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    नोएडा में अपार आईडी अभियान में निजी स्कूल फिसड्डी, 2 लाख से अधिक छात्र छूटे

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 12:13 AM (IST)

    नोएडा में निजी स्कूल अपार आईडी अभियान में पीछे हैं, जिससे 2 लाख से अधिक छात्र वंचित हैं। सरकारी स्कूलों ने 80-85% आईडी बना ली हैं, जबकि निजी स्कूलों न ...और पढ़ें

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    चेतना राठौर, नोएडा। सरकार का अपार आइडी अभियान निजी विद्यालय पार लगने नहीं दे रहे हैं। वन नेशन, वन स्टूडेंट आइडी परिकल्पना पर आधारित है। जनपद में संचालित निजी विद्यालय अपार आइडी बनाने में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। शिक्षा विभाग ने प्राइवेट विद्यालयों की जिम्मेदारी शासकीय संकुल शिक्षकों और अधिकारों को सौंप दी है।

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    विभाग ने शिक्षक या अधिकारी पर 20 से 27 विद्यालय में आइडी का काम पूरा कराने की जिम्मेदारी सौंपी है। निजी स्कूल 50 प्रतिशत ही आइडी बनाने का कार्य कर सकें हैं। जबकि शासकीय विद्यालयों ने 80 से 85 प्रतिशत बच्चों के आइडी बना दिए हैं।

    स्कूलों की लापरवाही से विद्यार्थी आटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आइडी से वंचित हैं। स्कूलों को कई बार फोन लगाने ,नोटिस देने का भी असर नहीं हो रहा है। कई निजी स्कूल के प्रधानाचार्य और डायरेक्टर फोन तक नहीं उठा रहे हैं। इससे आइडी का सौ प्रतिशत कार्य में रोढ़ा बन रहे हैं।

    वाट्सएप ग्रुप पर दे रहे सलाह

    संकुल शिक्षकों को निजी स्कूलों का आइडी बनाने के कार्य का स्तर जानने के लिए, फालोअप की जिम्मेदारी और परेशानी आने पर समाधान करने की जिम्मेदारी है। निजी स्कूल आने वाली परेशानी का समाधान शिक्षा विभाग की ओर से तैयार व्हाटसएप ग्रुप पर ले सकते हैं। बता दें कि शिक्षकों को आइडी बनाने का प्रशिक्षण साल में तीन से चार बार दी गई थी।

    आधार दे रहे परेशानी

    निजी विद्यालय के सामने आधार अपडेट न होना,नाम,पता,उम्र की गड़बड़,माता-पिता का आधार न होना जैसी परेशानी से जूझना पड़ रहा है। इस वजह से निजी स्कूल आइडी बनाने में पीछे हैं। विद्यालय की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे छात्र।

    आधार के विद्यालय में प्रवेश

    बच्चों का विद्यालय में आधार के बिना प्रवेश लेना परेशानी का कारण बन गया है। विद्यालय में प्रवेश के लिए आधार जरूरी नहीं है। ऐसे बच्चों का विद्यालय में प्रवेश लेने से अब अपार आइडी बनाना चुनौती बन गया है।

    अपार आईडी का फायदा

    छात्रों के शैक्षिक रिकार्ड का डिजिटलीकरण, एक स्कूल से दूसरे स्कूल या कालेज में जाना आसान होना, सभी शैक्षणिक उपलब्धियों और क्रेडिट का एक ही जगह सुरक्षित रहना, फर्जीवाड़े पर रोक और छात्रवृत्ति जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिलना शामिल है। जिससे यह छात्रों के लिए एक 'डिजिटल लाकर' की तरह काम करती है।

    50 प्रतिशत हुआ कार्य

    • सरकारी स्कूल

    स्कूल संख्या-512
    छात्र-71919

    अपार आईडी-56,870
    वंचित-15049

    प्रशिक्षण-4 बार

    प्राइवेट स्कूल

    स्कूल संख्या-1082
    छात्र-3,17,178
    अपार आडी-1,11,831
    वंचित-2,05,347
    प्रशिक्षण-4 बार

    "निजी स्कूलों में अपार आइडी का कार्य पूरा कराने के लिए संकुल शिक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी हैं। इससे जल्द से जल्द कार्य पूरा हो सके।"

    -राहुल पंवार, बीएसए, गौतमबुद्धनगर

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