पीलीभीत बनेगा देश का दूसरा बड़ा बासमती हब: अब विदेशों में महकेगी रुहेलखंड के चावल की खुशबू
पीलीभीत देश का दूसरा सबसे बड़ा बासमती हब बनने जा रहा है। इससे रुहेलखंड के चावल की खुशबू विदेशों में भी महकेगी। यह क्षेत्र चावल उत्पादन और निर्यात का क ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
कमलेश शर्मा, जागरण, बरेली। बासमती चावल की पूरी दुनिया दिवानी है। विदेशों में इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए योगी सरकार ने रुहेलखंड में बासमती के उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। मेरठ के बाद देश का दूसरा बासमती निर्यात विकास संगठन (बीईडीएफ) की स्थापना पीलीभीत में कराने की सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है।
इसकी जिम्मेदारी कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास संगठन (एपीडा) को दी गई है। बासमती के उन्नत बीज विकसित होंगे और किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। पीलीभीत को बासमती का जीआइ टैग पहले से मिला हुआ है। अब बीईडीएफ के माध्यम से रुहेलखंड मंडल ही नहीं, उत्तराखंड के किसानों को भी फायदा होगा। रुहेलखंड में कृषि की विविधता है।
धान, गेहूं, गन्ना, आलू, मक्का के अलावा नदियों के किनारे ज्वार, बाजरा की भी खेती की जाती है। तराई इलाके के पीलीभीत जिले में पांच से छह हजार हेक्टेयर में बासमती की खेती होती आ रही है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार विश्व का कुल खाद्य बाजार चार लाख अरब डालर का है, जिसमें भारत की भागीदारी 50 अरब डालर के साथ सातवें स्थान पर है।
देश में सर्वाधिक विदेशी मुद्रा बासमती चावल के निर्यात से आती है। इसलिए सरकार ने बासमती निर्यात को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस कदम उठाया है। पीलीभीत में बासमती निर्यात विकास संगठन की स्थापना के प्रयास पहले से चल रहे हैं, अब सरकार ने परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति देकर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।
बीईडीएफ की स्थापना के लिए बीसलपुर के ग्राम दियोरिया कला में सात एकड़ और अमरिया के ग्राम टांडा विजैसी स्थित राजकीय कृषि प्रक्षेत्र पर सात एकड़ भूमि पहले से चिह्नित की जा चुकी है। बीईडीएफ की स्थापना से बासमती की उन्नत प्रजातियां विकसित कर किसानों को उपलब्ध कराई जाएंगी। नवीन प्रजातियों का प्रक्षेत्र प्रदर्शन किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप बासमती चावल की जांच हो सकेगी, जिसके बाद आसानी से विदेशों तक निर्यात किया जा सकेगा। प्राकृतिक खेती, जैविक खेती तथा बासमती की खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रशिक्षण एवं बीज रिसर्च फार्म की स्थापना से पीलीभीत सहित आसपास के जिलों के अलावा उत्तराखंड के किसान भी लाभ उठा सकेंगे। निर्यात में अपनी सहभागिता करके अपनी आय बढ़ा सकेंगे।
बता दें कि पीलीभीत में तीन लाख किसान धान की खेती करते हैं। 1.40 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर धान की पैदावार की जाती है। इसमें पांच से छह हजार हेक्टेयर रकबे पर ही बासमती की खेती की जाती है। बासमती निर्यात संस्थान स्थापित हो जाने पर पीलीभीत ही नहीं बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं, लखीमपुर समेत उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी बासमती का उत्पादन बढ़ेगा। विदेशों तक निर्यात बढ़ेगा तो किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने में भी मदद मिलेगी।
पीलीभीत में देश का दूसरा बासमती निर्यात विकास संगठन (बीईडीएफ) की स्थापना के लिए सरकार की सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। कृषि मंत्री ने इसे विभाग की ओर से सार्वजनिक भी कर दिया है। इससे किसानों को बासमती धान के उन्नत बीज आसानी से मिल सकेंगे। खेती में आने वाली समस्याओं का निदान हो सकेगा और विदेशों तक निर्यात भी आसान हो जाएगा।
- दुर्विजय सिंह, संयुक्त कृषि निदेशक
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