टूटती सांसों में जान डालने में मदद करता है CPR, हार्टअटैक-डूबने व करंट लगने पर ऐसे बचाएं जान
सीपीआर (CPR) एक ऐसी तकनीक है जो हृदय गति रुकने पर जान बचा सकती है। यह हार्ट अटैक डूबने और करंट लगने व दम घुटने जैसी स्थितियों में कारगर है। सीपीआर सीखकर आप किसी की जान बचा सकते हैं। इसको लेकर डॉक्टरों ने लोगों को पूरी जानकारी दी है। आगे विस्तार से जानिए आखिर सीपीआर देने का तरीका और इसके फायदे।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हृदय की बात-एक अभियान दैनिक जागरण का। किसी की टूटती सांसों की डोर को संभालने के लिए प्रशिक्षित करने का अभियान ताकि किसी को हृदयाघात हो तो आप मूकदर्शक नहीं बने। सीपीआर देने के लिए तुरंत कदम बढ़ा सकें। दिल किसी को कभी भी धोखा दे सकता है।
दैनिक जागरण सीपीआर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पांच दिवसीय अभियान की शुरुआत आज से कर रहा है। लोग इस अभियान से सीपीआर सीखकर लोगों की जान बचा सकते हैं। केवल हार्ट अटैक आने पर ही नहीं बल्कि डूबने, करंट लगने, दम घुटने पर भी सीपीआर देकर जान बचाई जा सकती है।
इनका रखें ध्यान
- सीपीआर देने से पहले पीड़ित की स्थिति की गंभीरता से जांच करें
- सीपीआर देने लिए सीने पर दबाव डालने के लिए अपने हाथों का प्रयोग करें
- सीपीआर देने के लिए मरीज के मुंह में सांस देने के लिए अपने मुंह का उपयोग करें
- सीपीआर देते ही मेडिकल सहायता के लिए तत्काल काल करें
डॉक्टर ने बताए सीपीआर के फायदे
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कातियाल ने बताया कि सीपीआर से दिल की धड़कन को फिर से शुरू करने में मदद मिलती है। यह जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सीपीआर से मस्तिष्क को आक्सीजन पहुंचती है, जिससे मस्तिष्क की क्षति को कम किया जा सकता है। दिल की कार्यक्षमता सुचारू हो जाती है। कई बार धड़कन रुकने पर सीपीआर से दिल की धड़कन को फिर से शुरू किया जा सकता है।
अस्पताल पहुंचने से पहले सीपीआर देकर किसी का भी जीवन बचाने में सहायता की जा सकती है। कई बार बिजली का झटका लगने से सांस रुक जाती है। ऐसे में मरीज को अस्पताल पहुंचाने से पहले सीपीआर देकर उसकी जान बचा सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति डूब जाता है और उसे सांस नहीं आ रही है तो सीपीआर देकर उसकी जान बचाई जा सकती है।
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इस तरह कर करें सीपीआर
- मरीज की सांस लेने और दिल की धड़कन की जांच कर लें
- सबसे पहले गले के नीचे दिल की धड़कन की जांच करें
- दिल की धड़कन नहीं होने पर सीपीआर देना शुरू करें
- मरीज के सीने पर हाथ से 30 बार दबाव डालें
- हर बार दबाव के लिए दो से तीन सेकंड का समय लें
- मरीज के मुंह में दो बार सांस दें
- प्रत्येक सांस के लिए एक सेकंड का समय दें
- धड़कन शुरू होने तक सीने पर दबाव व सांस देते रहें
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