Allahabad High Court : ग्राम प्रधान के खिलाफ आपराधिक केस कार्रवाई रद, वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ कर 42 नाम जोड़ने का था आरोप
Allahabad High Court ने मोहाना थाना क्षेत्र की ग्राम प्रधान जान्हवी मणि त्रिपाठी के खिलाफ आपराधिक केस रद्द कर दिया। उन पर वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ कर 42 नाम जोड़ने का आरोप था। कोर्ट ने कहा कि वोटर लिस्ट तैयार करना चुनाव अधिकारी का काम है, ग्राम प्रधान का नहीं। याची के खिलाफ आरोपों का कोई सबूत नहीं है। हारे हुए प्रत्याशी के बयान पर उन्हें लपेटा गया था।

Allahabad High Court ने मतदाता सूची में छेड़छाड़ के मामले में ग्राम प्रधान के खिलाफ आपराधिक मामले की कार्यवाही रद कर दी है।
विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। Allahabad High Court ने मोहाना थाना क्षेत्र में झांगती की ग्राम प्रधान जान्हवी मणि त्रिपाठी के खिलाफ सीजेएम सिद्धार्थनगर की अदालत में चल रही आपराधिक केस कार्रवाई रद कर दी है। याची पर वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ 42 नाम जोड़ने व धोखाधड़ी का आरोप था। यह आदेश न्यायमूर्ति पदम नारायण मिश्र ने जान्हवी की याचिका स्वीकार करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा- याची के खिलाफ आरोपों का सबूत नहीं
Allahabad High Court ने कहा, ग्राम पंचायत चुनाव की मतदाता सूची सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी की गई थी। वोटरलिस्ट तैयार करने में चुनी गई ग्राम प्रधान ( याची) की कोई भूमिका नहीं थी। हारे हुए प्रत्याशी लोकेश्वर त्रिपाठी के बयान पर याची को भी लपेटा गया है। वोटरलिस्ट बनाना चुनाव अधिकारी का काम है, याची का नहीं। याची के खिलाफ लगाए गए आरोपों का कोई सबूत नहीं है।
महराजगंज में दर्ज थी एफआइआर
याची की तरफ से अधिवक्ता सैयद वाजिद अली ने बहस की। महराजगंज के मोहाना थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 419,420,467,468व धारा 1136(2) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत एफआइआर दर्ज की गई थी। इसमें ग्राम विकास अधिकारी, खंड विकास अधिकारी व अपर खंड विकास अधिकारी को आरोपित बनाया गया है।
वैधता को दी गई थी चुनौती
Allahabad High Court पुलिस ने विवेचना कर चार्जशीट दाखिल की। चुनाव अधिकारी लिपिक बालकृष्ण व याची जान्हवी मणि त्रिपाठी को भी आरोपित बनाया गया। सीजेएम सिद्धार्थ नगर की अदालत में आपराधिक केस विचाराधीन था। इसकी वैधता को चुनौती दी गई थी। वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ कर 42 नाम जोड़ने और चुनाव जीतने का आरोप लगाया गया।
हारे प्रत्याशी ने दायर की थी चुनाव याचिका
हारे हुए प्रत्याशी ने चुनाव याचिका भी दायर की है। उसके बयान पर याची को आपराधिक केस में आरोपित किया गया था। इसे कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग माना गया। कहा गया कि याची के खिलाफ अपराध में शामिल होने का सबूत नहीं है। एफआइआर में वह नामित नहीं थी। राजनैतिक कारणों से हारे प्रत्याशी के बयान पर उसे फंसाया गया है। उसके खिलाफ कोई केस नहीं बनता।

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