Allahabad University के विद्यार्थी मात्र तीन माह की पढ़ाई में ही सेमेस्टर परीक्षाओं देंगे, पाठ्यक्रम पूरा करने का मानक अधूरा
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों को सेमेस्टर परीक्षाओं की तैयारी के लिए केवल तीन महीने मिले, क्योंकि प्रवेश देर से हुए और छुट्टियां भी थीं। यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से शैक्षणिक कैलेंडर का पालन करने को कहा है। रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय में भी कक्षाएं कम चलीं। ऐसे में, छात्रों को अधूरी तैयारी के साथ परीक्षा देनी होगी।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आधी-अधूरी पढ़ाई के बीच स्नातक पाठ्यक्रम के छात्र सेमेस्टर परीक्षाएं देंगे।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में देरी के कारण छात्रों को पढ़ाई के लिए बमुश्किल तीन से चार महीने का ही समय मिलता है। इसमें से भी दशहरा, दीपावली जैसे पर्व पड़ने के कारण काफी दिन छुट्टियों में बीत जाते हैं। पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए तय दिनों का मानक पूरा किए बिना ही छात्रों को परीक्षा देनी होती है।
आधी-अधूरी पढ़ाई के बीच स्नातक की सेमेस्टर परीक्षाएं
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के तीन महीने में ही सेमेस्टर परीक्षाएं प्रस्तावित कर दी गई है। आधी-अधूरी पढ़ाई के बीच स्नातक पाठ्यक्रम के छात्र सेमेस्टर परीक्षाएं देंगे। हालांकि प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय ने अगस्त से ही पढ़ाई शुरू कर दी थी पर चार महीने से कम समय पढ़ाई को मिला। ऐसे में आधी-अधूरी पढ़ाई के बीच छात्र 27 नवंबर से शुरू हुई परीक्षा में शामिल हो रहे हैं।
यूजीसी ने जताई गंभीर नाराजगी
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देशभर के विश्वविद्यालयों में लेटलतीफ शैक्षणिक सत्र और अव्यवस्थित परीक्षा-प्रणाली पर गंभीर नाराजगी जताई है। कहा कि सभी विश्वविद्यालय तय शैक्षणिक कैलेंडर के अनुसार समय पर परीक्षा कराएं, परिणाम निर्धारित अवधि में जारी करें और छात्रों को समय से डिग्री उपलब्ध कराएं, ताकि उनकी आगे की पढ़ाई और रोजगार के अवसर प्रभावित न हों। यूजीसी का यह रुख प्रयागराज के उच्च शिक्षण संस्थानों के संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण है, जहां बीते महीनों में शैक्षणिक गतिविधियों का कैलेंडर सामान्य रूप से पटरी पर नहीं आ पाया।
लंबी छुट्टियों के कारण नियमित क्लास प्रभावित रही
इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने इस वर्ष पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्नातक पाठ्यक्रम को वार्षिक प्रणाली से बदलकर सेमेस्टर प्रणाली में लागू किया। सितंबर में प्रवेश प्रक्रिया चलती रही। सप्ताह में शनिवार-रविवार अवकाश और दशहरा और दीपावली की लंबी छुट्टियों के कारण नियमित क्लास प्रभावित रही। कुल मिलाकर छात्रों के पास सिर्फ तीन महीनों की पढ़ाई उपलब्ध हुई, जबकि दिसंबर के पहले सप्ताह से ही परीक्षा निर्धारित कर दी गई है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षण संभव होना मुश्किल
नई प्रणाली, नया पाठ्यक्रम और कम समय इन तीनों के कारण छात्रों को आधी-अधूरी तैयारी के बीच परीक्षा में बैठना होगा। स्पष्ट है कि इतने कम समय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण संभव होना मुश्किल है।
राज्य विश्वविद्यालय की स्थिति जानें
वहीं प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विश्वविद्यालय में अगस्त से नवंबर तक सिर्फ चार महीने ही कक्षाएं चलीं। 27 नवंबर से परीक्षाएं प्रारंभ हो चुकी हैं, जबकि इस यहां भी अवकाशों की वजह से 90 दिन की पढ़ाई का कोरम पूरा नहीं हाे पाया। कैंपस में जो किसी तरह पाठ्यक्रम पूरा हुआ पर कालेजों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए कोर्स पूरा करना आसान नहीं रहा। जाहिर कि कम समय में सिलेबस पूरा होना बेहद कठिन है और अधूरी पढ़ाई में छात्रों का परीक्षा में प्रदर्शन ही नहीं उनके ज्ञान का स्तर भी कमजोर ही रहेगा।

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