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    Pilibhit Encounter: 3 गोलियों में ढेर हुए खालिस्तान समर्थक आतंकी, 24 सफेद घेरे और खून के निशान बयां कर रहे पूरी मुठभेड़

    Pilibhit Encounter पंजाब के गुरदासपुर में पुलिस चौकी पर हमले के आरोपित खालिस्तान समर्थक आतंकी गुरविंदर वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि और जसनप्रीत उर्फ प्रताप सिंह को सोमवार को पीलीभीत में मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया। उत्तर प्रदेश पुलिस व पंजाब पुलिस की संयुक्त टीम ने आठ किलोमीटर पीछा कर घेरा तो आतंकियों ने मोडिफाइड एके-47 राइफल से 13 और ग्लाक पिस्टल से नौ फायर किए।

    By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 24 Dec 2024 07:56 AM (IST)
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    Pilibhit Encounter: पीलीभीत में तीन खालिस्तान समर्थक आतंकी मारे गए। उनसे बरामद हथियार।

    अभिषेक पांडेय, जागरण, पीलीभीत। Pilibhit Encounter: तराई की सर्द सुबह के 5.30 बजे थे, जब पुलिस की गाड़ियां आतंकियों की मोटरसाइकिल की घेराबंदी में लगी थीं। उस समय सड़क पर यातायात बेहद कम और खेतों में सन्नाटा था।

    कुछ मिनट बीते, हरदोई नहर ब्रांच की पटरी (पतली सड़क) पर अचानक गोलियां तड़तड़ाने लगीं। एक ओर पुलिसकर्मी, दूसरी ओर आतंकी...इसके अलावा आसपास कोई नहीं था।

    गोलियां की आवाज थमी तो आतंकी गुरविंदर, वीरेंद्र और जसनप्रीत जमीन पर पड़ा था। इस पूरे घटनाक्रम के साक्षी पुलिसकर्मी सुबह 10.45 बजे घटनास्थल से जा चुके थे। फोरेंसिक टीम भी साक्ष्य जुटाकर लौट चुकी थी। इसके बाद भी मौके पर बने चूने के सफेद 24 घेरे मुठभेड़ की कहानी बयां कर रहे थे।

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    पूरनपुर कोतवाल की कार का शीशा तोड़कर धंसने वाली गोलियां आतंकियों का दुस्साहस बता रही थीं। झाड़ियों के आसपास खून के निशान पुलिस की गोलियों की तासीर बता रहे थे कि आतंक फैलाने वालों का परिणाम क्या होता है...।

    एक तरफ नहर दूसरी तरफ खेत और बीच में मात्र चार मीटर की सड़क

    पीलीभीत-बस्ती हाईवे पर पूरनपुर क्षेत्र में निर्माणाधीन पुल होने के कारण रास्ते मे बाधाएं हैं। पूरनपुर से पीलीभीत की ओर भागते समय आतंकियों ने शायद इसी कारण अपनी मोटरसाइकिल माधोटांडा लिंक मार्ग पर मोड़ थी। एक ओर हरदोई ब्रांच नहर, दूसरी ओर खेत... बीच में चार मीटर की सड़क। आतंकियों को आस रही होगी कि इस रास्ते पर पुलिस का वाहन दौड़ना सुविधाजनक नहीं होगा मगर, वे गच्चा खा गए। दो किमी बाद ही पुलिस ने तीनों को घेर लिया।

    पहला सफेद घेरा, जिसमें पड़ी थी मोटरसाइकिल

    मुठभेड़ स्थल यानी सड़क किनारे झाड़ियों के पास फोरेंसिक टीम का पहला सफेद घेरा वहां बना, जहां मोटरसाइकिल गिरी थी। उसके बगल में दो अन्य घेरे थे, जहां गोली लगने के बाद वीरेंद्र व जसनप्रीत मुंह के बल पड़ा था। उसके आसपास मिट्टी में पैरों के निशान बयां कर रहे थे कि आतंकियों ने गोलियां चलाने के दौरान मोटरसाइकिल की आड़ ली होगी। इससे 15 मीटर दूर खेतों की तरफ खून का एक और निशान था, जिस पर मिट्टी डाल दी थी। यहां गुरविंदर गिरा था, उसके सिर में पिछले हिस्से में गोली लगी थी।

