नोएडा में धड़ल्ले से हो 'खेल', धमाके वाली जगह से चंद कदमों की दूरी पर बने अवैध अशियाने रडार पर
लेख में राजनीतिक संरक्षण और प्राधिकरण की मिलीभगत से अवैध निर्माण के फलने-फूलने की बात की गई है। यह दर्शाता है कि कैसे भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी के कारण नियमों का उल्लंघन हो रहा है और अवैध निर्माण बढ़ रहा है।
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हादसे वाले मकान के आसपास तैयार हो रहे अन्य सैकड़ो अवैध निर्माण। जागरण
मनोज शर्मा, जेवर। नोएडा एयरपोर्ट के दूसरे चरण में छह गांव की 1181 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होने के बाद भी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण का खेल पिछले दो वर्षों से चल रहा है। हैरत की बात ये है कि जिस एयरपोर्ट के निरीक्षण के लिए नेता, शासन और प्राधिकरण के अधिकारी जाते हैं, उनकी नजर यहां बने रहे तीन-चार मंजिला अवैध मकानों पर नहीं पड़ती।
इसकी सबसे बड़ी वजह राजनीतिक संरक्षण और प्राधिकरण की सह है। इन्हें रोकने और न ही ध्वस्त करने के लिए ठोस कदम उठाए गए। इन अवैध निर्माण में शामिल वह कॉलोनाइजर भी है, जिस पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। एयरपोर्ट की जमीन पर अवैध कब्जे के आरोप में कुछ दिन पहले 90 से अधिक लोगों पर मामला दर्ज किया गया था।
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इनमें से एक ऐसे व्यक्ति जिसनने बड़े पैमाने पर एयरपोर्ट की जमीन पर अवैध कब्जा किया है, उसे पिछले दिनों एयरपोर्ट का निरीक्षण करने आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी हेलीपेड पर मिलवा दिया गया। यह मुद्दा गहराया भी। भाजपा हाईकमान तक बात भी गई।
जिलाधिकारी ने जांच कर मुख्यमंत्री से मिलने वालों की सूची को अंतिम रूप देने वाले सिटी मजिस्ट्रेट को उनके पद से हटा, लेकिन सूची में नाम किसने शामिल किया उसका पर्दाफाश अब तक नहीं हो सका है। इन छह गांवों में अधिकतर को अधिग्रहण का मुआवजा मिल गया है। मुआवजे से अवैध निर्माण किया जा रहा है।
100 से अधिक लोगों पर हुई थी FIR
अवैध निर्माण होने के पीछे सबसे बड़ा कारण इन गांवों में निर्माण स्थलों के एवज में प्रशासन बाजार दर का दो गुना देता है और प्राधिकरण अधिकतम 500 वर्ग मीटर का प्लॉट आवंटित करता है। दैनिक जागरण ने इस मुद्दो को प्रमुखता से उठाया भी था, जिस पर संज्ञान लेते हुए अक्टूबर में जिला प्रशासन ने अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ अभियान भी चलाया और जेवर व रबूपुरा कोतवाली में 100 से अधिक लोगों पर एफआईआर की कार्रवाई की गई।
इसके बाद भी धड़ल्ले से हो रहा अवैध निर्माण जिम्मेदारों पर सवालिया निशान लगा रहा है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए जेवर के गांव नगला हुकमसिंह, रन्हेरा,कुरैब व नगला जहानु गांव का विस्थापन किया जाना है। विस्थापन के दौरान जिन लोगों के मकानों का विस्थापन किया जाता है उन्हें मकान की कीमत का दो गुना मुआवजा और विस्थापन टाउनशिप में अधिकतम 500 मीटर का प्लॉट विस्थापन के लिए दिया जाता है।

लोगों ने प्लॉट और दो गुने मुआवजे के लालच में खेती की जमीन का मुआवजा लेने के बाद गांव में बड़े स्तर पर निर्माण कार्य शुरू कर दिए। लोगों ने बताया कि दो गुने मुआवजे के खेल प्राधिकरण, पुलिस, प्रशासन और सफेदपोश के संरक्षण में अच्छे से फलफूल रहा है।
ऐसे निर्माण को न तो निर्माण के वक्त रोकने के जहमत उठाई जाती और न ही फिर इन निर्माण के खिलाफ धवस्तीकरण की कार्रवाई की जाती। जिससे ऐसे लोग अवैध निर्माण कर अनुचित लाभ लेने के लिए राज्य सरकार को बहुत बड़ी वित्तीय क्षति पहुंचाने से भी नहीं चूक रहे हैं।
पहले भी सिवारा में गिरा था अवैध निर्माण का लेंटर, दबे थे मजदूर
कुछ दिन पहले ऐसी ही एक घटना एयरपोर्ट के तीसरे चरण के लिए अधिसूचित जमीन पर बन रहे अवैध मकान के लेटर गिरने से हुई थी। उस वक्त भी तीन से चार मजदूर लेटर के नीचे दबने से घायल हुए थे लेकिन उस समय घटना को दबा लिया गया था। जिसके बाद पुलिस प्रशासन और प्राधिकरण ने एयरपोर्ट के गेट के पास किशोरपुर और साबौता गांव में अवैध निर्माण को ध्वस्त भी किया था लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अवैध निर्माण में लग रहे धन के स्रोतों की होनी थी जांच, निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की होनी थी जांच अवैध निर्माण पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन ने अवैध निर्माण करने वाले लोगों के आय के स्रोतों की जांच की बात कही थी। प्रशासन ने बताया था कि भूमाफिया की संलिप्तता मिलने पर भू माफिया घोषित करते हुए गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही बेहद घटिया निर्माण को लेकर एयरपोर्ट क्षेत्र में हुए निर्माणों की जांच कराते हुए निम्न गुणवत्ता वाले निर्माणों को मानवीय आपदा के तहत घोषित कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होगी। लेकिन इसे किसी का दबाव कहें या फिर लापरवाही न तो आय के स्रोतों की जांच हुई न ही निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर ऑडिट हो सका।

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