छींक और नाक बंद से आप भी परेशान हैं? एलर्जिक राइनाइटिस हो सकता है कारण, कैसे फैलती है, क्या है इलाज, बता रहे डाॅक्टर
प्रयागराज में डॉक्टरों ने एलर्जिक राइनाइटिस के बारे में जानकारी दी। बार-बार छींक आना, नाक बंद होना, नाक में खुजली और आंख से पानी आना इसके लक्षण हैं। यह एलर्जी की प्रक्रिया है और इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। समय पर इलाज न होने पर यह दमा में बदल सकती है। अस्थमा के कारणों और बचाव के बारे में भी बताया गया, जिसमें एलर्जी, धुआं और ठंडा मौसम शामिल हैं।

एएमए में आयोजित वैज्ञानिक संगोष्ठी के दौरान अतिथि को सम्मानित करते अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार मिश्रा। सौजन्य, एएमए
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। बार-बार छींक आना, नाक बंद होना, नाक में खुजली और आंख से पानी आने की समस्या एलर्जिक राइनाइटिस से होती है। यह एलर्जी की एक प्रक्रिया है। इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। चिकित्सक से परामर्श लेकर दवा लेनी चाहिए।
इससे बचने को जीवन शैली में करें बदलाव : डाॅ. आशुतोष
मौसम बदलने पर पराग गण, पालतू जानवरों की रूसी, फफूंद और कीड़े, बुखार के लक्षणों का कारण बन सकते हैं। आंख में जलन होने लगती है। राइनाइटिस की जकड़न से बाहर निकलना है तो जीवनशैली में बदलाव करना होगा। एलर्जी की दवाओं और इम्यूनोथेरेपी (एलर्जी इंजेक्शन) का सेवन किया जा सकता है। रविवार को इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के कन्वेंशन सेंटर में यह जानकारी वैज्ञानिक संगोष्ठी में ईएनटी सर्जन डाॅ. आशुतोष राय ने दी।
कई लोग नान-एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित होते हैं
डॉ. आशुतोष ने बताया कि सभी राइनाइटिस एलर्जिक नहीं होते। कई लोग नान-एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित होते हैं। नाक बंद होना, छींक आना और नाक बहना, नाक, गले और आंखों में खुजली, पानी भरी या लाल आखें, सिरदर्द, साइनस का दबाव और आंखों के नीचे काले घेरे, नाक और गले में अधिक बलगम जमा होना, थकान, गले में खराश (पोस्टनासल ड्रिप), घरघराहट, खांसी और सांस लेने में परेशानी जैसी समस्या भी हो सकती है।
एलर्जी की दवाएं लक्षणों को सुधार ला सकती हैं
उन्होंने बताया कि कई एलर्जी की दवाएं लक्षणों में सुधार ला सकती है। उपचार कई रूपों में उपलब्ध हैं। तरल पदार्थ, टैबलेट, आई ड्राप, नाक के स्प्रे और इंजेक्शन शामिल हैं। बताया कि यदि समय रहते एलर्जिक राइनाइटिस का इलाज न हो तो वह दमा में बदल जाती है।
अस्थमा के लक्षण
इस अवसर पर छाती रोग विशेषज्ञ डा. आशुतोष गुप्ता अस्थमा पर व्याख्यान दिया। कहा कि एक ऐसी स्थिति है, जिसके कारण सांस की नली में सूजन आ जाती है, इससे नली संकरी हो जाती है और बलगम से भर जाती है। सांस लेना मुश्किल हो सकता है या सीने में जकड़न, खांसी और घरघराहट जैसे अन्य लक्षण हो सकते हैं।
अस्थमा का कारण
जानकारी दी कि अस्थमा के सामान्य कारणों में एलर्जी (जैसे पालतू जानवर या पराग), धुआं, ठंडा मौसम, व्यायाम, तेज गंध और तनाव शामिल हैं। अगर इलाज न किया जाए तो अस्थमा के दौरे जानलेवा हो सकते हैं। बताया कि अस्थमा को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि किसी भी ज्ञात ट्रिगर से बच्चे अपनी सांस की नली को खुला रखने के लिए दवाएं लेते रहें।
मेंटिनेंस इनहेलर का सेवन अस्थमा में मददगार
बताया कि अस्थमा में मेंटिनेंस इनहेलर का सेवन मददगार है। इनमें आमतौर पर इनहेल्ड स्टेरॉयड होते हैं जो सूजन कम करते हैं। कभी-कभी, इन्हें विभिन्न प्रकार के ब्रोंकोडायलेटर्स के साथ मिलाया जाता है। तेजी से काम करने वाले ब्रेस्क्यू इन्हेलर अस्थमा के दौरे के दौरान मदद कर सकते हैं।
इन डॉक्टरों को किया गया सम्मानित
डाॅ. अशोक कुमार मिश्रा ने वक्ताओं को स्मृति चिह्न तथा डाॅ. सुभाष चंद्र वर्मा, डाॅ. संजीव सिंह, डाॅ. वैभव कृष्ण को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता एएमए के अध्यक्ष डाॅ. अशोक कुमार मिश्रा तथा सहायक सचिव डाॅ. अभिनव अग्रवाल ने संचालन किया। डाॅ. जेवी राय, डाॅ. कमल सिंह, डाॅ. अशोक अग्रवाल, डाॅ. सुजीत सिंह, डाॅ. आरकेएस, डाॅ. सुबोध जैन, डाॅ. अनूप चौहान, डाॅ. उत्सव सिंह, डाॅ. राजेश मौर्या आदि उपस्थित रहे।

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