    ऐसे में माना जा रहा कि वह अपने दोनों साथियों को छोड़कर मोटरसाइकिल से उतरकर खेतों की ओर भागा। बचने के लिए वह गोलियां भी चला रहा होगा। चूंकि पुलिसकर्मी लगातार जवाबी फायरिंग कर रहे थे, गुरविंदर इनसे बचने के लिए सिर्फ 15 मीटर ही चल सका। उस सफेद घेरे के आसपास कई अन्य सफेद निशान लगाए गए थे। ये वे स्थान थे, जहां आतंकियों के असलहा बरामद हुए थे। दागे हुए और जिंदा कारतूस मिले थे।

    आतंकियों के पास मिला ये सामान

    आतंकियों के पास एक पिट्ठू बैग, एक थैला और एक प्लास्टिक का बोरा भी मिला। इनके आधार पर कहा जा रहा कि मॉडिफाइड एके-47 पर किसी की निगाह न पड़े, इसलिए आतंकियों ने बोरे में रखी होंगी। बैग में पिस्टल व कारतूस रखे। बैग और आतंकियों से जेब से नकदी भी मिली। फोरेंसिक टीमों ने इस सभी स्थानों से साक्ष्य जुटाए।

    पुलिस को नहीं था इतने हथियार का अंदेशा

    पुलिस टीमों को यह आभास हो गया था कि मोटरसाइकिल सवार आतंकी हो सकते हैं मगर, उनके पास इतनी बड़ी संख्या में असलहा कारतूस होना अचंभित करने वाला था। ये सभी पंजाब से 755 किमी से ज्यादा का सफर कर यहां तक आ गए। आधुनिक राइफलें साथ थीं, विदेशी पिस्टल भी लिए थे। अब पुलिस टीमें यह जांच कर रहीं कि पूरनपुर क्षेत्र में इनके मददगार कौन थे।

    आतंकियों को किसने दी पनाह, जांच कर रही पुलिस

    आरंभिक तौर पर चर्चा हुई कि गुरविंदर का रिश्तेदार कस्बा में रहता है। इससे पहले भी वह पूरनपुर आया होगा। यदि इस आशंका को बुनियाद मिली तो क्षेत्र में उसके नेटवर्क तक पहुंचने में पुलिस टीमें कसर नहीं छोड़ेंगी। खुफिया टीमों का सटीक इनपुट, शासन को पल-पल की जानकारी पंजाब से भागे आतंकी पूरनपुर में छिपे हैं, इसकी आरंभिक सूचना पंजाब पुलिस को मिली थी। उनकी जानकारी पर स्थानीय खुफिया टीमें लगाईं गईं तो कड़ियां जुड़ने लगीं। इसी आधार पर सतर्कता बढ़ा दी गई थी।

    शासन से ली जाती रही जानकारी

    सोमवार सुबह मुठभेड़ होने पर शासन से पल-पल की जानकारी ली जाती रही। उप्र डीजीपी कार्यालय और पंजाब के पुलिस मुखिया के बीच समन्वय होता रहा। दोनों ओर से बयान जारी किए गए।

    1992 में हुई थी 29 की हत्या, अब आतंकियों की मुठभेड़ से चर्चा में पूरनपुर

    वर्ष 1989 में यहां आतंकियों की सक्रियता बढ़ी थी। लगातार घटनाएं होने पर कई परिवार पलायन कर गए थे। 1992 में माला जंगल में 29 लोगों की हत्या हुई थी। आतंकवाद पर काबू पाने के लिए सेना को बुलाना पड़ा था। उसके बाद स्थिति नियंत्रित हुई मगर, बाद में दोबारा सक्रियता बढ़ने लगी।

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    वर्ष 2021 में पंजाब के जालंधर में कबड्डी खिलाड़ी संदीप नांगल हत्याकांड में स्थानीय गांव अभयपुर माधोपुर निवासी आजाद सिंह को गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2023 में ही खालिस्तान समर्थक अलगाववादी अमृतपाल सिंह ने जिस स्कॉर्पियो का उपयोग किया, वह भी इसी क्षेत्र के एक युवक की थी। एक संदिग्ध आतंकी का पासपोर्ट भी यहां के पते से जारी हो गया था। 

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