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    Twin Tower: 13 साल की कानूनी लड़ाई, 12 सेकेंड में ध्वस्त हो गए थे ट्विन टावर; जानिए पूरी कहानी

    By Lokesh ChauhanEdited By: Shyamji Tiwari
    Updated: Mon, 28 Aug 2023 11:16 PM (IST)

    नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर में एपेक्स टावर 32 मंजिल और 102 मीटर का ऊंचा था। सियान 29 मंजिल और करीब 95 ऊंचा था। अवैध तरीके से बनाए गए इन टावरों को आज के ही दिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया था। दोनों टावरों के पिलर में 9800 छेद किए गए थे जिनमें 3500 किलो बारूद लगाया गया था।

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    13 साल की कानूनी लड़ाई, 12 सेकेंड में ध्वस्त हो गए थे ट्विन टावर

    नोएडा, जागरण संवाददाता। सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक ट्विन टावर में एपेक्स टावर 32 मंजिल और 102 मीटर का ऊंचा था। सियान 29 मंजिल और करीब 95 ऊंचा था। अवैध तरीके से बनाए गए इन टावरों को सुप्रीम कोर्ट ने गिराने का आदेश दिया थ।

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    इसके लिए सोसायटी के लोगों ने लंबी लड़ाई लड़ी। जिसमें आखिरकार उनकी जीत हुई। यह मामला पूरे डेढ़ दशक से ज्यादा पुराना था। वर्ष 2004 से 2006 के बीच मेसर्स सुपरटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को नोएडा विकास प्राधिकरण द्वारा भूखंड संख्या जीएच-4, सेक्टर 93ए में 54,820 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की गई थी।

    9 नौ मंजिलें का पास हुआ था नक्शा

    नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर 93ए में सुपरटेक को ग्रुप हाउसिंग का प्लॉट नंबर-4 एमराल्ड कोर्ट को आवंटित किया। एमराल्ड कोर्ट में प्रोजेक्ट के 14 टावर का नक्शा पास किया गया। ये टावर ग्राउंड फ्लोर के साथ 9 मंजिल के थे। बाद में संशोधन करके इन्हें 11 मंजिल कर दिया गया। इसके बाद टावर 15 का भी नक्शा पास हो गया।

    इसके बाद नोएडा प्राधिकरण ने 16 टावर का नक्शा पास किया, जिसके तहत अब कुल 16 टावर के लिए 11 मंजिल की इजाजत दी गई और इसकी ऊंचाई 37 मीटर की गई। इसके बाद 26 नवंबर 2009 को नोएडा प्राधिकरण ने टावर नंबर-17 का नक्शा पास किया, जिसमें टावर नंबर 16 और 17 पर 24 मंजिल निर्माण का नक्शा बनाया गया और इसकी ऊंचाई 73 मीटर तय कर दी गई।

    28 फरवरी 2009 को उत्तर प्रदेश शासन ने नए आवंटियों के लिए एफएआर बढ़ाने का निर्णय लिया। इसके बाद सुपरटेक को 24 मंजिल यानी करीब 73 मीटर और बिल्डिंग को ऊंचा करने की इजाजत मिल गई। यानी दोनों टावरों (16 व 17) की ऊंचाई 121 मीटर तय की गई।

    दोनों टावरों के बीच की दूरी 16 मीटर की जगह रखी थी 9 मीटर

    दो मार्च 2012 को दोनों टावर की ऊंचाई 40 मंजिल और 121 मीटर की ऊंचाई निर्धारित कर दी गई। नेशनल बिल्डिंग कोड के नियम मुताबिक दोनों टावरों के बीच में 16 मीटर की दूरी होनी चाहिए, लेकिन यह दूरी नौ मीटर से भी कम रखी गई। दोनों टावरों के ध्वस्त होने के करीब 13 वर्ष पहले आसपास के टावरों में रहने वाले लोगों ने विरोध शुरू कर दिया था।

    एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी के आरडब्ल्यूए पदाधिकारियों ने बताया कि मास्टर प्लान में एपेक्स व सियान टावर की जगह को ओपन स्पेस के तौर पर दिखाया गया था। 2008 में सोसाइटी में बिल्डर ने लोगों को कब्जा देना शुरू किया। 2009 में ही लोगों ने दोनों टावर के निर्माण पर बिल्डर और प्राधिकरण से शिकायत कर नक्शा पास करने के बारे में जानकारी मांगी गई। इसके बाद खरीदारों और बिल्डर के बीच विवाद बढ़ गया।

    मामले में दिसंबर 2012 में कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए सोसाइटी के 600 घरों से 17 हजार रुपये का चंदा लिया गया। 11 अप्रैल 2014 में प्राधिकरण को दोनों टावर को तोड़ने का आदेश दिया गया। इस फैसले को सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 31 अगस्त 2021 को फैसला देते हुए दोनों टावर को तीन महीने में ध्वस्त करने का आदेश दिया, लेकिन तैयारियां पूरी नहीं होने से टावर ध्वस्त नहीं हुए। इसके बाद 28 अगस्त ध्वस्तीकरण की तारीख चुनी गई थी।

    10 अप्रैल 2022 को दोनों टावरों में टेस्ट ब्लास्ट हुआ। इसके बाद 21 अगस्त को टावर ध्वस्त होने की तिथि निर्धारित की गई। हालांकि एनओसी मिलने में देरी हुई। मामले में ध्वस्तीकरण एजेंसी एडफिस ने प्राधिकरण को पत्र जारी कर 28 अगस्त तक हर हाल में ध्वस्त कराने को कहा।

    नियमों को ताख पर रखकर बनाई गई इन गगनचुंबी इमारत के निर्माण में नोएडा विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों और बिल्डर की मिलीभगत की बात साबित हुई थी। मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले की गहन जांच कराई। सितंबर 2021 में सीएम योगी के आदेश पर अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यों की समिति गठित की गई।

    जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण में संलिप्त 26 अधिकारियों/कर्मचारियों, सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक एवं उनके वास्तुविदों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इसी मामले में अक्टूबर 2021 में प्राधिकरण के संलिप्त अधिकारी, सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक और आर्किटेक्ट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। मामले में संलिप्त ऐसे चार अधिकारी, जो उस समय में अलग-अलग प्राधिकरणों में कार्यरत थे, को निलंबित करते हुए शासन द्वारा उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू की गई।

    • दोनों टावरों के पिलर में 9800 छेद किए गए थे, जिनमें 3500 किलो बारूद लगाया गया था। 120 ग्राम से 365 ग्राम तक हर छेद में विस्फोटक लगाया गया था।
    • 40 लोगों की ओर से विस्फोटक लगाया गया और 10 विशेषज्ञों की ओर से पूरी प्रक्रिया में योगदान दिया गया था।
    • दो-दो विस्फोट किए गए थे एपेक्स और सियान टावर में। सियान टावर में पहला विस्फोट हुआ, एपेक्स में दूसरा विस्फोट किया गया।
    • 200 से 700 मिली सेकंड के अंतराल में सभी तलों में विस्फोट किया गया।
    • ट्विन टावर 28 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर गिराए गए थे। मात्र 9-12 सेकेंड में दोनों टावर जमीन पर धूल और मलबे के रूप में पड़े थे।

    ट्विन टावरों को गिराने की तारीख में कब-कब हुए थे बदलाव

    • सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को टावरों को अवैध घोषित करते हुए तीन महीने में गिराने का आदेश दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
    • 22 मई 2022 को दोनों टावर को ढहाया जाना था, लेकिन तैयारियां पूरी नहीं होने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया।
    • एजेंसी ने 20 फरवरी 2022 से ट्विन टावर साइट को अपने कब्जे में लिया।
    • एजेंसी ने 10 अप्रैल 2022 को टावर में टेस्ट ब्लास्ट किया।
    • 21 अगस्त 2022 को टावर ढहाने की तारीख तय की गई, लेकिन विस्फोट के लिए एनओसी मिलने में देरी होने से ऐसा नहीं हो पाया।
    • 28 अगस्त 2022 को दोनों टावर को ढहाया जाना तय किया गया।
    • बिल्डिंग में विस्फोटक लगाने का काम 24 अगस्त तक पूरा कर लिया गया।