लखनऊ से मानीटरिंग, सभी बड़े अधिकारी प्रयागराज में, फिर भी समय से पहले काल्विन अस्पताल में ओपीडी रही खाली
प्रयागराज के काल्विन अस्पताल में डॉक्टरों की मनमानी का मामला सामने आया है, जहाँ डॉक्टर समय से पहले ओपीडी छोड़कर चले गए। सीसीटीवी निगरानी के बावजूद, मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ा। शनिवार को कई बड़े अधिकारियों के शहर में होने पर भी स्थिति नहीं बदली, जिससे मरीजों को निराशा हुई। प्रयागराज न्यूज़ में लापरवाही उजागर हुई है।

प्रयागराज के काल्विन अस्पताल में डाक्टरों की मनमानी के कारण मरीज परेशान हैं, अस्पताल में शनिवार दोपहर 1.15 बजे खाली रही सर्जरी के डॉक्टर की ओपीडी। जागरण
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। ये है प्रयागराज का मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय यानी काल्विन अस्पताल। इस अस्पताल की निगरानी प्रमुख चिकित्साधीक्षक कार्यालय से लखनऊ तक सीसीटीवी से हो रही है। शनिवार को प्रदेश के लगभग सभी प्रमुख अधिकारी प्रयागराज में थे, यहां तक कि स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी यहां थे। इसके बाद भी काल्विन के डॉक्टरों को मानो इन सबका भय नहीं था। शायद तभी तो दो बजे से पहले ही डॉक्टरों की कुर्सी खाली थी।
अपने ढर्रे पर चलता रहा अस्पताल
अस्पतालों की ओपीडी समय पर शुरू नहीं होती है। तय समय दोपहर दो बजे तक डाक्टर बैठते भी नहीं। डाक्टरों की मनमानी के आगे पूरा तंत्र बौना साबित हो रहा है। असहाय मरीज बिना इलाज के लौट रहे हैं। शनिवार को मुख्यमंत्री और प्रमुख अधिकारियों के मौजूद रहने के बाद भी यह अस्पताल अपने ढर्रे पर ही चलता रहा।
मरीजों को बिना उपचार के लौटना पड़ा
शनिवार को प्रयागराज में प्रदेश स्तरीय तमाम बड़े अधिकारियों की मौजूदगी बेअसर रही। दोपहर एक बजे तक काल्विन अस्पताल में अधिकांश डाक्टरों की कुर्सियां खाली हो गई। जिन मरीजों के पंजीकरण पर्चे 1.30 बजे के आसपास बने थे, उन्हें उपचार के बिना लौटना पड़ा। यह हाल तब रहा जब अस्पताल की निगरानी प्रमुख चिकित्साधीक्षक कार्यालय से लखनऊ तक सीसीटीवी से हो रही है।
अस्पताल में डॉक्टरों का यह रहा हाल
दोपहर 1.15 बजे, सर्जरी ओपीडी में डाॅ. एससीएल द्विवेदी की कुर्सी खाली थी, जबकि इसके ठीक बगल में सर्जन डा. अजय कुमार सक्सेना की नाम पट्टिका लगी हुई थी और ओपीडी एक सीनियर रेजीडेंट संचालित करते रहे। दोपहर 1.35 बजे सीनियर रेजीडेंट भी ओपीडी छोड़कर चले गए, जबकि दोपहर दो बजने में केवल 25 मिनट रह गए थे।
ओपीडी दोपहर एक बजे से पहले खाली रही
प्रथम तल पर चर्मरोग विभाग की एक ओपीडी के दरवाजे पर डा. अजय राजा की नाम पट्टिका लगी थी, ओपीडी दोपहर एक बजे से पहले खाली रही। हड्डी रोग विभाग की एक ओपीडी कक्ष में कर्मचारी ने दोपहर 1.28 बजे ताला लगा दिया। शिशु रोग विभाग की ओपीडी में मेडिकल छात्रा, बीमार बच्ची के लिए पर्चे पर दवा लिखती रही। सीनियर गायब थे। कक्ष संख्या 16 में फिजीशियन की ओपीडी भी खाली मिली।
सतर्कता की बजाए शिथिलता
अस्पताल में इस तरह की मनमानी नई नहीं है। सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक की ओपीडी का समय निर्धारित है। डाक्टर समय की पाबंदी के बिना अपने अनुसार ही आते जाते हैं। शहर में वीवीआइपी होने के दौरान अस्पतालों में सजगता, सतर्कता बरतने की बजाए प्रशासनिक तंत्र की शिथिलता है।
इन ओपीडी में रहे डाक्टर
नेत्र सर्जरी, दृष्टि परीक्षण, ईएनटी, चर्मरोग की एक अन्य ओपीडी, होम्योपैथिक।
नंबर गेम
1200 मरीज औसत रोज पहुंचते हैं काल्विन अस्पताल
500 से अधिक नए मरीज रोज होते हैं
10 महत्वपूर्ण विभागों की संचालित होती है ओपीडी
03 कक्षों में बैठते हैं फिजीशियन
45 मिनट पहले से छोड़ने लगते हैं कुर्सियां
25 से अधिक डाक्टरों की है तैनाती
पर्चा बनवा लिया पर डाक्टर ही नहीं
बच्ची का इलाज कराने के लिए पहुंचीं शबीना ने कहा कि पर्चा बनवा लिया, यहां डाक्टर ही नहीं हैं। घर से यही मानकर आए थे कि डेढ़ बजे तक डाक्टर मिल जाएंगे। पित्त की थैली में पथरी का इलाज कराने के लिए पहुंचे 46 वर्षीय एक मरीज ने ओपीडी के दरवाजे पर बैठे वार्ड ब्वाय से सर्जन डा. अजय सक्सेना के बारे में पूछा, जवाब मिला कि सोमवार को आएंगे। मरीज ने जब पूछा कि आज ओपीडी में आए या नहीं तो वार्ड ब्वाय ने कहा कि यह तो डाक्टर ही बताएंगे। इस तरह के कई अन्य मरीज दोपहर सवा एक बजे के बाद अस्पताल में भटकते रहे।
क्या कहते हैं अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक
अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसके चौधरी का कहना है कि पूरे अस्पताल में राउंड किया है, किसी मरीज ने शिकायत नहीं की। एक सर्जन को आकस्मिक स्थिति में डफरिन अस्पताल में बुला लिया गया था। और डाक्टर ओपीडी में पूरे समय बैठे। फिजीशियन डा. जुबैर अहमद अवकाश पर चल रहे हैं।

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