Noida Traffic: अब नोएडा की सड़कों पर होगा कम शोर, पुणे और बेंगलुरु की तर्ज पर बनाए जाएंगे साइलेंट जोन
गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट पुलिस शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने पर मंथन कर रही है। स्कूल अस्पताल सोसायटी पार्क और प्रार्थना स्थल आदि को चिन्हित किया जा रहा है। नोएडा प्राधिकरण द्वारा पूर्व में चिन्हित 140 जोन पर भी काम किया जा रहा है। लोग लापरवाही बरतकर ट्रैफिक सेंस की कमी का उदाहरण पेश करते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए पुलिस यातायात जागरूकता जैसी पहल कर रही है।

जागरण संवाददाता, नोएडा। पुणे और बंगलूरू की तर्ज पर गौतमबुद्ध नगर में भी साइलेंट जोन बनाए जाएंगे। इन जोन में हार्न बजाने पर रोक रहेगी। कमिश्नरेट पुलिस के अधिकारी लोगों की मदद से जिले में दिन और रात के समय होने वाले शोर को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं, नोएडा प्राधिकरण द्वारा पूर्व में चिह्नित 140 साइलेंट जोन समेत तीनों प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित साइलेंट जोन पर भी काम किया जा रहा है।
यातायात व्यवस्था को सुधारने पर मंथन
गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरेट पुलिस जिले की यातायात व्यवस्था को सुधारने पर मंथन कर रही है। सड़क हादसों का ग्राफ नीचे लाने के साथ ही वाहनों से होने वाले अनावश्यक शोर को कम करना भी प्राथमिकता में है। दिन और रात में मानकों का पालन नहीं हो रहा है। इसके चलते साइलेंट जोन में भी शोर रहता है।
वहीं, जानकारों के मुताबिक लोग लापरवाही बरतकर ट्रैफिक सेंस न होने का उदाहरण पेश करते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए पुलिस यातायात जागरूकता जैसी पहल कर रही है।
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उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुसार, साइलेंट जोन में रात में 40 और दिन में 50 डेसिबल ध्वनि सामान्य मानी जाती है। वहीं, प्रदूषण विभाग की रिपोर्ट की मानें तो जिले में साइलेंट जोन में रात में करीब 70 डेसिबल ध्वनि रिकॉर्ड की गई है। इसका उदाहरण नोएडा सेक्टर 62 स्थित फोर्टिस अस्पताल और नोएडा सेक्टर 19 स्थित मैक्स अस्पताल के आसपास निर्धारित साइलेंट जोन के आसपास देखा जा सकता है।
क्यों होता है काफी अधिक शोर?
इसका कारण यह है कि नजदीक में मेट्रो स्टेशन, ट्रैफिक कट और बाजारों पर वाहनों का दबाव होने के कारण यहां सामान्य से काफी अधिक शोर होता है। प्रदूषण विभाग के अनुसार ध्वनि प्रदूषण का कारण यातायात नियमों का पालन किए बिना चलने वाले वाहन हैं। यातायात पुलिस और परिवहन विभाग के अधिकारियों के सहयोग से अभियान चलाए जाते हैं।
चार जोन में बंटा हुआ है जिला
जोन | रात | दिन |
व्यवसायिक जोन | 55 | 65 |
रिहायशी जोन | 45 | 55 |
साइलेंट जोन | 40 | 50 |
औद्योगिक जोन | 70 | 75 |
इन जगहों को किया जाएगा चिंहित
- सरकारी व निजी अस्पताल
- स्कूल व विश्वविद्यालय
- सोसायटी व अपार्टमेंट
- पार्क व ध्यान केंद्र
- प्रार्थना सभा स्थल
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नो होकिंग जोन पर चल रहा मंथन
जिले में साइलेंट जोन बनाने की दिशा में भी मंथन चल रहा है। पहले बनाए गए 140 साइलेंट जोन की जानकारी और स्थिति पर भी काम किया जा रहा है। ऐसे जोन अस्पताल, स्कूल और सोसायटी के लोगों के लिए सुविधाजनक होंगे। साइलेंट जोन बनाकर लोगों को बेवजह हॉर्न बजाने के प्रति जागरूक भी किया जाएगा। बोर्ड आदि लगाकर नियमों का पालन भी सुनिश्चित किया जाएगा। नियमों का पालन न करने वालों पर कार्रवाई भी की जाएगी। -लखन सिंह यादव, डीसीपी यातायात।
हो सकता है अस्थाई बहरापन
लगातार मानक से अधिक ध्वनि प्रदूषण में रहने से अस्थाई बहरापन हो सकता है। साथ ही व्यवहार में चिडचिड़ापन और कम सुनाई देना जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं। -डा. डिंपल गुप्ता, ईएनटी सर्जन, जिला संयुक्त अस्पताल।
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