Supertech Twin Tower Demolition: 'घर दांव पर लगा है' सोसायटी के लोगों की चिंताएं, टावर बनने से लेकर ध्वस्त होने तक सिर्फ आफत
सुपरटेक ट्विन टावरों के बनने से लेकर ध्वस्त होने तक सोसायटी के लोग चिंतित हैं। सोसायटी में रहने वाले एक दंपत्ति ने कहा कि पहले निर्माण कार्य के चलते शोर और धूल का उड़ना अब ध्वस्तीकरण के कारण घर के सुरक्षित रहने की चुनौती है।

नोएडा [वैभव तिवारी]। सुपरटेक ट्विन टावर [Supertech Twin Tower] के ध्वस्त होने में 40 घंटे से भी कम समय बचा है। लेकिन इन टावरों के बनने से लेकर ध्वस्त होने तक सोसायटी के लोग चिंतित हैं। सोसायटी में रहने वाले एक दंपत्ति ने कहा कि पहले निर्माण कार्य के चलते शोर और धूल का उड़ना, अब ध्वस्तीकरण के कारण घर के सुरक्षित रहने की चुनौती है।
एस्टर-तीन टावर में रहने वाले दंपती राजेंद्र हरि सिंघानी और सरिता हरि सिंघानी ने आगे बताया कि अच्छी लोकेशन देखकर घर इसलिए खरीदा था कि परिवार के साथ शांति व आनंद से रहा जा सके। जहां सभी तरह की सुविधाएं मौजूद हों, लाखों रुपये और जीवन की जमा पूंजी खर्च करने के बाद घर तो मिला, लेकिन सुकून नहीं मिल पाया।
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मशीनों की आवाज करती रही है परेशान
उनका कहना है पहले टावर के निर्माण के कारण मशीनों और मजदूरों द्वारा तोड़फोड़ की तेज आवाज कई वर्ष तक परेशान करती रही। अब टावर ध्वस्तीकरण के कारण शोर व धूल की परेशानी तो हुई, लेकिन घर सुरक्षित रहेगा या नहीं इस बात की सबसे अधिक चिंता है।
'घर दांव पर लगा है'
टावर ध्वस्तीकरण से एक दिन पहले शनिवार को दिल्ली में स्थित मायके में चले जाएंगे। वहां से दो-चार दिन बाद वापस लौटेंगे। घर दांव पर लगा है, यह बात रह-रहकर मन में आती है। कई बार इसके भूलने का भी प्रयास करते है, लेकिन खुद को ही नहीं समझा पा रहे।
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टावर से 30 मीटर से भी कम दूरी पर है घर
पति इंजीनियर हैं वो सुरक्षित ध्वस्तीकरण को लेकर घर में कई बार चीजों को बताकर आश्वस्त करते हैं, लेकिन टावर से 30 मीटर से भी कम दूरी परेशान करती है। दोनों बेटे पढ़ाई और नौकरी के सिलसिले में बाहर रहते हैं। फोन कर ढांढस भी बंधाते हैं कि परेशान न हो जो होगा अच्छा ही होगा। हम भी बच्चों की इस उम्मीद में विश्वास जता रहे हैं कि सब बेहतर होगा। फिर भी मन के एक कोने में घर के सुरक्षित होने का डर आता है तो चिंता में डूब जाते हैं।
कांच और क्राकरी के सामान को रखा सुरक्षित
परिवार ने कांच, क्राकरी, टीवी, झूमर, फोटो फ्रेम सहित दीवार पर सजाने वाले अन्य सामानों को उतारकर एपेक्स व सियान टावर के विपरीत दिशा में स्थित कमरे के बेड पर रख दिया है। सरिता बताती हैं कि दोनों टावर के बगल में स्थित कमरे से सामान को हटाकर दूसरे कमरे में सुरक्षित रख रहे हैं। जिससे ध्वस्तीकरण के दिन सामान सुरक्षित रहे। एसी में धूल न आए इसलिए उसे भी ढंक दिया है।
धूल से बचना चुनौती
राजेंद्र हरि सिंघानी बताते हैं कि फ्लैट सुरक्षित रहने की स्थिति में भी घर को धूल से बचाना बड़ी चुनौती है। एक दशक के पहले से इस टावर ने धूप व हवा को खत्म कर दिया है। बिल्डर के लालच के चलते हमारे स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ रहा है। सबकुछ सही हुआ, तो यहां से घर में धूप व हवा आएगी। साथ ही व्यू भी दिखेगा।
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