विरोधाभासी आदेश पर SDM से हाई कोर्ट ने मांगी जानकारी, दो हफ्ते में होगी सुनवाई; पढ़िए क्या है पूरा मामला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज के सोरांव तहसील में चकरोड पर अतिक्रमण के मामले में एसडीएम सोरांव से विरोधाभासी रिपोर्ट पर दो हफ्ते में स्पष्टीकरण मांगा है। न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम ने विद्याधर शुक्ल की याचिका पर यह आदेश दिया। कोर्ट ने स्टाफ नर्स भर्ती परीक्षा-2023 में कट ऑफ से अधिक अंक पाने वालों को चयन सूची में शामिल न करने पर भी जानकारी मांगी है।

विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज की सोरांव तहसील के गांव सुल्तानपुर अकबर में चकरोड पर अतिक्रमण को लेकर विरोधाभासी रिपोर्ट देने के लिए एसडी एम सोरांव से दो सप्ताह में जानकारी मांगी है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम ने विद्याधर शुक्ल की याचिका पर दिया है।
याची की तरफ से अधिवक्ता रमेश तिवारी ने बहस की। इनका कहना है कि एसडीएम ने 30अगस्त 2023 की रिपोर्ट में कहा कि चकरोड आराजी संख्या 364 की तरफ मोड़ दिया गया है। याची ने आराजी संख्या 118 से चकरोड अतिक्रमण की शिकायत की तो एसडीएम ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याची की जमीन पर कोई अतिक्रमण नहीं हुआ है।
एक तरफ एसडीएम ने कहा है कि चकरोड दूसरी आराजी में मोड़ दिया गया और दूसरी तरफ याची की जमीन से चकरोड को अतिक्रमण नहीं मान रहे हैं। कोर्ट ने इस विरोधाभासी स्टैंड पर जानकारी मांगी है। याचिका की सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट। जागरण
कट ऑफ से अधिक अंक तो क्यों नहीं किया चयनित : हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्टाफ नर्स भर्ती परीक्षा-2023 में कट आफ से ज्यादा अंक पाने वाले अभ्यर्थियों के नाम चयन सूची में शामिल नहीं करने पर उप्र लोक सेवा आयोग से 12 मई तक जानकारी मांगी की है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने अर्चना रानी व दस अन्य की याचिका पर दिया है। इससे पहले कोर्ट में आयोग की ओर से सीलबंद लिफाफे में परीक्षा परिणाम पेश किया था।
कोर्ट ने पाया कि दस में केवल दो याची साधना यादव और अमन वर्मा ही कट आफ से ज्यादा अंक पाएं हैं, उनका नाम चयन सूची में नहीं है। इस पर आयोग ने बताया कि साधना यादव का चयन टाई ब्रेक के कारण नहीं हुआ, जबकि अमन वर्मा के सवाल पर जानकारी नहीं दी गई। कोर्ट ने 12 मई की तारीख नियत कर आयोग को जानकारी पेश करने का आदेश दिया है।
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किसी के अन्य के हित के लिए दाखिल जनहित याचिका खारिज
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किसी अन्य के हित में दाखिल जनहित याचिका भविष्य में ऐसा न करने की चेतावनी के साथ खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि जनहित के अलावा अन्य उद्देश्य के लिए दाखिल याचिका पोषणीय नहीं है। यह आदेश मुख्य न्यायधीश अरुण भंसाली तथा न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने कानपुर नगर के आकाश कुमार की जनहित याचिका पर दिया है।
याची का कहना था कि याचिका के एक विपक्षी से डोर टू डोर मीटर रीडिंग व बिल वितरण का कार्य न लिया जाए। कोर्ट ने याची के अधिवक्ता से दाखिल किए गए दस्तावेजों का स्रोत पूछा तो अधिवक्ता जवाब नहीं दे सके।
कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह याचिका प्रतिवादी के प्रतिद्वंद्वी निविदादाता की ओर से दाखिल कराई गई है। याचिका का उद्देश्य जनहित में न होकर कुछ और है। कोर्ट ने अधिवक्ता को भविष्य में ऐसी याचिका दाखिल न करने की चेतावनी भी दिया है।
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