प्रयागराज मंडल में 'फलों के राजा' के निर्यात को बढ़ावा देंगी रंगीन आम की प्रजातियां, नौ प्रकार के नजर आएंगे
प्रयागराज में अब इलाहाबादी अमरूद के साथ आम की बागवानी भी विकसित होगी। कुंडा और कौशांबी में दशहरी, चौसा, लंगड़ा के साथ नौ रंगीन आम की प्रजातियाँ भी उगा ...और पढ़ें

प्रयागराज के औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र खुसरोबाग में तैयार की जा रही आम की नई प्रजाति। जागरण
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। भले ही ‘इलाहाबादी अमरूद’ के लिए प्रयागराज प्रसिद्ध हो, लेकिन आम की बागवानी से भी इसका गहरा नाता है। कुंडा और कौशांबी इसका गढ़ है। अभी यहां पर दशहरी, चौसा, लंगड़ा समेत आम की कुछ सामान्य प्रजातियां ही मिलती हैं। आने वाले दिनों में अलग-अलग रंगों वाली नौ प्रजातियाें के आम भी इन बागों में दिखेंगे। उम्मीद है कि यह प्रजातियां आम के निर्यात को भी बढ़ावा देंगी।
यहां से विदेशाों में भी होता है निर्यात
प्रयागराज मंडल के प्रयागराज, प्रतापगढ़ और कौशांबी जनपद फलपट्टी वाले क्षेत्रों में आते हैं। इन तीनों जिलों में लगभग 2100 हेक्टेयर में आम की बागवानी होती है। प्रतापगढ़ के कुछ बागवानों का आम विदेश भी जाता है।
आम की नौ नई प्रजातियों के 560 पौधे हो रहे तैयार
मुख्य उद्यान विशेषज्ञ डा. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि आम की नौ नई प्रजातियों के 560 पौधे औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र में तैयार किए जा रहे हैं। इनमें मल्लिका, आम्रपाली, पूसा अरुणिमा, पूसा सूर्या, पूसा प्रतिभा, पूसा श्रेष्ठ, पूसा लालिमा, पूसा पीतांबर और पूरा मनोहरी आम शामिल हैं। दशहरी, चौसा, लंगड़ा और अन्य परंपरागत प्रजातियों से कई गुना यह बेहतर हैं।
नई दिल्ली में तैयार किया गया है
नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में इन्हें तैयार किया गया था। तमाम खूबियों से भरपूर यह प्रजातियां वर्ष 2018 में वहां से निकली थीं। फिर वर्ष 2022 में बस्ती के इंडो इजराइल सेंटर से इनका वितरण शुरू हुआ। यूपी के लखनऊ, सहारनपुर, गोरखपुर और बस्ती समेत कुछ जनपदों में ही अब तक यह पहुंचीं हैं।
150 पौधों को खुसरोबाग में लगाए जाएंगे
प्रयागराज के लिए भी इनकी कलम बस्ती से ही मंगाई गई हैं। इनमें से लगभग 150 पौधों को खुसरोबाग में मदर प्लांट के रूप में तैयार किया जाएगा। शेष पौधे बागवानों को दिए जाएंगे। वहीं खुसरोबाग के मदर प्लांट से बाद में नई पौध तैयार की जाएगी। इन प्रजातियों का आम निर्यात के मानकों पर ज्यादा खरे उतरेंगे। इससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगी।

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