Farmers Protest: प्रशासन ने गुपचुप बनाई अहम रणनीति, क्या पुलिस रोक पाएगी किसानों का आंदोलन?
Greater Noida News किसानों के आंदोलन को रोकने के लिए पुलिस खुद बैकफुट पर आ गई है। अब पुलिस प्रशासन ने किसान के आंदोलन को रोकने के लिए नई रणनीति बनाई है। प्रशासन ने कई ऐसे अधिकारी तैयार किए हैं जो आसपास के जिलों में सेवाएं दे चुके हैं। इन अधिकारियों के माध्यम से किसानों से बात करके आंदोलन को रोकने की कोशिश की जा रही है।

ज्ञानेंद्र कुमार शुक्ल, ग्रेटर नोएडा। किसान आंदोलन में धरना प्रदर्शन के बाद किसानों को काबू में करने के लिए पुलिस प्रशासन ने जेल भेजने की कार्रवाई की तो कई को मौके पर छोड़ा। आंदोलन की धार इन कार्रवाई से जब कुंद न पड़ती दिखाई दी तो पुलिस प्रशासन के अधिकारी अब शांति पूर्वक वार्ता से अंदरखाने में आंदोलन को तोड़ने की रणनीति अपना रहे हैं।
इसके लिए कुछ खास पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। यह लगातार किसान नेताओं के संपर्क में हैं और उनसे वार्ता करने का प्रयास करने में जुट गए हैं। अब पुलिस हंगामा, प्रदर्शन करने पर गिरफ्तारी करने के बजाए समझाने वाले मोड पर आ गई है।
बनाई गई रणनीति बेनतीजा रही
विभिन्न मांगों को लेकर दो सप्ताह से धरना प्रदर्शन सहित गिरफ्तारी दे रहे किसानों की रणनीति ने इस बार प्रशासन व पुलिस को छका दिया है। प्रशासन की तरफ से आंदोलन को खत्म कराए जाने को लेकर जहां बनाई गई रणनीति बेनतीजा रही। वहीं किसान छद्म तरीके से आंदोलन को धार देने में अभी भी जुटे हैं।
वहीं, सोशल मीडिया पर लगातार सतर्क निगाह रखने के बाद भी संयुक्त किसान मोर्चा सहित अन्य सहयोगी संगठनों की रणनीति प्रशासन समझ नहीं पा रहा है। वर्तमान में लुक्सर जेल में 142 किसानों को आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर रखा गया है।
इसके बाद भी अंदरखाने से आंदाेलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता प्रशासन व पुलिस की पकड़ से दूर हैं। जो नामचीन किसा नेता थे, पुलिस उनसे लगातार संपर्क तो कर रही है लेकिन इस आंदोलन में रणनीति बनाने वाली लाबी की पहुंच से कोसों दूर है।
खुद बैकफुट पर आई पुलिस
ऐसे में यह साफ दिखाई दे रहा है कि इस बार वार्ता पर सटीक फैसला मिलने का जहां किसान इंतजार कर रहे हैं और जिद भी है कि इस बार सकारात्मतक परिणाम से कम पर कोई समझौता नहीं होगा। आंदोलन में धरना प्रदर्शन, गिरफ्तारी की कार्रवाई के बाद पुलिस खुद बैकफुट पर है।
आसपास के जिलों में दे चुके अपनी सेवाएं
ऊपर से निर्देश दिए गए हैं कि किसानों को अब गिरफ्तार न किया जाए चाहे वह कितना भी धरना या प्रदर्शन कर विरोध दर्ज कराएं। उनको समझा बुझाकर शांत कराया जाए। कुछ खास पुलिस अधिकारी जिनकी किसान नेताओं, संगठनों में अच्छी पकड़ है और वह कई वर्षों से आसपास के जनपदों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
यह भी पढ़ें- 'धार्मिक स्थलों पर हमले चिंताजनक', ढाका में उच्च स्तरीय बैठक के बाद बोले भारतीय विदेश सचिव
इससे न तो बात बिगड़ेगी और न ही कानून व्यवस्था पर आंच आएगी। इसके साथ ही पुलिस अधिकारियों की तरफ से किसान नेताओं के स्थानीय संपर्क, उनके व्यवहार का भी फीडबैक एलआईयू के माध्यम से लिया जा रहा है। बीते दो दिनों से किसान शांत और पुलिस प्रशासन बैकफुट पर नजर आ रहा है। कुल मिलाकर आंदोलन की सरगर्मी कम दिखाई दे रही है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।