30 मिनट में कार के इंजन को कार्बन मुक्त करेगी हाइड्रोक्सी गैस तकनीक, एमआईईटी ने तैयार की मशीन
मेरठ के इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (एमआइईटी) इनक्यूबेशन फोरम में एक ऐसी मशीन तैयार की गई है जो हाइड्रोक्सी गैस तकनीक से कार या बड़े वाहनों के इंजन को 30 मिनट में कार्बनमुक्त कर देगी। ग्रीनक्यारी स्टार्टअप के संचालक सुशील चौहान का दावा है कि यह तकनीक अभी तक बाजार में उपलब्ध नहीं है। इस तकनीक से इंजन की कार्यक्षमता बढ़ेगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।

आशीष चौरसिया, ग्रेटर नोएडा। दिल्ली एनसीआर में वाहनों का धुआं वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक बनता जा रहा है। पुराने हो चुके वाहनों के ईंधन से चूंकि जहरीली गैसें अधिक निकलने की आशंका होती है तो ऐसे में उन पर प्रतिबंध की तलवार भी हमेशा लटकी रहती है।
ऐसे वाहनों के ईंधन से कार्बन का उत्सर्जन खत्म करने के लिए मेरठ के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाॅजी (एमआईईटी) इनक्यूबेशन फोरम में मशीन तैयारी हुई है। यह मशीन कार या बड़े वाहनों के इंजन को आधे घंटे में कार्बनमुक्त कर देगी।
कंपनी ने इंजन डिकार्बनाइजेशन यानी इंजन से कार्बन की सफाई करने वाली अत्याधुनिक हाइड्रोक्सी (एचएचओ) गैस तकनीक से तैयार किया है।
इनक्यूबेशन फोरम में मशीन तैयार करने वाले ग्रीनक्यारी स्टार्टअप संचालक सुशील चौहान का दावा है कि अभी तक ऐसी तकनीक बाजार में उपलब्ध नहीं है। यह मशीन कार या बड़े वाहनों के इंजन को 30 मिनट और दोपहिया वाहन को 10 मिनट में कार्बनमुक्त कर देती है।
वाहनों पर सफल परीक्षण के बाद निर्माण करके बाजार या सरकार के माध्यम से आरटीओ तक उपलब्ध कराने के लिए लाइसेंस भी मिल गया है। केंद्रीय परिवहन विभाग में पेटेंट के लिए आवेदन किया हुआ है।
100 वाहनों पर किया जा चुका है सफल परीक्षण
सुशील चौहान बताते हैं कि अत्याधुनिक हाइड्रोक्सी मशीन का 100 छोटे-बड़े वाहनों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है। सभी परीक्षण क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) के नियमित मानकों पर खरे उतरे हैं।
इन सभी को मेरठ आरटीओ से प्रमाणित भी किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्रालय से इसके लिए बजट भी मिला था। हमारा प्रयास है कि इसका उपयोग सभी जगह आरटीओ में ही किया जाएगा।
80 प्रतिशत कार्बन अंदर ही कर देता है नष्ट
इस स्वदेशी तकनीक को विकसित करने वाली ग्रीनक्यारी के संचालक सुशील चौहान ने बताया कि वाहन का इंजन खोले बगैर इस तकनीक से पिस्टन के आसपास जमे कार्बन की सफाई की जाती है। इसी दौरान इंजन में व्याप्त कार्बन का 80 प्रतिशत हिस्सा भीतर ही नष्ट हो जाता है।
केवल 20 प्रतिशत बाहर निकलता है। इंजन का डिकार्बनाइजेशन करने के बाद कार से उक्त समस्याएं खत्म होने के साथ ही दो सर्विस का अंतर बढ़ जाएगा, जिसका इंजन पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा।
इसी वर्ष नवंबर तक ये मशीन बाजार में आ जाएगी। जहां तक इस मशीन की कीमत की बात है ये साढ़े तीन से चार लाख रुपये तक की होगी।
और कितने भी पुराने वाहन को एक बार कार्बन मुक्त किए जाने के बाद करीब 40-50 हजार किमी तक चला सकते हैं। यदि मशीन आरटीओ से इतर कहीं निजी स्थल पर लगती है तो वाहन को कार्बन मुक्त कराने के लिए दो रुपये प्रति सीसी के हिसाब से खर्च आएगा।
“एचएचओ तकनीक को मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाॅजी (एमआईईटी) इनक्यूबेशन फोरम के सहयोग से तैयार किया गया है। इससे वाहनों के इंजन में जमे कार्बन को हटाने से उसकी कार्यक्षमता बढ़ेगी। ईंधन की खपत घटेगी, इंजन की उम्र बढ़ेगी। सबसे अहम कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। यह पहल आने वाली पीढि़यों को स्वच्छ वातावरण देने में सहायक साबित होगी।’
- रेहान अहमद, सीईओ, एमआईईटी इनक्यूबेशन फोरम
‘अब तक हाइड्रोक्सी गैस तकनीकी से करीब 100 अलग-अलग वाहनों का परीक्षण हो चुका है। इनमें 50 से 80 प्रतिशत तक कम कार्बन उत्सर्जन पाया गया है। यह उपकरण आने वाले समय में और भी काफी लाभदायक साबित होगा। वाहनों की उम्र बढ़ाने से लेकर पर्यावरण तक के लिए लाभकारी होगा।’
- विध्यांचल गुप्ता, एआरआई, मेरठ
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