मौत की 'दुकानें' बने बिना मानक वाले अस्पताल, स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से खिलवाड़!
पूरनपुर में बिना मानक और संसाधनों के अवैध क्लीनिक धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से इन क्लीनिकों में गर्भवती महिलाओं के ऑपर ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
संवाद सहयोगी, जागरण, पूरनपुर। नगर में बिना मानक और संसाधनों के दुकानों में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से क्लीनिकों का संचालन कर गर्भवती महिलाओं के आपरेशन किए जा रहे हैं। विभाग की कार्रवाई सिर्फ क्लीनिक सील करने तक ही सीमित रह जाती है।
कुछ दिन बाद सील क्लीनिकों का दोबारा संचालन शुरू हो जाता है और फिर वह बेखौफ होकर इस अवैध धंधा को अंजाम देते हैं।
सिटी सेंटर में सीजर से महिला की मृत्यु नगर में कोई नई घटना नहीं है। कई महिलाओं और नवजातों की मृत्यु हो चुकी है। नगर के चौतरफा बिना मानक और संसाधन के क्लीनिक संचालित किए जा रहे हैं।
उनमें विशेषज्ञ डाक्टरों के नाम के वार्ड लगे हैं, लेकिन वहां डाक्टर नहीं मौजूद रहते। प्रसव पीड़ा के दौरान आने वाली गर्भवती महिलाओं का नर्मल प्रसव न कराकर जान जोखिम में होना बताकर स्वजन को डराया जाता है। गिरफ्त में फंसने पर मोटी रकम लेकर सीजर किया जाता है।
पिछले माह नगर के खुटार बाइपास पर स्थित एक क्लीनिक पर सीजर के बाद थाना सेहरामऊ उत्तरी क्षेत्र की महिला की मृत्यु हो गई। उसके शव को रेफर कर दिया गया। रास्ते से वापस लाकर उसके स्वजन ने हंगामा किया। संचालक महिला के स्वजन को मनाने में कामयाब रहा। इससे कार्रवाई नहीं हुई। कोतवाली रोड स्थित एक अस्पताल में भी सीजर के दौरान भी महिला की मृत्यु हो गई थी।
वह महिला भी थाना सेहरामऊ उत्तरी के एक गांव की थी। इस और पिछले वर्ष नवजात बच्चों की भी निजी अस्पतालों में मृत्यु हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सूचना पर अस्पतालों में जाकर जांच के नाम पर खानापूरी कर वापस हो जाते हैं। सील करने तक महज विभागीय कार्रवाई सीमित रह जाती है। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ही यह कारोबार नगर में तेजी के साथ बढ़ रहा है।
तीन बच्चों के सिर से उठा मां का साया
गोरा निवासी साहिमा के एक बेटा और दो बेटी हैं। शुक्रवार को चौथा बच्चा हुआ था। पहले की तीन बच्चे नार्मल स्थिति में हुए। इस बार वह अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां सीजर कर दिया गया। महिला की मृत्यु से उसके तीन मासूम बच्चों के सिर से मां का साया उठ गया।
मृत्यु के बाद लाखों में होता है समझौता
मानकविहीन बिना संसाधनों के संचालित किए जा रहे क्लीनिकों पर प्रसूता या नवजात की मृत्यु पर इस धंधा से जुड़ा गैंग सक्रिय हो जाता है। बताया जा रहा है कि मृतक के स्वजन को रुपये का प्रलोभन देकर पुलिस कार्रवाई से साफ बच निकलते हैं। लाखों रुपये में समझौता किया जाता है।

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