिक्षा व्यवस्था का उल्लेख करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा से लोगों को जोड़ा। कहा, महर्षि कणाद ने हमे अणु के बारे में सब से पहले बताया, पाणिनि ने दुनिया को व्याकरण दिया लेकिन हमे उनके बारे में नहीं पढ़ाया जाता। हमारी शिक्षा व्यवस्था में आदिकाल से दर्शन, तर्क सदैव विद्यमान रहा लेकिन मिथक व देवकथा कहकर उसके महत्व को घटाने का प्रयास हुआ।
उन्होंने कहा कि पश्चिमी जगत ने हर वह कदम उठाया जिससे हम बाजार बने न कि सृजक की भूमिका में आए। परिस्थितियों को बदलने के लिए हम सब ने प्रयास शुरू किया है। सभी को विमर्श कर आगे बढ़ना होगा तभी स्वदेशी शिक्षा पद्धति पुनर्जीवित होगी और हम आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ा सकेंगे। बच्चों को कहानियों और कविताओं के माध्यम से भारतीय दर्शन से परिचित कराने तथा उच्च कक्षाओं में इन विषयों का विस्तृत अध्ययन कराने की व्यवस्था भारतीय शिक्षा बोर्ड में के जरिए हो रही है।
बोले कि पाठ्यक्रम में देश के लगभग 120 महान नायकों की जीवनगाथाओं को शामिल किया गया है। यह शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को केवल नौकरी योग्य नहीं बल्कि रोजगार सृजन में सक्षम बनाएगी। बोर्ड का पाठ्यक्रम यूपीएससी, जेईई, एनईईटी जैसी परीक्षाओं के अनुरूप भी है। यह बोर्ड सीबीएसई के समकक्ष है। कक्षा नौ से 12वीं तक के स्कूलों को मान्यता देती है। कक्षा एक से आठ तक के मान्यता प्राप्त विद्यालय भारतीय शिक्षा बोर्ड से मान्यता ले सकते हैं।
इस दौरान जिला विद्यालय निरीक्षक पीएन सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संयुक्त कुल सचिव मेजर डा. हर्ष कुमार, भारत स्वाभिमान के राज्य प्रभारी भगवान सिंह, डा. प्रभाकर त्रिपाठी मौजूद रहे। अन्य वक्ताओं ने भी भारती ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने अपने गौरव के मान बिंदुओं को आत्मसात करने पर बल दिया। कार्यक्रम का संचालन बृज मोहन ने किया। इस दौरान भारतीय शिक्षा बोर्ड के मंडल समन्वयक राजन विश्वकर्मा, वीरेंद्र सिंह, आर्यन साहू, शुभम, डा. मुरारजी त्रिपाठी के साथ बड़ी संख्या में शिक्षाविद मौजूद रहे।

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