Exclusive: सस्ते इलाज की राह निकालेगा GIMS, विदेशी डिवाइस पर निर्भरता होगी कम
सरकारी अस्पतालों में मरीजों की जांच और इलाज के खर्च को कम करने के लिए राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) ने एक अनूठी पहल की है। जिम्स में मेडिकल छात्रों के शोध पर मंथन कर ऐसे आइडियाज की तलाश की जाएगी जिससे मरीजों के लिए सस्ते उपकरण और डिवाइस तैयार की जा सके। इसके लिए 22 मार्च को जिम्स में एम्स जिम्स आइआइटी और आइआइएम जैसे संस्थानों के 35 शिक्षाविद् जुटेंगे।

अर्पित त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की जांच और इलाज में होने वाले खर्च को कम करने के लिए राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में मेडिकल छात्रों के शोध पर मंथन किया जाएगा। दस्तावेज के रूप में लाइब्रेरी की शोभा बढ़ा रहे इन शोध से ऐसे आइडियाज की तलाश की जाएगी, जिससे मरीजों के लिए सस्ते उपकरण और डिवाइस तैयार की जा सके।
इसके लिए जिम्स में 22 मार्च को एम्स, जिम्स, आइआइटी और आइआइएम जैसे संस्थानों के 35 शिक्षाविद् जुटेंगे। दरअसल, एमबीबीएस, एमडी, एमस सहित मेडिकल के पीजी के छात्र पढ़ाई के दौरान थीसिस लिखते हैं। अधिकतर थीसिस में मेडिकल से जुड़ी तमाम समस्याओं का निदान खोजने का प्रयास किया जाता है। लेकिन अधिकतर छात्र रोजगार मिलने के बाद अपने ही शोध पर आगे काम नहीं करते हैं। नतीजतन उनके शोध दस्तावेज तक सिमट कर रह जाते हैं।
(राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान। जागरण आर्काइव)
दरअसल, जिम्स ने स्टार्टअप, डिवाइस बनाने और इलाज को सुविधाजनक व सस्ता बनाने के लिए ऐसे शोध का अध्ययन करने का निर्णय लिया है। इसके तहत थीसिस एक्सट्रेक्शन (निचोड़) यूनिट (टीईयू) की शुरुआत हो रही है। इसकी पहली बैठक 22 मार्च को होगी। जिम्स इंक्यूबेशन सेंटर के प्रमुख डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि टीईयू में आइआइएम लखनऊ, आइआइटी दिल्ली व कानपुर, एम्स दिल्ली व बिलासपुर, आइआइआइटी लखनऊ, दिल्ली, बेंगलुरु, मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी प्रयागराज, केजीएमसी, एसजीपीजीआइ, शारदा विश्वविद्यालय, बेनेट विश्वविद्यालय, संतोष कालेज, शिव नाडर विश्वविद्यालय आदि के 35 शिक्षाविद शामिल हैं, जो कि इंक्यूबेटर हेड, डीन अकादमी, डीन रिसर्च, डीन मेडिकल, डीएन एआइ इन मेडिसिन हैं।
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यह सभी मेडिकल कॉलेजों से उन छात्रों के थीसिस मांगेंगे जो किसी बीमारी के उपचार, बीमारी की जांच के लिए किसी तरह की तकनीक की जानकारी समेटे हुए होंगे। इसके बाद आइआइएम व इंजीनियरिंग संस्थानों की मदद से सस्ती मेडिकल डिवाइस या स्टार्टअप शुरू करने पर काम किया जाएगा।
विदेशी डिवाइस पर निर्भरता होगी कम, किफायती हो सकेगी स्वास्थ्य सुविधा
वर्तमान में कई डिवाइस और उपकरण विदेशों से आयात किए जाते हैं। इन थीसिस पर काम कर किफायती और स्वदेशी डिवाइस, उपकरण आदि बनाने में मदद मिलेगी। भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के साथ ही जन-जन तक किफायती रूप में पहुंचाना उद्देश्य है। इसे पूरा करने के लिए नवाचार को बढ़ावा जरूरी है। 22 मार्च को जिम्स के स्टार्टअप क्लीनिक, स्टार्टअप ओपीडी फार क्लीनिकल ट्रायल, डिजीज कोहार्ट, मेडटेक इंटरनेशनल सर्किट का भी औपचारिक उद्घाटन किया जाएगा।
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देश और प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ और किफायती बनाने पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। इसी कड़ी में टीईयू को शुरू करने की पहल की गई है। अमूमन देखा जाता है कि थीसिस लिखने के बाद उसे धरातल पर उतारने का काम नहीं किया जाता। इन पर काम किया जाए तो स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति आ सकती है। यूनिट में जानेमाने संस्थानों के शिक्षाविद जुट रहे हैं। - डॉ. ब्रिगेडियर राकेश कुमार गुप्ता, निदेशक, जिम्स
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