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    Exclusive: प्राधिकरण के पास नहीं जमीन, हवा में बिल्डर बना रहे थे स्पोर्ट्स सिटी, अब फंसेगी गर्दन

    Updated: Thu, 27 Feb 2025 04:08 PM (IST)

    नोएडा में स्पोर्ट्स सिटी के नाम पर किसानों से सस्ते दामों पर जमीन अधिग्रहित की गई और निवेशकों को गुमराह कर ठगा गया। प्राधिकरण के पास जमीन ही नहीं थी फिर भी बिल्डरों को सस्ती दरों पर जमीन दी गई। अब निवेशकों के फ्लैट कागजों में ही सिमट कर रह गए हैं। जानिए इस पूरे मामले का सच क्या है।

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    प्राधिकरण के पास जमीन ही उपलब्ध नहीं थी। फाइल फोटो

    कुंदन तिवारी, नोएडा। नोएडा में स्पोर्ट्स सिटी के नाम पर जहां किसानों से सस्ते दाम पर जमीन अधिगृहीत की गई। वहीं, निवेशकों को भी गुमराह करके खूब ठगा गया है।

    स्थिति यह है कि जिस जमीन पर फ्लैट बनाए जाने थे। उसमें से 15 खसरा नंबरों की 16.2512 हेक्टेयर भूमि जिला प्रशासन को 24 दिसंबर 2014 वापस कर दी गई थी। यानी प्राधिकरण के अफसरों और बिल्डरों के गठजोड़ से निवेशकों को उन फ्लैटों में निवेश करा दिया गया, जो कागजों सिर्फ कागजों में ही हैं।

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    प्राधिकरण ने तैयार की थी स्पोर्ट्स सिटी बनाने की कार्ययोजना

    प्राधिकरण सीईओ डा. लोकेश एम ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस प्रकरण का विधि विभाग के साथ अध्ययन किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक स्पोर्ट्स सिटी आवंटन में बड़ा घोटला हुआ है। मात्र 10 प्रतिशत धनराशि पर सस्ती दर पर जमीन दी गई। आवंटन के बाद बिल्डरों ने नियम व शर्तों को पूरा नहीं किया। आवासीय व कामर्शियल स्पेश को मोटी दर पर बेच दिया गया। कामनवेल्थ गेम के दौरान 2008 में प्राधिकरण ने स्पोर्ट्स सिटी बनाने की कार्ययोजना तैयार की थी।

    जमीन का क्षेत्रफल बढ़ व घट सकता है

    इसमें सेक्टर-78, 79 व 101 आदि तीन सेक्टर स्पोर्ट्स सिटी के लिए आरक्षित किए गए। जनाडु इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड (कंसोटियम) को 7,27,500 वर्ग मीटर जमीन दी गई। 7,03,001.80 वर्ग मीटर जमीन पर कब्जा दे दिया गया। बाकी जमीन के लिए बिल्डर से कहा गया कि ब्रोशर शर्त के अनुसार जैसे बाकी जमीन उपलब्ध होगी, कब्जा दिया जाएगा। जमीन का क्षेत्रफल बढ़ व घट सकता है। कारण यह था कि प्राधिकरण के पास जमीन ही उपलब्ध नहीं थी।

    बिल्डरों को सस्ती दरों में जमीन क्यों दी गई

    किसान नरेश चंद्र यादव ने बताया कि सवाल सुप्रीम कोर्ट ने सेक्टर-101 की पूरी जमीन वापस कर दी। इससे यह सेक्टर स्पोर्ट्स सिटी से बाहर हो गया। सेक्टर-79 में भी सिर्फ 12.6788 हेक्टेयर जमीन बची थी। जबकि सेक्टर-78 में ग्रुप हाउसिंग व कामर्शियल भवन बन चुके हैं।

    प्राधिकरण के पास जमीन ही नहीं थी तो स्पोर्ट्स सिटी के नाम पर बिल्डरों को सस्ती दरों पर जमीन क्यों दी गई। अब बिल्डर से भूखंड की कीमत का बकाया नहीं मिलने का रोना रोया जा रहा है। जबकि बिल्डर जमीन नहीं मिलने की बात कहकर नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल में प्राधिकरण के खिलाफ गए है। इसकी आड़ में ब्याज माफी का भी लाभ लिया। बिल्डरों ने फ्लैट और दुकानों के लिए स्पेस बेच कर मोटी कमाई कर ली।

    प्राधिकरण के पक्ष में पट्टा अनुबंध किया

    किसान रवि यादव ने बताया कि प्राधिकरण ने किसानों की जमीन का अधिग्रहण तक नहीं किया। अधिकांश जमीन ग्राम सभा की थी। सेक्टर-79 के लिए बिना जमीन के ही कागजों में आवंटन कर दिया गया। जमीन लेने की प्रक्रिया प्रशासन ने तीन वर्ष बाद 2011 में शुरू की। 20 फरवरी 2014 को सोहरखा, जाहिदाबाद स्थित राज्य सरकार की 28.9300 हेक्टेयर भूमि का 30 वर्ष के लिए प्राधिकरण के पक्ष में पट्टा अनुबंध किया है।

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    इसमें 27 खसरा नंबर शामिल थे। प्राधिकरण ने जमीन को 90 वर्ष के पट्टे पर बिल्डरों को आवंटित कर दिया। अफसरों को जब यह पता चला कि भूमि पर उच्च न्यायालय से लेकर सिविल कोर्ट तक 25 से 30 किसानों ने याचिकाएं दायर कर रखी हैं तो 15 खसरा नंबरों की 16.2512 हेक्टेयर भूमि जिला प्रशासन को 24 दिसंबर 2014 वापस कर दिया गया।

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