औद्योगिक प्लॉट की कर दी फर्जी नीलामी, कोर्ट को भी दी गलत जानकारी; सरकारी बाबू समेत चार पर केस दर्ज
फरीदाबाद में एक औद्योगिक प्लाट की फर्जी नीलामी के मामले में बड़खल तहसीलदार समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि तहसीलदार ने कोर्ट के स्टे ऑर्डर के बावजूद प्लाट को नीलाम कर दिया और गलत दस्तावेज पेश करके कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की। इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) कर रही है।

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। मुजेसर थाना पुलिस ने फर्जीवाड़ा करके औद्योगिक प्लाट को नीलाम करने पर बड़खल तहसीलदार समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आरोपितों ने प्लाट पर कोर्ट का स्टे होने के बावजूद न केवल उसको नीलाम किया बल्कि गलत दस्तावेज पेश करके कोर्ट को भी गुमराह करने का भी प्रयास किया।
इसके साथ ही जिला उपायुक्त के आदेश को भी नजर अंदाज किया। आरोपितों में बड़खल तहसीलदार नेहा सारन, मैसर्स नवभारत पैंट्स के प्रोपराइटर दीपक मनचंदा, नेहरू ग्राउंड निवासी राकेश दीवान और पुलकित दीवान शामिल है। मैसर्स फ्रेंड्स आटो इंडिया लिमिटेड के निदेशक अमरजीत सिंह चावला ने अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने एनआईटी औद्योगिक क्षेत्र स्थित प्लॉट नंबर 38ए को किराए पर लिया हुआ था।
कोर्ट ने जारी किया था स्टे
इस प्लॉट का मालिकाना हक मैसर्स स्प्रिंग इंडिया के पास था। प्लॉट पर बैंक की ओर से लोन लिया गया है। ऐसे में इसके क्रय-विक्रय को लेकर स्टे लगा हुआ था। इसके बावजूद तहसीलदार ने लोन की राशि को रिकवर करने के लिए नीलामी के लिए नोटिस जारी कर दिया गया। उन्होंने नीलामी के खिलाफ शिकायतकर्ता की ओर से कोर्ट में याचिका लगाई गई। जिस पर कोर्ट ने स्टे जारी कर दिया गया।
आरोप है कि उनकी याचिका लंबित होने के बावजूद तहसीलदार बड़खल नेहा सारन ने दीपक मनचंद,राकेश दीवान और पुलकित दीवान के साथ मिलीभगत करके पटवारी अजरौंदा फरीदाबाद को प्लाट नंबर 38-ए, औद्योगिक क्षेत्र, एनआइटी की नीलामी के लिए नोटिस जारी करने का आदेश जारी कर दिया। नोटिस टाइप किया गया था, लेकिन नीलामी की तारीख हाथ से लिखी गई थी। बीते साल दो अगस्त को प्लाट की नीलामी की गई।
पत्र लिखकर पीड़ित ने किया अनुरोध
पीड़ित ने बताया कि मैसर्स यूनिक स्प्रिंग (इंडिया) के मालिक ने तहसीलदार बड़खल फरीदाबाद को एक पत्र भी दिया था कि वह संपत्ति का मालिक है और इस संपत्ति को नीलाम नहीं किया जा सकता है। आरोप है कि उनके पत्र को नजरअंदाज करते हुए नीलामी की कार्रवाई की गई। इसके बाद मैसर्स यूनिक स्प्रिंग (इंडिया) ने तहसीलदार बड़खल और अन्य आरोपितों के खिलाफ सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
अदालत को तहसीलदार ने पेश किए गलत दस्तावेज
शिकायकर्ता की याचिका पर जब कोर्ट ने स्टे के बावजूद नीलामी को लेकर तहसीलदार से जवाब मांगा तो उसने गलत दस्तावेज पेश कर दिए। तहसीलदार ने कोर्ट से कहा कि प्लाट नंबर-38 की नीलामी की गई। फर्जी दस्तावेज लगाकर बताया कि 38ए की किसी तरह की नीलामी नहीं हुई है।
शिकायतकर्ता के अनुसार नीलामी के लिए न कोई तिथि प्रकाशित की गई और न ही किसी तरह की बोली लगाई गई। मुजेसर थाना एसएचओ समेर सिंह ने बताया कि मुकदमा आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की शिकायत पर दर्ज की गई है। मामले की जांच भी ईओडब्ल्यू ही कर रही है और गिरफ्तारी भी उनके द्वारा ही होगी।
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