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    यूपी के इस शहर में बेतिया राज की संपत्तियों पर नए निर्माण पर लगी रोक, जल्द होगा चिह्नीकरण

    Updated: Wed, 09 Apr 2025 02:30 PM (IST)

    बिहार के बेतिया राज की संपत्तियों पर नए निर्माण पर रोक लगा दी है। बिहार सरकार ने इस रियासत की संपत्तियों को लेकर बनाए गए नए कानून के तहत नवनिर्माण पर रोक लगाने के लिए उत्तर प्रदेश शासन से किया था जिस पर प्रशासन ने यह निर्देश जारी कर दिया। अभी तक जो भी निर्माण हुए हैं उनका सर्वे कराया जा रहा है। इसके बाद संपत्तियों का चिह्नीकरण कराया जाएगा।

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    बेतिया राज की संपत्तियों पर नहीं हो सकेगा निर्माण। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। इन दिनों सुर्खियां बनी बिहार के बेतिया राज की संपत्तियों पर नए निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बिहार सरकार ने इस रियासत की संपत्तियों को लेकर बनाए गए नए कानून के तहत नवनिर्माण पर रोक लगाने के लिए उत्तर प्रदेश शासन से किया था, जिस पर प्रशासन ने यह निर्देश जारी कर दिया। अभी तक जो भी निर्माण हुए हैं, उनका सर्वे कराया जा रहा है।

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    इसके बाद संपत्तियों का चिह्नीकरण कराया जाएगा। जिसके बाद यहां रहने वालों को नोटिस भेजा जाएगा। राजघराने की संपत्ति पर निर्माण कराने वालों से आपसी समझौता पर भी विचार चल रहा है, क्योंकि नए कानून में बेदखली की कार्यवाही का उल्लेख नहीं है।

    बेतिया राज की जमीन बिहार व बंगाल के अलावा उत्तर प्रदेश के आठ जिलों प्रयागराज, कुशीनगर, गोरखपुर, वाराणसी, महराजगंज, बस्ती, अयोध्या एवं मीरजापुर में 123.32 एकड़ भूमि का रिकार्ड था। इनके सत्यापन के दौरान 20 एकड़ और भूमि का पता चला, जिस हिसाब से कुल संपत्ति 143 एकड़ तक पहुंच गई। इन संपत्तियों की कीमत अरबों में बताई जा रही हैं।

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    उत्तर प्रदेश में बेतिया राजघराने की संपत्तियों के सत्यापन और चिह्नीकरण के लिए बिहार सरकार ने प्रयागराज में बिहार राजस्व परिषद का शिविर कार्यालय भी खोल दिया है। इसमें तैनात अफसरों ने प्रयागराज समेत आठ जिलों में बेतिया राज की संपत्तियों का सर्वे शुरू कराया है। प्रयागराज के मुट्ठीगंज, सिविल लाइंस और बघाड़ा में इस राजपरिवार की संपत्तियां हैं।

    बिहार राजस्व परिषद के चेयरमैन केके पाठक अधिकारियों के साथ पिछले हफ्ते प्रयागराज आए थे और बेतिया राज के महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह तथा महारानी जानकी कुंवर के नाम से 1359 फसली वर्ष की खतौनी-खसरा में दर्ज संपत्तियों का सर्वे कराकर चिन्हीकरण किए जाने के लिए प्रयागराज प्रशासन से कहा था।

    प्रयागराज के मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत, मुख्य राजस्व अधिकारी कुंवर पंकज के साथ बैठक कर सर्वे व चिह्नीकरण कार्य तेजी से कराने की बात कही थी। इन संपत्तियों के सर्वे के लिए राजस्व टीमें लगाई गई हैं। जल्द ही सर्वे का कार्य पूरा हो जाएगा।

    मुट्ठीगंज की संपत्ति के अभिलेख मिले, उर्दू मर्मज्ञ बुलाए गए

    बेतिया रिसायत की मुट्ठीगंज में स्थित हाता व कोठी के अभिलेख जिला प्रशासन को मिल गए हैं। ये दस्तावेज उर्दू में है, जिसे पढ़ने के लिए मंगलवार को उर्दू मर्मज्ञ बुलाए गए। मुख्य राजस्व अधिकारी कुंवर पंकज ने बताया कि उर्दू पढ़ने वाले कलेक्ट्रेट के दो कर्मचारियों को बुलाकर हिंदी में अनुवाद कराया जा रहा है।

