सबसे पहले चेक करें धड़कन और फिर दे सीपीआर, Heart Attack आने पर कुछ ऐसे बचाएं मरीज की जान
कर्नलगंज स्थित प्रभा कुंज अपार्टमेंट में उपस्थित व्यापारियों और निवासियों को स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के एनेस्थीसिया विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. धर्मेंद्र यादव ने सीपीआर देना सिखाया। उन्होंने कहा कि दिल का सेहतमंद होना बेहद जरूरी है। अगर किसी काे हार्ट अटैक आए तो सीपीआर देकर उसकी जान बचाई जा सकती है। दिल की धड़कन रुक गई है तो पांच से 10 मिनट उसके लिए गोल्डन समय होता है।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। हृदयाघात के मामले पहले की अपेक्षा काफी अधिक सामने आ रहे हैं। डायबिटीज के रोगियों को तो ऐसे हृदयाघात हो रहे हैं जिसमें अचानक तेज दर्द उठा और धड़कन रुक कई। कहीं किसी के भी धड़कते दिल की गति रुक सकती है।
इसमें सीपीआर (कार्डियकपल्मोनरी रिससिटेशन) संजीवनी के समान होता है। किसी की धड़कन रुकने पर सीपीआर देकर जान बचाई जा सकती है। हालांकि इसके तुरंत बाद मरीज को अस्पताल पहुंचा देना चाहिए। ऐसे हजारों उदाहरण हैं। इसके तरीके जन-जन तक पहुंचाने और जागरूक करने के लिए दैनिक जागरण की ओर से प्रत्येक दिन विशेषज्ञों के द्वारा प्रशिक्षण दिलाए जा रहे हैं।
दैनिक जागरण फैला रहा जागरूकता
शुक्रवार को कर्नलगंज स्थित प्रभा कुंज अपार्टमेंट में उपस्थित व्यापारियों और निवासियों को स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के एनेस्थीसिया विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. धर्मेंद्र यादव ने सीपीआर देना सिखाया। डॉ. धर्मेंद्र ने बताया कि हृदय को स्वस्थ रखना जरूरी है। यदि किसी के दिल की धड़कन रुक जाए तो अस्पताल पहुंचाए जाने से पहले सीपीआर देते हुए उसकी जान पर आए खतरे को टाला जा सकता है।
डॉक्टर ने लोगों की जिज्ञासाओं को किया शांत
सीपीआर देने के तरीके हैं। इसे डॉ. धर्मेंद्र यादव ने मैनिकिन पर अभ्यास कराकर बताया। क्षेत्रीय पार्षद आनंद घिल्डियाल, आबकारी विभाग के पूर्व उपायुक्त एन के यादव, चंदन चटर्जी आदि ने प्रश्न किए कि कैसे समझें कि सीपीआर देकर जान बचाई जा सकती है।
सबसे पहले चेक करें धड़कन
इस पर डॉ. धर्मेद्र यादव ने बताया कि गले में नस होती है जिस पर अंगूठा लगाकर अनुभव किया जाता है कि धड़कन चल रही है या नहीं। यदि नस में कुछ धड़कन हो रही है तो सीपीआर देते हुए पीड़ित को अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए। मौके पर सीपीआर तब तक देते रहना चाहिए जब तक एंबुलेंस न आ जाए। तुरंत ही पुलिस को 112 नंबर पर भी फोन करके सूचना दे देना चाहिए।
10 मिनट का समय होता है गोल्डन
किसी की सांस या दिल की धड़कन रुक गई है तो पांच से 10 मिनट उसके लिए गोल्डन समय होता है। इसी अवधि में सीपीआर दिया जाए तो शरीर के भीतर जो ऑक्सीजन घुली होती है वह सक्रिय हो जाती है और मस्तिष्क तक रक्त की आपूर्ति पुन: पहुंचाने में वही सहायक होती है।
ऐसे देते हैं सीपीआर
जिसे हृदयाघात हुआ उसे किसी ठोस जगह पर लिटा दें। उसके पास घुटनों के बल बैठ जाएं। पीड़ित की नाक और गले को चेक कर यह सुनिश्चित कर लें कि उसे सांस लेने में कोई रुकावट तो नहीं आ रही है। इसके बाद अपने दोनों हाथों की मदद से विशेष तरीके से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में तेजी से दबाना होता है।
हर एक दबाव के बाद छाती को वापस अपनी सामान्य स्थिति में आने देना चाहिए। इससे शरीर में पहले से मौजूद रक्त को हृदय पंप करने लगता है। 30 बार दबाव डालने के बाद मुंह पर साफ रुमाल रखकर दो बार सांसें दी जाती हैं। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह शुरू होता है और मस्तिष्क को आक्सीजन मिलने लगती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।