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    Dr. Ram Vilas Vedanti का प्रतापगढ़ और प्रयागराज से था गहरा नाता, राजनीतिक ही नहीं धार्मिक भी था जुड़ाव

    By Jagran News Edited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Mon, 15 Dec 2025 03:49 PM (IST)

    राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख चेहरे डॉ. राम विलास वेदांती का रीवा में निधन हो गया, जिससे प्रतापगढ़ के लोग स्तब्ध हैं। डॉ. वेदांती का जिले से गहरा राजन ...और पढ़ें

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    प्रतापगढ़ से अटूट राजनीतिक और धार्मिक जुड़ाव रखने वाले डॉ. राम विलास वेदांती की फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़। राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख चेहरों में डाॅ. राम विलास वेदांती भी रहे। उनका जब रीवा में सोमवार को एकादशी पर निधन हुआ तो जिले के लोग स्तब्ध रह गए। डाॅ. वेदांती जिले से राजनीतिक व धार्मिक रूप से सदैव जुड़े रहे। वह राम कथाओं में बराबर यहां अपनी विद्वता की गंगा का प्रवाह करते रहे।

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    जिले के सैकड़ों लोगों को राम जन्मभूमि आंदोलन से जोड़ा

    उनका जिले में बराबर आना-जाना लगा रहा। वह राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े तो प्रतापगढ़ के सैकड़ों लोगों को जोड़ा। वह बराबर यहां आंदोलन की रूपरेखा तय करने के लिए भी आते रहे। अनेक लोगों के साथ उनकी यादे हैं।

    वर्ष 1996 व 98 में वह भाजपा से यहां के सांसद भी बने

    जब प्रतापगढ़ जिले की पट्टी और बीरपुर विधानसभा सीट लोकसभा सीट मछली शहर का हिस्सा हुआ करती थी, वर्ष 1996 में वह भाजपा से वहां के सांसद भी बने थे। इसके बाद वह वर्ष 1998 में प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर जीते और जिले की राजनीति को नई दिशा की ओर मोड़ दिया। राजे-रजवाड़े के इस जिले में एक संत ने मजबूत दखल देकर हलचल मचा दी थी।

    पिछले दिनों सच्चा बाबा आश्रम चिलबिला में आए थे

    अभी पिछले दिनों डाॅ. वेदांती सच्चा बाबा आश्रम चिलबिला में महंत मनोज ब्रह्मचारी के आमंत्रण पर वाल्मीकि रामायण की कथा करने आए थे। लोगों ने उनसे रामायण पर कई सवाल करके अपना ज्ञानवर्धन भी किया था। इसके पहले वह रामपुर भेड़ियानी में समाजसेवी श्याम शंकर पांडेय के संयोजन में राम कथा मंच पर भक्ति की धारा बहाने आते रहे। अन्य कई कार्यक्रमों में भी वह आते रहे।

    सनातन पर गहन अध्ययन था : महंत मनोज ब्रह्मचारी

    महंत मनोज ब्रह्मचारी कहते हैं कि डाॅ. राम विलास एक संत, समाजसेवक और सनातन के पुरोधा थे। वेदांत, पुराणों और धार्मिक ग्रंथों के मर्मज्ञ थे। रामकथा बहुत तार्किक व वैदिक कहते थे। सनातन पर उनका गहन अध्ययन था। एक कुशल और प्रखर वक्ता भी रहे। उनके प्रवचनों में राम की मर्यादा, हिंदू एकता और धार्मिक सद्भाव की बातें प्रमुखता से मुखरित होती थीं।

    श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के गठन का रखा था प्रस्ताव  

    जासं, प्रयागराज। पूर्व सांसद डा. राम विलास वेदांती विश्व हिंदू परिषद केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य रहे। वह श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के समय जो न्यास बना था, उसके भी सदस्य रहे। नौ दिसंबर को दिल्ली में हुई विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में भी शामिल हुए। प्रयागराज में हुई सभी केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठकों व संत सम्मेलनों में अनिवार्य रूप से शामिल होते थे।

    केसर भवन में उनका प्राय: आना जाना होता था

    प्रयागराज काशी प्रांत कार्यालय केसर भवन में उनका प्राय: आना जाना होता था। संगम नगरी में 2019 में हुए संत सम्मेलन में उन्होंने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के गठन का प्रस्ताव रखा था। संतों की ओर से यह विषय सरकार को ध्यान में लाने का कार्य उन्होंने किया था। विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सिंहल के प्रभाव में रहने के कारण प्रयाग से उनका बहुत गहरा नाता रहा है।

    विहिप के केंद्रीय संत संपर्क प्रमुख ने ताजा की यादें

    विहिप के केंद्रीय संत संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी कहते हैं कि डा. वेदांती का निधन संगठन के लिए अपूर्णीय क्षति है। स्मृतियों में गोते लगाते हुए बताते हैं कि त्रिवेणी तट पर लगने वाले माघ मेले में उनका आना निश्चित रहता था। जब तक वह सांसद रहे तब विहिप की बैठकों में नहीं शामिल हुए उसके बाद और उसके पहले भी वह पूरी तरह से सक्रिय रहे। उन्होंने हिंदू समाज के अनेक विषयों को संसद में उठाने के लिए सांसदों को प्रेरित किया।

    मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने की वकालत की थी

    गंगा की निर्मलता और गोरक्षा के विषय पर उन्होंने यह आश्वासन दिया था की सांसदों से मिलकर इन विषयों को संसद में उठाएंगे। प्रयास करेंगे की गो माता की रक्षा और गंगा की निर्मलता को लेकर संसद में कानून बने। जब श्रीराम जन्मभूमि मंदिर मामले का निस्तारण नहीं हुआ था तब उन्होंने कई बार संसद में प्रस्ताव ला कर मंदिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने की वकालत की थी। कहा था कि यह हमारी अस्मिता का विषय है, इस मामले में संसद में कानून बनाकर आगे बढ़ना चाहिए। 

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