इलाहाबाद हाई कोर्ट ने CAA विरोध प्रदर्शन के मामले में AMU छात्र को दी राहत, दर्ज मुकदमे में जारी समन पर लगाई रोक
इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के छात्र के खिलाफ सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान दर्ज मुकदमे में जारी समन आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि 26 फरवरी 2020 को झूठे और परेशान करने की नीयत से एफआईआर दर्ज की गई थी। कथित अपराध के संबंध में कोई साक्ष्य नहीं है।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के छात्र के खिलाफ सीएए कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान दर्ज मुकदमे में जारी समन आदेश व मुकदमे की पूरी कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार पचौरी ने मिस्बाह कैसर की याचिका पर दिया।
याची बी. आर्क की पढ़ाई कर रहा था। वर्ष 2020 में देशभर में सीएए, एनआरसी कानून के विरोध में प्रदर्शन शुरू हुआ। इसी दौरान याची पर सीएए, एनआरसी कानून के विरोध में नारे लगाने व लोक सेवक के आदेश का पालन न करने, रास्ता रोकने आदि आरोप में अलीगढ़ के सिविल लाइन थाने में एफआइआर दर्ज की गई थी।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में मामला लंबित है। अदालत ने समन जारी किया है। उसे याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। याची के अधिवक्ता अली बिन सैफ व कैफ हसन ने दलील दी कि 26 फरवरी 2020 को झूठे और परेशान करने की नीयत से एफआइआर दर्ज की थी।
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कथित अपराध के संबंध में कोई साक्ष्य नहीं है। अपर शासकीय अधिवक्ता ने दलीलों का विरोध किया। कोर्ट ने विपक्षियों से जवाब मांगा और अगली सुनवाई तक समन के साथ अन्य कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
अवैध विद्युत कनेक्शन विच्छेद करने का आदेश पारित करने का निर्देश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अधिशासी अभियंता पूर्वांचल विद्युत वितरण खंड रामबाण प्रयागराज को बहादुरगंज स्थित अमर वैश्य के मकान नंबर 165/105 में विजय वैश्य के नाम से जारी अवैध विद्युत कनेक्शन विच्छेद करने की अर्जी पर आठ हफ्ते में पक्षों को सुनकर आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ तथा न्यायमूर्ति वी सी दीक्षित की खंडपीठ ने फूलपुर निवासी गीता वैश्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची का कहना है कि बहादुरगंज स्थित मकान का उसके पति अमर वैश्य तन्हा मालिक है।
इसमें दूसरे के नाम से विद्युत कनेक्शन विच्छेद करने की अर्जी 24 दिसंबर 2024 को अधिशासी अभियंता को दी गई है, लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है। इसको लेकर दस्तावेज भी सौंपे जा चुके हैं फिर भी आदेश नहीं दिया जा रहा। इस पर कोर्ट ने अधिशासी अभियंता को आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।
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