    बेतिया राज की संपत्ति। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)


    अनुवाद के बाद दस्तावेजों का अध्ययन कराया जाएगा, जिसके लिए दो एसडीएम व दो तहसीलदार व लेखपालों की टीमें लगाई गई हैं। एडीएम नजूल प्रदीप कुमार ने बताया कि सिविल लाइंस स्थित स्ट्रेची रोड स्थित महल व अन्य संपत्ति नजूल की है, जिसकी लीज के खत्म हो गई है। लीज के अभिलेख खंगाले जा रहे हैं। बेतिया राज की संपत्तियों को लेकर पिछले वर्ष बिहार के मुख्य सचिव और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव स्तर पर वार्ता हुई थी।

    दोनों मुख्य सचिवों की वार्ता के बाद यह तय हुआ था कि राजस्व परिषद के अफसरों की कमेटी पहले इस राजघराने की संपत्ति का सर्वे करेगी। इसी वार्ता के बाद से सर्वे का कार्य चल रहा है। इस राजघराने की तीन प्रदेशों उप्र, बिहार व बंगाल में आठ हजार करोड़ रुपये की लगभग 14 हजार एकड़ भूमि का पता चला है। बेतिया राज का कोई वारिस नहीं था। इसलिए 'सेंट्रल प्रोविंस कोर्ट आफ वार्ड्स एक्ट' के तहत बिहार सरकार इस संपत्ति की देखरेख कर रही थी।

    अब बिहार सरकार ने इसे अपने कब्जे में ले लिया है। इसके लिए बाकायदा विधानसभा में एक बिल पेश किया गया। बेतिया राज की शुरुआत चंपारण क्षेत्र में हुई। इसका इतिहास उज्जैन सिंह और उनके बेटे गज सिंह से जुड़ा है।

    बेतिया के अंतिम महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह के निधन के बाद उनकी पहली पत्नी महारानी रत्ना कुंवर वारिस बनी थीं। उनके निधन के बाद महाराजा हरेंद्र किशोर की दूसरी पत्नी महारानी जानकी कुंवर को इस राजघराने का उत्तराधिकारी घोषित किया गया लेकिन बाद में 1897 से यह संपत्ति कोर्ट आफ वार्ड्स के प्रबंधन के अधीन आ गई।

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    खास-खास 

    • 08 हजार करोड़ रुपये की 15 हजार एकड़ कुल संपत्ति है बेतिया राज परिवार की
    • 230 वर्षों से इस राजघराने का कोई वारिस नहीं, महारानी जानकी थीं अंतिम वारिस

    बेतिया राज की 140 एकड़ भूमि पर कब्जा

    उत्तर प्रदेश में बेतिया राज की कुल 143.26 एकड़ भूमि में से मात्र तीन एकड़ पर राजघराने का कब्जा है। मतलब 140 एकड़ भूमि पर अवैध कब्जा है। बेतिया राजघराने की संपत्ति का सत्यापन चल रहा है, जिससे संपत्तियों पर अवैध कब्जा का प्रकरण भी सामने आया है। वाराणसी एवं प्रयागराज में बेतिया राज की 49 व्यावसायिक दुकानें हैं। वाराणसी में बेतिया राज की 37 दुकानें हैं।

    इन दुकानों से मात्र 61 हजार 945 रुपये किराया प्राप्त होता है। प्रयागराज में 12 दुकानें बेतिया राज की हैं। इन दुकानों पर अवैध कब्जा है, जिससे राजस्व प्राप्त नहीं होता है। इन सभी दुकानों को बेतिया राज प्रबंधन की ओर से किराए पर दिया गया था लेकिन दुकानदारों ने किराया देना बंद कर दिया। करीब दो दशक से इन दुकानों से बेतिया राज को कोई राजस्व प्राप्त नहीं हो रहा है।