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    न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को गुपचुप तरीके से दिलाई शपथ, नाम इलाहाबाद HC की वेबसाइट पर; एचसीबीए ने की निंदा

    Updated: Sat, 05 Apr 2025 06:34 PM (IST)

    हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद ने जस्टिस यशवंत वर्मा को गुपचुप तरीके से शपथ दिलाए जाने की निंदा की है। एसोसिएशन ने मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली को पत्र भेजकर आग्रह किया कि जस्टिस वर्मा को कोई प्रशासनिक या न्यायिक कार्य न सौंपा जाए। एसोसिएशन का कहना है कि शपथ समारोह की जानकारी अधिवक्ताओं और अन्य न्यायाधीशों को नहीं दी गई जिससे न्याय प्रणाली पर भरोसा प्रभावित हुआ है।

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    न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा - जागरण ग्राफिक्स ।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद (एचसीबीए) ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को गुपचुप तरीके से शनिवार को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाए जाने की निंदा की है। साथ ही पत्र भेज कर मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली से आग्रह किया है कि उन्हें (न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को) कोई प्रशासनिक या न्यायिक दायित्व न सौंपा जाए।

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    महामंत्री विक्रांत पांडेय के हस्ताक्षर से जारी पत्र में कहा गया है कि पूरा बार एसोसिएशन इस जानकारी से व्यथित है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में पद की शपथ ‘गुपचुप’ दिला दी गई।

    महामंत्री ने कहा, न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजे जाने के खिलाफ हमारे विरोध को देखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) ने बार के सदस्यों से भेंट में आश्वासन दिया था कि न्यायिक प्रणाली की गरिमा बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।

    'न्याय न प्रतीत भी होना चाहिए'

    एचसीबीए पदाधिकारी ने कहा, न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि प्रतीत भी होना चाहिए कि ऐसा किया जा रहा है। न्यायमूर्ति को शपथ दिलाना हमारी न्यायिक प्रणाली में सर्वोत्कृष्ट अवसर होता है। संस्था में अधिवक्ता समान हितधारक हैं, इसलिए उन्हें इससे दूर नहीं रखा जा सकता।

    एसोसिएशन ने प्रस्ताव पारित कर कहा था कि शपथ संविधान के विरुद्ध है और इसलिए एसोसिएशन के सदस्य असंवैधानिक शपथ से जुड़ना नहीं चाहते। महामंत्री ने कहा, ‘हमने जो संकल्प लिया, वह खुलकर कहा। आपको तथा अन्य संबंधित लोगों को प्रस्ताव की प्रति भी भेजी।

    ऐसे में हम यह समझने में विफल हैं इस शपथ में ‘गुप्त’ क्या है? इसकी सूचना बार को नहीं दिया जाना बड़ा सवाल है। इसने फिर न्यायिक व्यवस्था में लोगों का विश्वास खत्म कर दिया है।’ शपथ ग्रहण पारंपरिक रूप से खुली अदालत में किया जाता रहा है।

    अधिवक्ता बिरादरी को इसकी जानकारी से वंचित रखने से इस संस्था में उनका विश्वास खत्म हो सकता है। महामंत्री का दावा है कि अधिकतर न्यायमूर्तियों को भी शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित/ सूचित नहीं किया गया था।

    नाम इलाहाबाद हाईकोर्ट की अधिकृत वेबसाइट पर

    इलाहाबाद हाई कोर्ट की वेबसाइट पर न्यायमूर्तियों के विवरण में जस्टिस यशवंत वर्मा का विवरण भी अंकित हो गया है। इसमें पांच अप्रैल को शपथ दिलाए जाने की बात भी है। अभी वरिष्ठता क्रम में उनका नाम छठवें स्थान पर हैं। प्रधानपीठ में मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली को छोड़कर अब 56 न्यायमूर्ति हो गए हैं, जबकि लखनऊ खंडपीठ में यह संख्या वर्तमान में 23 है।